आमतौर पर, सिज़ोफ्रेनिया वाले व्यक्ति को वास्तविकता और भ्रम को अलग समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जबकि एक सामान्य व्यक्ति आसानी से ऐसा करने में सक्षम होगा.
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सिज़ोफ्रेनिया अधिक आम है
खास बातें
- सिज़ोफ्रेनिया को पांच प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है
- यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों लक्षण पैदा कर सकता है
- सिज़ोफ्रेनिया के शिकार लोग चीजों को समझने और समाझने में कठिनाई का सामना क
सिज़ोफ्रेनिया एक मस्तिष्क विकार है, जिसमें आप ‘वास्तविकता का अहसास खो देते हैं'. यह विभिन्न जैविक, मनोवैज्ञानिक या सामाजिक कारकों से हो सकता है. व्यक्ति और पुरुष दोनों में समान रूप से स्किज़ोफ्रेनिया होने की संभावना होती है, लेकिन विभिन्न अध्ययनों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसके लक्षण जल्दी दिखाई दिए हैं. यह आमतौर पर 16-30 की उम्र के बीच होता है, जिसे जीवन का संक्रमणकालीन चरण कहा जाता है. यह मस्तिष्क विकार कैसे विकसित होता है, इसके अलग-अलग सिद्धांत हो सकते हैं, लेकिन इसपर फिलहाल पूरा शोध होना बाकी है.
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सवाल यह उठता है कि जिस व्यक्ति को सिज़ोफ्रेनिया है, उसका मस्तिष्क ऐसे व्यक्ति से अलग कैसे है जो नॉर्मल है? आमतौर पर, सिज़ोफ्रेनिया वाले व्यक्ति को वास्तविकता और भ्रम को अलग समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जबकि एक सामान्य व्यक्ति आसानी से ऐसा करने में सक्षम होगा. सिज़ोफ्रेनिया के 5 प्रकार हैं:
1. पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया- क्रोध, चिंता और एक ही समय पर अलग-अलग व्यवहार करना.
2. अव्यवस्थित स्किजोफ्रेनिया- अव्यवस्थित संचार और समझने में कठिनाई.
3. कैटेटोनिक शिज़ोफ्रेनिया- हाई रिस्क, या तो अधिकतम या कोई मूवमेंट न होना.
4. अपरिभाषित स्किज़ोफ्रेनिया- एक ही पल में विभिन्न प्रकार के सिज़ोफ्रेनिया दिखना. जैसे: पागलपन-संबंधी स्किज़ोफ्रेनिया के साथ भ्रम.
5. रिज़िजूअल स्किज़ोफ्रेनिया- जिस व्यक्ति के घर में किसी को पहले से ही सिज़ोफ्रेनिया हो, उसमें इसके लक्षण दिखाए दे सकते हैं.
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स्किज़ोफ्रेनिक के लक्षण
आमतौर पर, सिज़ोफ्रेनिया वाले लोग बीमार नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ संकेत और लक्षण धीरे-धीरे व्यक्ति की बीमारी का खुलासा करते हैं. इसे 3 श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
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1. सकारात्मक लक्षण
इन लक्षणों को 'सकारात्मक' कहा जाता है, क्योंकि ये किसी व्यक्ति के समग्र व्यवहार से अलग काम करते हैं. इन लक्षणों के प्रकार हैं:
1. मतिभ्रम: इस स्थिति में कई प्रकार के भ्रम हो सकते हैं, जैसे दृश्य भ्रम: जिसमें व्यक्ति झूठे दृश्य का अनुभव करता है. अन्य प्रकार में श्रवण भ्रम हो सकता हैं, जहां लोग अलग-अलग आवाज़ सुनना शुरू कर देते हैं और आखिरी है घ्राण भ्रम, जिसमें लोग अपने वातावरण से अनुपस्थित चीजों को सूंघने लगते हैं.
2. भ्रम: ये भी विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जो झूठी मान्यताओं के आसपास घूमते हैं.
- उत्पीड़न का भ्रम: किसी संगठन या समूह द्वारा नुकसान पहुंचाने की आशंका
- भव्यता का भ्रम: किसी प्राधिकरण या आधिकारिक व्यक्ति द्वारा कंट्रोल होने का विश्वास
- दैहिक भ्रांति: बिना किसी कारण या सबूत के पीड़ित होने में विश्वास
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3. कैटेटोनिया: यह लक्षण बदलता रहता है. कभी व्यक्ति एकदम आंदोलित हो जाता है कभी सामान्य रहता है तो वहीं कभी व्यक्ति में कोई हलचल ही नहीं रहती. कैटेटोनिया के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे लचीलापन, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति एक मुद्रा को तब तक बनाए रखता है जब तक इसे बदला न जाए. दूसरा है कैटेटोनिक स्टूपर, जिसमें व्यक्ति बिना हलचल के बैठा रहता है.
2. नकारात्मक लक्षण
जब कोई व्यक्ति अपनी बात कहने में सहज नहीं रहता, तो उन्हें सिज़ोफ्रेनिया के नकारात्मक लक्षणों के रूप में जाना जाता है:
1. सोशल विड्रॉल: आमतौर पर लोग जो ज्यादा किसी से घुलते-मिलते नहीं हैं, अपने दोस्तों के साथ बाहर नहीं जाते, लोगों के साथ ज्यादा बातचीत नहीं करते और अपने में ही रहते हैं. सोशल विड्रॉल से परेशान होते हैं. इसे उदासीनता भी कहा जा सकता है.
2. सपाट या ब्लंट इफेक्ट: इसमें किसी व्यक्ति से बात करते समय या अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में परेशानी होती है. ऐसे लोग आमतौर पर जवाब देते समय बिल्कुल सपाट रहते हैं.
3. एनहेडोनिया: किसी भी गतिविधि में खुशी का अभाव, जो आमतौर पर किसी व्यक्ति को किसी भी चीज में दिलचस्पी पैदा नहीं होने देगा.
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3. संज्ञानात्मक और प्रभावी लक्षण
1. समझने में दिक्कत: सिज़ोफ्रेनिया के शिकार लोग चीजों को समझने और समाझने में कठिनाई का सामना करते हैं. वे अक्सर आसानी से विचलित हो जाते हैं.
2. विचारों को व्यक्त करने में कठिनाई: कुछ कहते या बताते समय, ऐसे लोग अपनी भावनाओं को सही तरह से प्रकट नहीं कर पाते.
3. अन्य लक्षणों में ऐंगज़ाइअटी शामिल है, जिसमें रोगी आत्महत्या या ड्रिपेशन का शिकार हो सकता है.
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