डिमेंशिया के चलते इससे पीड़ित व्यक्ति को अपने हर दिन के काम में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. उसकी याददाश्त भी कमजोर हो सकती है.
आमतौर पर डिमेंशिया को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है.
खास बातें
- डिमेंशिया में याददाश्त का कमजोर होना इसका पहला लक्षण माना जाता है.
- चीजों या लोगों को पहचानने में दिक्कत होने लगती है.
- भाषा को समझने और कहने में समस्या होने लगती है.
हम में से शायद ही ऐसा कोई हो जो कभी कुछ भूलता न हो. कभी कार की चाबी कही रखकर भूल गए तो कभी घड़ी कहां रखी है याद नहीं रहता, या फिर सालों बाद किसी पूराने स्कूल फ्रेंड या सहकर्मी के मिलने पर उसका नाम याद नहीं आता. अपनी डेली रूटीन लाइफ में इन छोटी-मोटी बातों को भूलना हम कॉमन आदत मानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भूलने की ये आदत एक बीमारी भी हो सकती है, जिसे डिमेंशिया कहते हैं. जी हां डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जो आपके लाइफ को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है. आइए जानते हैं क्या है ये डिमेंशिया और इसके ऐसे 5 शुरूआती लक्षणों के बारे में, जो आपको इस बीमारी की चेतावनी देते हैं.
डिमेंशिया क्या है ? | What Is Dementia
डिमेंशिया के लक्षण से पहले यह जानते लेते है कि डिमेंशिया आखिर है क्या. Dementia शब्द De और Mentia से मिलकर बना है, जिसमें De का मतलब Without और Mentia का मतलब Mind होता है. डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश एक लक्षणों के समूह का नाम है. इनसे दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है और क्योंकि हमारे शारीर को हमारा दिमाग ही कंट्रोल करता है, इसलिए डिमेंशिया के चलते इससे पीड़ित व्यक्ति को अपने हर दिन के काम में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. उसकी याददाश्त भी कमजोर हो सकती है. वह अक्सर भूल जाता है कि वह किस शहर में रहता है या कौन सा साल या महीना चल रहा है. आमतौर पर डिमेंशिया को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है, लेकिन आजकल के बिगड़ते लाइफस्टाइस, गलत खानपान और तनाव कब आपको इसका शिकार बना दें, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता.
Early Signs Of Dementia | डिमेंशिया के शुरूआती लक्षण
याददाश्त कमजोर होना:
डिमेंशिया में याददाश्त का कमजोर होना इसके सबसे पहले और बड़े लक्षण में से एक माना जाता है. डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति को जानकारी या कोई चीज याद रखने में मुश्किल होती है. उन्हें रास्ते याद नहीं रहते, चीजों या लोगों को पहचानने में दिक्कत होती है, नंबरों से जुड़ी समस्याएं. जैसे जोड़ने या घटाने में परेशानी, या फिर गिनती याद न रहना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. लेकिन जो लोग कभी-कभी किसी घटना या जानकारी को भूल जाते हैं और बाद में उन्हें वह याद आ जाता है, ऐसे स्थिती को डिमेंशिया नहीं कहा जा सकता.
भाषा को समझने और कहने में समस्या:
ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए रिसर्च के अनुसार, शोरगुल वाले माहौल में भाषा का पता लगाने में असमर्थता भी डिमेंशिया के बढ़ते जोखिम का संकेत दे सकती है. भाषा को नहीं समझ पाने के पीछे आमतौर पर सुनने की असक्षमता का संकेत माना जा सकता है, लेकिन ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने इसे डिमेंशिया से भी जोड़ा है. शोधकर्ताओं के अनुसार, जो लोग तेज वातावरण में सुनने के लिए संघर्ष करते थे, उनमें डिमेंशिया होने की संभावना उन लोगों की तुलना में दोगुनी थी, जिन्हें सुनने में कोई कठिनाई नहीं थी.
डेली रूटीन के काम में परेशानी आना:
डिमेंशिया के साथ, एक कप चाय बनाने से लेकर कंप्यूटर चलाने तक जैसे बुनियादी काम करने में मुश्किल हो सकती है. अपने डेली रूटीन के काम, जिन्हें आप सालों से करते आ रहे हैं, डिमेंशिया में उन्हीं कामों को पूरा करना चुनौतीपूर्ण लग सकता है.
बातचीत करने में परेशानी होना:
डिमेंशिया से पीड़ित लोगों को बातचीत में शामिल होने या अपने विचारों को शब्दों में बयां करने में मुश्किल हो सकती है. वे भूल सकते हैं कि वे किस बारे में बात कर रहे थे या दूसरे व्यक्ति ने क्या कहा है. ऐसे व्यक्ति के साथ बातचीत करना मुश्किल हो सकता है. बहुत से लोग शब्दों का गलत उच्चारण करने लगते हैं या व्याकरण संबंधी गलतियां करते हैं या उनकी लिखावट को पढ़ना मुश्किल हो जाता है.
मूड स्विंग्स:
बार-बार मूड बदलने की आदत से भी आप डिमेंशिया के लक्षणों को आसानी से पहचान सकते हैं. कभी-कभी आप हंसमुख और जीवन से भरा हुआ महसूस कर सकते हैं जबकि कभी गंभीर दिख सकते हैं. डिमेंशिया होने पर व्यक्ति के व्यक्तित्व में धीरे-धीरे बदलाव आ सकता है, जिसे साफ पहचाना जा सकता है. डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में भी डिमेंशिया होने का खतरा बना रहता है.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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