आजकल बड़े या बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चों में भी डायबिटीज की समस्या देखने को मिल रही है. डायबिटीज को साइलेंट किलर के तौर पर भी जाना जाता है.
डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है.
खास बातें
- टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है.
- टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं.
- सही लाइफस्टाइल से टाइप-2 डायबिटीज को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.
आज के समय में किसी को भी डायबिटीज होना एक आम बात होते जा रही है. हालात तो ऐसे हो चुके हैं कि आजकल बड़े या बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चों में भी डायबिटीज की समस्या देखने को मिल रही है. डायबिटीज को साइलेंट किलर के तौर पर भी जाना जाता है. डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है. जब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है तो इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है. यह इंसुलिन की कमी के कारण होता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो पाचन से बनता है. यह हमारे शरीर में खाने को एनर्जी में बदलता है. साथ ही इंसुलिन ही हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करता है. डायबिटीज तीन तरह के होते हैं- टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज. लोगों में सबसे ज्यादा टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है.
टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या शरीर सही तरह से इसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है, जिससे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. खराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, नींद की कमी, मोटापा और ब्लडप्रेशर टाइप 2 डायबिटीज के कारण हो सकते हैं. साथ ही जिस फैमिली में डायबिटीज की हिस्ट्री रही है, उस फैमिली के मेंबर को भी टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है.
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं और इसके लक्षण इस प्रकार हैं-
- थकान
- संक्रमण या घावों का जल्दी न भरना
- भूख-प्यास ज्यादा लगना
- बार-बार पेशाब लगना
- वजन कम होते जाना
- धुंधला नजर आना
- स्किन में काले धब्बे पड़ना
- बाल झड़ना
बचाव-
सही लाइफस्टाइल को अपनाकर टाइप-2 डायबिटीज को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. इन आदतों को अपने लाइफस्टाइल में शामिल कर के टाइप-2 डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है.
- हर दिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज या योग करें.
- जितना हो सके, प्रोसेस्ड और रिफाइंड फूड से बचें.
- साबुत अनाज, फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें.
- जितना हो सके, प्रोसेस्ड और रिफाइंड फूड से बचें.
- शराब के सेवन और धूम्रपान से बचें.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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