Depression: बलात्कार और यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारण महिलाओं में डिप्रेशन (Depression), एंग्जाइटी (Anxiety) और पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Stress Disorder) और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं.
Depression: यौन हिंसा से महिलाओं में बढ़ रही मानसिक बीमारियां
Depression: बलात्कार और यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारण महिलाओं में डिप्रेशन (Depression), एंग्जाइटी (Anxiety) और पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Stress Disorder) और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं. राजधानी के हैबिटाट सेंटर में इंडियन साइकिएट्रिक सोसायटी की ओर से महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य (Women's Mental Health) पर आयोजित तीसरी राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से आए मनोचिकित्सकों (Psychiatrists) ने बताया कि पिछले कुछ समय के दौरान मनोचिकित्सकों के पास इलाज के लिए आने वाली उन महिलाओं की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है और बलात्कार, यौन हिंसा (Sexual violence) या यौन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है. विशेषज्ञों के अनुसार जिन महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ है उनमें रक्त चाप (Blood Pressure), हृदय रोग (Heart Disease), अनिद्रा (Insomnia), डिप्रेशन (Depression) और एंग्जाइटी (Anxiety) होने का खतरा दो से तीन गुणा बढ़ जाता है.
इस सेमिनार में देश भर के मनोचिकित्सकों एवं मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रहे लोगों ने हिस्सा लिया. इस संगोष्ठी में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य (Women's Mental Health), आसपास के वातावरण, यौन हिंसा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव, घरों और कार्यस्थलों पर हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई विषयों पर तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया.
भोपाल की वरिष्ठ मनोचिकित्सक (Psychiatrists) डॉ. रजनी चटर्जी ने कहा कि घर या बाहर होने वाले यौन दुर्व्यवहार एवं यौन हिंसा महिलाओं में डिप्रेशन एवं एंग्जाइटी जैसी मानसिक बीमारियों का मुख्य कारक है और इस समस्या की रोकथाम के लिए महिलाओं की सुरक्षा में सुधार, शिक्षा एवं जागरूकता, जल्द न्याय प्रक्रिया और महिला अनुकूल सामाजिक वातावरण जरूरी है.
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वरिष्ठ मनोचिकित्सक एवं संगोष्ठी की आयोजक अध्यक्ष डॉ. नीना बोहरा कहती हैं कि महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर विचार करते समय हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध का गहरा मानसिक प्रभाव पड़ता है. यौन हिंसा एवं अपराध की शिकार महिलाओं को मनोचिकित्सकीय मदद जरूर मिलनी चाहिए नहीं तो उनमें इसके कारण उनमें ताउम्र के लिए मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं. मुंबई की मनोचिकित्सक डॉ. रूकशीदा सइदा ने कहती हैं कि यह देखा गया है कि जो महिलाएं इलाज के लिए आती हैं उनमें पुरुषों की तुलना में बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं लेकिन कम महिलाएं ही मानसिक समस्याओं के उपचार के लिए सामने आती हैं.
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कोलकाता की मनोचिकित्सक डॉ. शर्मिष्ठा चक्रवती ने कहा कि महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य पुरुषों से अलग होता है और वह पुरूषों की तुलना में सिजोफ्रेनिया और बाई पोलर डिसआर्डर से अधिक पीड़ित होती हैं. महिलाओं को हार्मोन समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. इसके अलावा उनके साथ घर एवं दफ्तर में यौन दुर्व्यवहार एवं यौन हिंसा होने का खतरा अधिक रहता है. इसके कारण आज महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को अधिक महत्व दिए जाने की जरूरत है.
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