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बुजुर्गों की जिंदगी की सुखमय सांझ जैसा है यह कदम

इस केंद्र में बुजुर्गो की देखभाल के लिए डॉक्टर, सीनियर नर्स, ट्रेनी नर्स, योगा शिक्षक, थेरेपिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता को तैनात किया गया है. यहां वर्तमान में 10 मरीज हैं.

बुजुर्गों की जिंदगी की सुखमय सांझ जैसा है यह कदम

बुढ़ापे की बीमारियां व्यक्ति को बहुत परेशान कर देती हैं. उनकी सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है और उन्हें अपने अच्छे-बुरे का अहसास ही नहीं होता. ऐसे लोग अपने परिजनों को ही भार लगने लगते हैं, जिसके चलते उनकी अच्छी तरह से देखभाल तक नहीं हो पाती. मगर ऐसे लोगों की जिंदगी की शाम को सुखमय बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में प्रयास शुरू किए गए हैं. उम्र के बढ़ने के साथ पैरालिसिस, कोमा, डिमेंशिया और शरीर की निष्क्रियता जैसी बीमरियां आसानी से घर कर जाती हैं. इनका चिकित्सा विज्ञान (मेडिकल साइंस) से इलाज चलता है, परंतु एक समय के बाद इनका मेडिकल साइंस में भी इलाज नहीं होता. परिणाम स्वरूप इनकी देख-भाल सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है. ये मरीज वक्त के साथ परिवार के लिए भी भार लगने लगते हैं. ऐसे मरीजों (60 से ज्यादा) की बेहतर तरीके से देखभाल हो, इसके लिए पेलेटिव केयर सेंटर (प्रशामाक गृह) स्थापित किया गया है.

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नि:शक्त जन और समाज कल्याण विभाग की मदद से यह सेंटर संकल्पित सेवा संस्थान ने शुरू किया है. इसके संचालक डॉ. संदीप तिवारी का कहना है, "ऐसे बुजुर्ग जिनका मेडिकल साइंस में इलाज नहीं है, ऐसे मरीजों को टर्मिनली इल पेशेंट कहते हैं. इस तरह के मरीजों का इलाज तो संभव नहीं है, मगर ऐसे मरीजों को नर्सिंग केयर की जरूरत होती है. ऐसे मरीजों की परिवार वाले भी ठीक तरह से देखभाल नहीं कर पाते हैं. इनके लिए ही पेलेटिव केयर सेंटर है."



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डॉ. तिवारी बताते हैं, "पेलेटिव केयर उन मरीजों के लिए है, जिनका चिकित्सा उपचार नहीं है. उनके लिए ऐसे आश्रम बनाते हैं, जहां उनका अंतिम समय शांतिपूर्वक कम से कम दर्द और तकलीफ में व्यतीत हो. मध्य भारत में यह पहला सेंटर है."



बिलासपुर में एक जेल बंदी की बेटी की स्कूली शिक्षा का इंतजाम करने से चर्चा में आए जिलाधिकारी डॉ. संजय अलंग ने एक और अनूठी पहल की है. इसके जरिए उन बुजुर्गो के जीवन का अंतिम समय कम कष्टमय गुजर सकेगा.

इस केंद्र में बुजुर्गो की देखभाल के लिए डॉक्टर, सीनियर नर्स, ट्रेनी नर्स, योगा शिक्षक, थेरेपिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता को तैनात किया गया है. यहां वर्तमान में 10 मरीज हैं.

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जिलाधिकारी डॉ. अलंग का कहना है, "हम समाज के लोगों को बताना चाहते हैं कि बुजुर्ग सिर्फ बच्चों की नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी हैं. हमें उन्हें सहेजकर रखना है. पेलेटिव केयर सेंटर के माध्यम से हमारी कोशिश है कि यहां असहाय रोग से पीड़ित बुजुर्गो की अंतिम सांस तक बेहतर से बेहतर सेवा की जाए."

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इस सेंटर में बुजुर्गो की नìसग केयर के साथ उन्हें योगा, फिजियोथेरेपी भी कराई जा रही है. इसके साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में धर्म के हिसाब से धर्म संसद बनी है, जिसमें विभिन्न धर्मो के गुरु आकर शिक्षा देते हैं. इसका उद्देश्य यही है कि उनका अंतिम समय शांति से गुजर सके.

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पेलेटिव केयर सेंटर में परिजनों की सहमति से ही भर्ती कराया जाता है और यहां उन्हें नि:शुल्क नर्सिंग व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. इस संस्थान ने तय किया है कि मरीज की मौत के 24 घंटों तक ही परिजनों का इंतजार किया जाएगा और अगर कोई नहीं आता है तो संस्थान द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा. (इनपुट- आईएएनएस)


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