गर्भावस्था के अंतिम चरण में अगर प्लेसेंटा ग्रीवा को ढ़क ले, तो यह सामान्य या प्राकृतिक प्रसव के दौरान बच्चे के बाहर निकलने के रास्ते को पूरी तरह से रोक देती है, ऐसे में सीजेरियन ऑपरेशन ही एक रास्ता बचता है.
गर्भावस्था एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हर महिला के अनुभव अलग होते हैं. इस दौरान मिलने वाला प्यार और केयर भला किसे पसंद नहीं. ज्यादातर महिलाओं के लिए जीवन का यह दौर बेहद सुखद और यादगार होता है. लेकिन आज के भागम-भाग भरे जीवन में, हमारी बदली और अव्यवस्थित जीवनशैली काफी हद गर्भावस्था पर प्रभाव ड़ालती है. कभी-कभी काम और करियर बनाने के लिए हम फैमिली प्लेनिंग को टालते रहते हैं. ऐसे में जब वह खुशी आपको नसीब होती है, तो कई बार अपने साथ लाती है उम्र और लाइफस्टाइल से जुड़े कई कॉम्लिकेशन्स... इन्हीं में से एक है लॉ लाइंग प्लेसेंटा या प्लेसेंटा प्रिविया.
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क्या है प्ले्सेंटा प्रिविया:
गर्भ में अंडे का निषेचन होने के समय निषेचित अंडा यानी फर्टलाइज्ड एग फेलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है. इसी प्रकिया के दौरान सामान्य मामलों में एग खुद को गर्भाशय में सबसे ऊपर की ओर प्रत्यारोपित करता है. लेकिन कई बार निषेचित अंडा गर्भाशय के निचले हिस्से से ही खुद को जोड़ लेता है.
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सरल शब्दों में कहें तो इस तरह के मामलो में गर्भनाल या प्लेसेंटा जो बच्चे के विकास में अहम रोल निभाता है, ठीक गर्भाशय के मुंह पर स्थित हो जाता है. जो कई तरह से खतरनाक साबित हो सकता है. इस तरह के मामले कई बार भारी रक्तस्राव का कारण बन सकते हैं और खतरा पैदा कर सकते हैं. अगर गर्भावस्था के अंतिम दौर में भी लॉ लाइंग प्लेसेंटा की समस्या होती है, तो यह काफी रिस्की हो सकता है. ऐसी स्थिति में गर्भवती को बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी जाती है.
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ज्यादातर मामलों में बच्चे के सुरक्षित जन्म के लिये सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है, क्योंकि ऐसे मामलों में गर्भाशय का मुंह प्लेसेंटा द्वारा ढ़का हुआ होता है, जो सामान्य डिलिवरी को जोखिम भरा या इंपॉसिबल बना सकता है. यह समस्या तकरीबन 200 में से एक महिला को होती है.
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प्लेसेंटा प्रिविया की स्थितियां
मार्जनल प्लेसेंटा प्रिविआ- इसमें नाल आंतरिक ग्रीवा को खोलने वाले किनारे को ढ़क लेती है.
पार्शियल प्लेसेंटा प्रिविआ- इसमें आंतरिक ग्रीवा को खोलने वाला हिस्सा नाल द्वारा आंशिक रूप से ढ़क जाता है.
कंप्लीट प्लेसेंटा प्रिविआ- इसमें आंतरिक ग्रीवा को खोलने वाला हिस्सा या कहें गर्भाशय का मुंह पूरी तरह नाल द्वारा ढ़क लिया जाता है.
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कैसे पता चलता है
सामान्य तौर पर 20 सप्ताह पर होने वाले अल्ट्रासाउंड के समय इस समस्या का पता चलता है. अल्ट्रासाउंड में प्लेसेंटा के नीचे की ओर होने का पता चलता है. कई बार जब प्लेसेंटा गर्भाशय की पिछली दीवार से जुड़ा होता है, तो इसकी सही जांच के लिए टीवीएस यानी ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड से की जाती है. टीवीएस अल्ट्रासाउंड में डॉक्टर योनि के अंदर ट्रांसड्यूसर डालकर स्थिति को सही तरह से जांचते हैं और यह सही-सही पता लगाया जा सकता है कि प्लेसेंटा प्रिविआ किस स्थिति में हैं.
हालाकि एक अच्छी बात यह है कि कई बार जब गर्भ में बच्चा मूव करना शुरू करता है, तो प्लेसेंटा के ऊपर की और खिसक जाने की भी संभावना होती है. ऐसे मामलों में प्राकृतिक प्रसव की उम्मीद भी बढ़ जाती है.
हालाकि गर्भावस्था के अंतिम चरण में अगर प्लेसेंटा ग्रीवा को ढ़क ले, तो यह सामान्य या प्राकृतिक प्रसव के दौरान बच्चे के बाहर निकलने के रास्ते को पूरी तरह से रोक देती है, ऐसे में सीजेरियन ऑपरेशन ही एक रास्ता बचता है.
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क्या हैं कारण
हालाकि प्लेसेंटा प्रिविया के लिए किसी एक कारण को निश्चित नहीं किया जा सकता. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कोई भी एक या दो इसकी वजह साबित हो सकते हैं.
- डॉक्टर स्वाति भारद्वाज का कहना है कि यह समस्या काफी हद तक महिला का उम्र पर भी निर्भर करती है. यादि गर्भवती महिला की उम्र 30 साल या उससे अधिक है, तो प्लेसेंटा प्रिविया होने की समभावना अधिक हो जाती है.
- कई बार यह समस्या उन गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलती है, जिनका पहले सीजेरियन ऑपरेशन हो चुका हो.
- धूम्रपान की आदि महिलाओं में भी यह समस्याम हो सकती है.
- अगर किसी महिला ने गर्भाशय से जुड़ी कोई सर्जरी कराई है, तो प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या की संभावना बढ़ जाती है.
यह लेख 'बेस्ट आब्स्टिट्रिशन और गाइनकालजिस्ट का अवॉर्ड पा चुकीं डॉक्टर ज्योत्सना गुप्ता और बीएचएमएस डॉ. स्वाति भारद्वाज से बातचीत पर आधारित है.
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