अनुष्का अपने काम से बेइंतहां प्यार करती हैं इसलिए वे ऐसे समय में भी अपनी आने वाली फिल्म सूई धागा (Sui Dhaga) के प्रमोशन में लगी हुई हैं
असल में बल्जिंग डिस्क (Bulging Disc) रीढ़ की हड्डियों से संबंधी रोग है.
Anushka Sharma Suffering From Bulging Disc: बॉलीवुड अदाकारा और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली (Indian Cricket Team captain Virat Kohli) की पत्नी अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) अपने काम और काम के लिए अपने जुनून के लिए जानी जाती हैं. अनुष्का उन अभिनेत्रियों में से हैं जिन्होंने अपने काम के दम पर बॉलीवुड में एक नया मुकाम पाया. शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के साथ फिल्म रब ने बना दी जोड़ी ( Film Rab Ne Bana Di Jodi ) से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत करने वाली अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) ने खुद को हर फिल्म में निखारा है. अनुष्का अपनी फिटनेस को लेकर भी सजग रहती हैं, लेकिन हाल ही में आई एक खबर से अनुष्का शर्मा के चाहने वालों (Anushka Sharma Fans) को दुख पहुंच सकता है. दरअसल, अनुष्का शर्मा इन दिनों बल्जिंग डिस्क (Anushka Sharma diagnosed Bulging Disc) नाम की बीमारी से परेशान हैं. असल में बल्जिंग डिस्क (Bulging Disc) रीढ़ की हड्डियों से संबंधी रोग है.
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खबरों के अनुसार डॉक्टरों ने अनुष्का को (Bollywood actress Anushka Sharma) कंप्लीट बेड रेस्ट ( Bed rest) की सलाह दी है. लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं अनुष्का अपने काम से बेइंतहां प्यार करती हैं इसलिए वे ऐसे समय में भी अपनी आने वाली फिल्म सूई धागा (Sui Dhaga) के प्रमोशन में लगी हुई हैं. अनुष्का ने एक बेहद प्राइवेट समारोह में साल 2017 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) से इटली में विवाह रचाया था.
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अनुष्का शर्मा को बल्जिंग डिस्क क्या हुई (Anushka Sharma Suffering From Bulging Disc) :
खबरों की मानें तो अनुष्का शर्मा को बल्जिंग डिस्क होने की वजह है उनका स्ट्रेस जो उन्हें इंटेन्सिव फिजियोथेरेपी सेशन के कारण मिला. खबरें हैं कि एक्ट्रेस का इलाज कर रहे डॉक्टर्स ने उन्हें 3-4 हफ्तों के लिए बेड रेस्ट की सलाह दी है.
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अब एक नजर में यह जानते हैं कि बल्जिंग डिस्क या हर्नियेटेड डिस्क आखिर है क्या, क्या हैं इसके लक्षण, इलाज और बचाव (What is Bulging Disc, Bulging Disc Symptoms and Treatments in Hindi):
बल्जिंग डिस्क को हर्नियेटेड डिस्क (Herniated Disc) भी कहा जाता है. आज की जीवनशैली में यह एक बेहद ही आम सी समस्या बन कर उभर रही है. आज दफ्तर में बैठ कर काम करने वाले, कम शारीरिक व्यायाम करने वाले लोगों में यह रोग जल्दी फैल जाता है. वास्तव में बल्जिंग डिस्क या Herniated Disc लंबे समय तक बैठे रहने से होती है. बल्जिंग डिस्क (Bulging Disc ) के चलते कूल्हों और जांघों में दर्द होने लगता है. यह जान लेना भी यहा जरूरी है कि बल्जिंग डिस्क Bulging Disc शरीर के नर्वस सिस्टम पर असर करती है.
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बल्जिंग डिस्क कैसे करती है असर (Bulging Disc Herniated Disc effects in Hindi) -
बल्जिंग डिस्क या हर्नियेटेड डिस्क दो तरह से शरीर पर असर करती है. पहले में यह लोअर बैक में हर्नियेटेड डिस्क की समस्या होने पर हिप्स और जांघों में दर्द होता है.
दूसरी तरह के बल्जिंग डिस्क या हर्नियेटेड डिस्क में गर्दन प्रभावित होती है. इस तरह की हर्नियेटेड डिस्क की समस्या होने पर कंधों और हाथों में इसका दर्द होता है.
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क्या है बल्जिंग डिस्क के लक्षण (Bulging Disc Symptoms in Hindi) :
- कमर में दर्द रहना
- सोते समय करवट बदलते हुए तेज दर्द महसूस होना.
- चलने-फिरने में परेशानी होना
- मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना
- शरीर या कमर के भाग का बार-बार सुन्न होना.
- कई बार झुनझनाहट का अनुभव भी हो सकता है.
- हाथों और पैरों में दर्द रहना.
- कई बार इसमें असहनीय दर्द होता है.
क्या है बल्जिंग डिस्क का इलाज (Bulging DiscTreatments in Hindi)
जैसा कि अनुष्का शर्मा के डॉक्टर्स ने उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी है उससे यह तो साफ हो चुका कि इस रोग में रेस्ट की बहुत जरूरत है. और आराम बहुत ही अहम रोल निभाता है. बहरहाल बल्जिंग डिस्क का इलाज फीजियोथेरेपी द्वारा किया जा सकता है. लेकिन दर्द ज्यादा होने की स्थिति में डॉक्टर सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं.
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फीजियोथेरेपी क्यों है जरूरी (Why physiotherapy is needed):
असल में फीजियोथेरेपी से मांसपेशियों में लचीलापन आ जाता है. यह आपको दर्द से राहत दिला सकती है. इस बात का खास ध्यान रखें कि अगर एक्सरसाइज करते हैं भले ही वॉक करते है, स्विमिंग जाते हैं या किसी भी तरह की फिजिकल एक्सरसाइज करते हैं, तो भी आपको बल्जिंग डिस्क हो सकता है.
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बल्जिंग डिस्क से कैसे बचें (Bulging disc precautions in Hindi)
- बल्जिंग डिस्क से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने लाइफस्टाल पर ध्यान दें.
- इस बात का ध्यान रखें कि एक ही पोजीशन में देर तक न बैठें.
- अपने वजन को नियंत्रित रखें.
- अगर वजन ज्यादा है तो उसे घटाएं.
- मोटापे के कारण भी ये समस्या हो सकती है.
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