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International Women's Day 2019: क्या है महिला दिवस का इत‍िहास? जानिए कौन सी बीमारी मर्दों से ज्यादा औरतों को शिकार बनाती है

International Women's Day 2019: आज अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस है. यह हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है.दुनिया में पहली बार महिला दिवस कब मनाया गया यह जानने के लिए यह भी जानना होगा क‍ि अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस का इति‍हास क्या है (Day 8 March Women's Day History), अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है (Why is there an International Women's Day?) और पहली बार कब मनाया गया.

International Womens Day 2019: क्या है महिला दिवस का इत‍िहास? जानिए कौन सी बीमारी मर्दों से ज्यादा औरतों को शिकार बनाती है

International Women's Day 2019: आज अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस है.

International Women's Day 2019: आज अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस है. यह हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है.दुनिया में पहली बार महिला दिवस कब मनाया गया यह जानने के लिए यह भी जानना होगा क‍ि अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस का इति‍हास क्या है (Day 8 March Women's Day History), अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है (Why is there an International Women's Day?) और पहली बार कब मनाया गया. असल में दुनिया में पहली बार मह‍िला द‍िवस (First Womens Day) अमेरिका में मनाया गया. यह साल 1909 में 28 फरवरी को सेलिब्रेट किया गया. सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन को चुना. इसके पीछे कारण था क‍ि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध दर्ज करवाएं सकें. इसके बाद 28 फरवरी को ही रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Womens Day)  मनाया और यह पहले विश्व युद्ध के विरोध में क‍िया गया. (Why International Women's Day Is March 8) वहीं, यूरोप में 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स के समर्थन के ल‍िए औरतों ने रैलियां कीं थीं. इसके बाद आधिकारिक तौर पर यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च, 1975 को पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया. 

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आज यानी 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day 2019) मनाया जा रहा है. हर साथ वुमन्स डे (Women's Day) की थीम तय की जाती है. इस साल की थीम है #BalanceforBetter. इसका मतलब है क‍ि साल 2019 के महिला द‍िवस पर जेंडर बैलेंस पर ध्यान खींचा गया है. जब बात मह‍िलाओं की हो रही है तो उनकी सेहत से जुड़े मुद्दो को दरक‍िनार नहीं क‍िया जा सकता. किडनी (गुर्दा) से संबंधित रोग, पूरे विश्व में स्वास्थ्य चिंता का विषय हैं, जिसका गंभीर परिणाम किडनी फेलियर और समयपूर्व मृत्यु के रूप में सामने आता है. वर्तमान में किडनी रोग महिलाओं में मृत्यु का आठवां सबसे प्रमुख कारण है. महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिसीज (सीकेडी) विकसित होने की आशंका पुरुषों से 5 फीसदी ज्यादा होती है. गुरुग्राम स्थित नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के नेफ्रोजिस्ट डॉ. सुदीप सिंह सचदेव कहते हैं कि सीकेडी को बांझपन और सामान्य गर्भावस्था व प्रसव के लिए भी रिस्क फैक्टर माना जाता है. इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होती है और मां व बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है, जिन महिलाओं में सीकेडी एडवांस स्तर पर पहुंच जाता है, उनमें हाइपर टेंसिव डिसआर्डर्स और समयपूर्व प्रसव होने की आशंका काफी अधिक हो जाती है.



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किडनी रोग मुख्यत: डायबिटीज, उच्च रक्तदाब और धमनियों के कड़े होने से हो जाते हैं. हालांकि, इन रोगों में से कई किडनियों के सूजने के कारण भी हो सकते हैं. इस स्थिति को नेफ्राइटिस कहते हैं. मेटाबॉलिक डिसआर्डर के अलावा कुछ एनाटॉमिक डिसआर्डर के कारण भी किडनी संबंधी बीमारियां हो जाती हैं. ये बीमारियां माता-पिता दोनों से बच्चों को विरासत में भी मिलती हैं. 

चूंकि किडनी रोगों के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, उसी प्रकार से विभिन्न रोगियों में इसके लक्षणों में भिन्नता पाई जा सकती है. हालांकि, कुछ सामान्य लक्षणों में बहुत अधिक या बहुत कम पेशाब, पेशाब में रक्त आना या रसायनों की मात्रा आसामान्य हो जाना सम्मिलित हैं. 

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वास्तविक समस्या तो इस रोग का डायग्नोसिस करने में है, क्योंकि जब तक किडनी में ट्यूमर या सूजन न हो, डॉक्टरों के लिए केवल किडनियों को छूकर चेक करना कठिन हो जाता है. वैसे कई टेस्ट हैं, जिनसे किडनी के ऊतकों की जांच की जा सकती है. पेशाब का नमूना लें और इसमें प्रोटीन, शूगर, रक्त और कीटोंस आदि की जांच कराएं.

उपचार के विकल्प क्या हैं?
संक्रमण को एंटी बायोटिक्स से भी ठीक किया जा सकता है, अगर संक्रमण बैक्टीरिया के कारण हो. एक्यूट किडनी फेलियर के मामले में रोग के कारणों का पता लगाना सर्वश्रेष्ठ रहता है. इस प्रकार के मामलों मेंए कारणों का उपचार करने से किडनी की सामान्य कार्यप्रणाली वापस प्राप्त करना संभव होता है, लेकिन किडनी फेलियर के अधिकतर मामलों में रक्तचाप को सामान्य स्तर पर लाया जाता है, ताकि रोग को और ज्यादा बढ़ने से रोका जा सके. 

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जब किडनी फेलियर अंतिम चरण पर पहुंच जाता है, तब उसे केवल डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है. डायलिसिस सप्ताह में एक बार किया जा सकता है या इससे अधिक बार भी, यह स्थितियों पर निर्भर करता है. प्रत्यारोपण में बीमार किडनी को स्वस्थ्य किडनी से बदल दिया जाता है. (इनपुट आईएएनएस) 


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