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हल्की चोट पर भी नहीं रुकता खून! जानिए क्या है हीमोफीलिया, कैसे होता है, कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

हीमोफीलिया की दवा या हीमोफीलिया का घरेलू उपचार अक्सर लोग तलाशते हैं. हीमोफीलिया के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट भी तलाशा जाता है. डॉ. अग्रवाल का कहना है कि हीमोफीलिया के प्राथमिक उपचार को फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी कहा जाता है.

हल्की चोट पर भी नहीं रुकता खून! जानिए क्या है हीमोफीलिया, कैसे होता है, कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

हीमोफीलिया की दवा या हीमोफीलिया का घरेलू उपचार अक्सर लोग तलाशते हैं

हीमोफीलिया (Haemophilia) क्या है, कैसे होता है और हीमोफीलिया का ईलाज कैसे क्या है. अगर आप इन सब सवालों के जवाब चाहते हैं तो आप सही लेख पढ़ रहे हैं. हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है जो खून के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करती है. यह एक आनुवंशिक रोग है. हीमोफीलिया एक दुर्लभ आनुवंशिक रक्तस्राव विकार है, जिसमें रक्त का ठीक से थक्का नहीं बना पाता है. नतीजतन, व्यक्ति आसानी से पीड़ित होता है और चोट लगने पर लंबे समय तक खून बहता रहता है. ऐसा शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर्स नामक एक प्रोटीन की कमी या न होने के कारण होता है. यह प्रोटीन का एक प्रकार है जो रक्तस्राव को रोकने के लिए जरूरी होता है. हालात कितने बुरे होंगे यह पूरी तरह से खून में क्लॉटिंग फैक्टर्स की मात्रा पर निर्भर करता है. भारत में लगभग दो लाख ऐसे मामलों के साथ, हीमोफीलिया के रोगियों की संख्या विश्व में दूसरे स्थान पर होने का अनुमान है. यह हालत आमतौर पर विरासत में मिलती है और प्रत्येक 5,000 पुरुषों में से 1 इस विकार के साथ पैदा होता है.

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हीमोफीलिया से जुड़े खतरे

हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार महिलाएं हीमोफीलिया की वाहक होती हैं. यह तब तक जीवन को खतरे में डालने वाला विकार नहीं माना जाता, जब तक किसी महत्वपूर्ण अंग में रक्तस्राव न हो जाए. हालांकि, यह गंभीर रूप से कमजोर करने वाला विकार हो सकता है और इस विकार का कोई ज्ञात इलाज नहीं है.



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कैसे होता है हीमोफीलिया 

डॉक्टर के. के अग्रवाल के अनुसार, मां या बच्चे में जीन के एक नए उत्परिवर्तन के कारण लगभग एक तिहाई नए मामले सामने आते हैं. ऐसे मामलों में जब मां वाहक होती है और पिता में विकार नहीं होता है, तब लड़कों में हीमोफीलिया होने का 50 प्रतिशत अंदेशा होता है, जबकि लड़कियों के वाहक होने का 50 प्रतिशत खतरा रहता है. 

क्या होते हैं हीमोफिलीया के लक्षण

ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाना चाहिए, जब 
-गंभीर सिरदर्द, 
- बार-बार उल्टी, 
- गर्दन में दर्द, 
- धुंधली निगाह, 
- अत्यधिक नींद 
- और एक चोट से लगातार खून बहने जैसे लक्षण दिखाई दें. 

कितनी तरह का होता है हीमोफीलिया

हीमोफीलिया तीन प्रकार के होते हैं : ए, बी और सी और तीनों के बीच अंतर एक विशिष्ट कारक की कमी में निहित है.

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हीमोफीलिया का इलाज

हीमोफीलिया की दवा या हीमोफीलिया का घरेलू उपचार अक्सर लोग तलाशते हैं. हीमोफीलिया के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट भी तलाशा जाता है. डॉ. अग्रवाल का कहना है कि हीमोफीलिया के प्राथमिक उपचार को फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी कहा जाता है. इसमें कमी वाले फैक्टर को क्लॉटिंग फैक्टर 8 (हीमोफिलिया ए के लिए) या क्लॉटिंग फैक्टर 9 (हीमोफिलिया बी के लिए) की सांद्रता से रिप्लेस किया जाता है. इन्हें रक्त प्लाज्मा से एकत्र और शुद्ध किया जा सकता है या कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में उत्पादित किया जा सकता है. वे सीधे रक्त में एक नस (अंत:शिरा) के माध्यम से रोगी को इंजेक्शन के रूप में दिए जाते हैं.

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हीमोफीलिया रोगियों के लिए सुझाव 

- पर्याप्त शारीरिक गतिविधि शरीर के वजन को बनाए रखने और मांसपेशियों और हड्डियों की शक्ति में सुधार करने में मदद कर सकती है. हालांकि, ऐसी किसी भी शारीरिक गतिविधि से बचें, जो चोट और जिसके चलते रक्तस्राव होने का खतरा बना रहता है.

- ब्लड-थिनिंग दवा यानी खून को गाढ़ा करने वाली दवा जैसे कि वार्फरिन और हेपरिन लेने से बचें. एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं से बचना भी बेहतर है.

- अपने दांतों और मसूड़ों को अच्छी तरह से साफ करें. अपने दंत चिकित्सक से सलाह लें कि मसूड़ों से खून बहने को कैसे रोका जाए.

- रक्त संक्रमण के लिए नियमित रूप से परीक्षण करें और हेपेटाइटिस ए और बी के टीकाकरण के बारे में अपने डॉक्टर की सलाह लें. (इनपुट- आईएएनएस)


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