इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से होने वाली बीमारियों को एक्सपर्ट्स ‘इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन सिंड्रोम' का नाम दे रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, गेम्स का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं.

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बना सकते हैं आपको बीमार?
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स ने इंसानों की जिंदगी बेहद आसान कर दी है. जहां एक तरफ ये इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स लोगों को मनोरंजन देने के साथ उनके काम में भी हाथ बंटा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ ये लोगों को बीमार भी बना रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से न सिर्फ व्यक्ति के शरीर और सेहत को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि इससे लोग विकलांग भी हो सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से होने वाली बीमारियों को एक्सपर्ट्स ‘इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन सिंड्रोम' का नाम दे रहे हैं. मनोवैज्ञानिक इस विषय पर काफी लंबे समय से गहन रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें ये बात निकलकर सामने आई है कि मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, गेम्स का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को कई तरह की शारिरिक और मानसिक बीमारियां हो रही हैं.
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इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का सेहत पर पड़ने वाला प्रभाव | Health Effects Of Electronic Gadgets
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट आंखों पर डालते हैं बुरा असर
लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से लोगों की आँखे कमजोर होती जा रही है. वो मोबाइल, लैपटॉप, टीवी की स्क्रीन में ऐसे घुस कर बैठ जाते है की उन्हें पता ही नहीं चलता की कब उन्हें बीच में ब्रेक लेना है.इसी वजह से कई लोगों की आँखे लाल होने लगती हैं, आँखों में से पानी आने लगता है, और आँखे ड्राई होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को कम समय के लिए इस्तेमाल किया जाए. यही नहीं इस डिजिटल युग से हमें एक नई बीमारी कम्प्यूटर विज़न सिंड्रोम भी दिया मिली है.घंटों डिजिटल स्क्रीन से चिपके रहना इस बीमारी की वजह है. लोग जब तक संभलते हैं ये बीमारी अपना घर बना चुकी होती है. इस बीमारी को डिजिटल आई स्ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है. ये 3 साल के बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में ले लेती है.
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कानों पर पड़ रहा है बुरा असर
अधिकांश लोग कई घंटों तक कान में हेडफोन लगाए रखते हैं,जिसके चलते कान पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ईयर फोन का इस्तेमाल लगातार तेज आवाज़ के साथ करने से सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है.एक स्टडी के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति दो घंटे से ज्यादा 90 डेसिबल से अधिक आवाज़ में गाने सुनता है, तो वो बहरेपन का शिकार भी हो सकता है. इसके अलावा कई बड़ी बीमारियों की चपेट में आ सकता है. दरअसल, कानों की सुनने की क्षमता सिर्फ 90 डेसिबल होती है जो लगातार गाने सुनने से समय 40 से 50 डेसिबल तक कम हो जाती है. जिसके चलते दूर की आवाज़ सुनने में दिक्कत होने लगती है.
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दिमाग पर इन गेजेट्स का पड़ता है बुरा असर
इन गैजेट्स से ज्यादा देर तक चिपके रहने के कारण लोगों की सोचने की क्षमता पर बहुत असर पड़ रहा है. आपको बता दें ये गैजेट्स लोगों में तनाव का भी एक बड़ा कारण बन रहे हैं. मोबाइल, कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक समय बिताने से लोग एक-दूसरे से अलग होने लगे हैं.यही नहीं इनके ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल के चलते परिवारों में भी समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे टेंशन बढ़ रही है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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