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हेल्‍दी डाइजेस्टिव सिस्‍टम के लिए कारगर हैं ये 5 जड़ी-बूटियां

आज की जीवनशैली में कई ऐसे पहलू हैं जो हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर असर डालते हैं. इसमें शारीरिक गतिविधि की कमी, नींद पूरी न लेना और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन शामिल है.

हेल्‍दी डाइजेस्टिव सिस्‍टम के लिए कारगर हैं ये 5 जड़ी-बूटियां

आज की जीवनशैली में कई ऐसे पहलू हैं जो हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर असर डालते हैं. इसमें शारीरिक गतिविधि की कमी, नींद पूरी न लेना और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन शामिल है. बिजी वर्क शेड्यूल ने तनाव के स्तर को बढ़ा दिया है, खाने की गलत आदतें जैसे कि बहुत अधिक या बहुत कम खाना और खाने के लिए र्प्‍याप्‍त समय न निकाल पाना, पाचन को हानि पहुंचाता है. धूम्रपान और शराबबंदी कुछ अन्य पहलू हैं जिनके कारण भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हुई हैं. तनाव से भरे इस लाइफस्‍टाइल का नेगेटिव असर हमारी हेल्‍थ पर नजर आता है. जिसमें सबसे आम है खराब पाचन स्वास्थ्य. 

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द हिमालय ड्रग कंपनी, मेडिकल सर्विसेज एंड क्लिनिकल डेवलपमेंट के प्रमुख डॉ. राजेश कुमावत के अनुसार, पाचन से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये आगे चलकर आपको अन्‍य बीमारियों की गिरफ्त में ला सकती हैं. कई औषधीय जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक अवयवों, जिनमें से कुछ भारतीय व्यंजनों का हिस्सा हैं, पाचन समस्याओं को प्राकृतिक तरीके से रोकने में मदद कर सकती हैं.



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हेल्‍दी डाइजेस्टिव सिस्‍टम के लिए ये जड़ी-बूटियां हैं मजेदार:



1. अदरक: लगभग हर इंडियन किचन में अदरक मिल ही जाती है. इनडाइजेशन की समस्‍या के लिए यह घरेलू उपचार है और पाचन में सुधार करने वाले गैस्ट्रिक एसिड और पाचन एंजाइमों को स्‍पोर्ट करता है. 

2. काली मिर्च: खाने में फ्लेवर देने के साथ काली मिर्च एक आम मसाला है. इसमें पाइपरिन नामक यौगिक होता है जो पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करता है. काली मिर्च पित्त अम्लों के स्राव में सुधार करती है. यह गैस की समस्‍या से भी छुटकारा दिलाती है. जिससे हम पेट फूलना, जलन आदि जैसी समस्‍या से दूर रह सकते हैं.

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3. त्रिफला: तीन जड़ी-बूटियों का एक प्रभावी आयुर्वेदिक मिश्रण - आंवला, हरीतकी (चुलबुल म्युरबालन), बिभीतकी (चेबुलिक म्यरॉबालन), त्रिफला को स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है. यह पाचन तंत्र में गैस के संचय को रोकता है. त्रिफला इनडाइजेशन को ठीक करने में भी मदद करता है.

4. सौंफ के बीज: इसे आमतौर पर माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. सौंफ के बीज में कई पाचन तंत्र के अनुकूल औषधीय गुण होते हैं. इसमें एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो आंत की मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती हैं. सौंफ के बीज पाचन तंत्र से गैस बाहर निकालने में भी मदद करते हैं.

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5. शंख भस्म: आयुर्वेदिक सामग्री शंख भस्म भूख और पाचन में सुधार करती है और गैस्ट्राइटिस जैसी पाचन समस्याओं से भी राहत दिलाती है.


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इन सामग्रियों को व्यक्तिगत रूप से या पाचन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि समस्‍या अधिक होने पर डॉक्‍टर से सलाह लेना न भूलें.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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