दुनिया भर में, अपर्याप्त स्तनपान (Breastfeeding) के कारण हर साल लगभग 6 लाख बच्चों और 1 लाख महिलाओं की मृत्यु हो जाती है. संगठन ‘अलाइव एंड थ्राइव’ ने जीवन बचाने, बीमारी को रोकने और माताओं तथा बच्चों के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक पोषण पहल है. संगठन के अनुसार, अपर्याप्त स्तनपान के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 340 बिलियन डॉलर का भार बढ़ता है.
स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण है.
नई दिल्ली: दुनिया भर में, अपर्याप्त स्तनपान (Breastfeeding) के कारण हर साल लगभग 6 लाख बच्चों और 1 लाख महिलाओं की मृत्यु हो जाती है. संगठन ‘अलाइव एंड थ्राइव' ने जीवन बचाने, बीमारी को रोकने और माताओं तथा बच्चों के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक पोषण पहल है. संगठन के अनुसार, अपर्याप्त स्तनपान के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 340 बिलियन डॉलर का भार बढ़ता है. अपर्याप्त स्तनपान की वजह से उत्पादकता में कमी और स्वास्थ्य देखभाल पर प्रतिवर्ष लगभग 340 बिलियन डॉलर का खर्च आता है. विश्व में स्तनपान (Breastfeeding) की स्थिति में सुधार करने के लिए, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने पहले 6 महीनों में एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीड की दर को 2012 में 38 प्रतिशत की प्रचलित दर की तुलना में कम से कम 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था. वैश्विक स्तर पर 2025 तक इसे 50 फीसदी करने का लक्ष्य है. दुनिया हर साल 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाती है, यहां विश्व स्तनपान सप्ताह के बारे में हम आपको पांच अहम बातें बता रहे हैं:
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क्या है ब्रेस्टफीडिंग?
स्तनपान, जिसे नर्सिंग के रूप में भी जाना जाता है, युवा शिशुओं को उनके विकास और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने का एक तरीका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) बच्चे के जन्म के पहले घंटे के अंदर ब्रेस्टफीड शुरू करने की सलाह देता है. बच्चे को छह महीने तक स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है.
विश्व स्तनपान सप्ताह कब और क्यों मनाया जाता है?
हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. यह स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर के शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए मनाया जाता है. यह सरकारी नीति निर्माताओं, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) और अन्य संगठनों द्वारा स्तनपान को बचाने, बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए अगस्त 1990 में हस्ताक्षरित घोषणा की याद दिलाता है.
स्तनपान सप्ताह का इतिहास
विश्व स्तनपान सप्ताह का इतिहास 1979 से पहले का है, जब डब्ल्यूएचओ ने बाजार में शिशु आहार को बढ़ावा देने और अस्पतालों में स्तनपान में दखल देने वाले ब्रांडों के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी. विश्व स्तर पर यह देखा गया कि पाउडर वाला दूध बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है और इसके खिलाफ कुछ करने की जरूरत है. डब्ल्यूएचओ द्वारा 1979 में बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक मजबूत और प्रभावी मार्केटिंग कोड होना चाहिए. बाद में 1981 में, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली द्वारा ब्रेस्टमिल्क के इंटरनेशनल कोड ऑफ मार्केटिंग को अपनाया गया और 119 देशों में से 118 ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए.
भारत के ब्रेस्टफीड प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया के डॉ. अरुण गुप्ता कहते हैं, ‘चूंकि डब्ल्यूएचओ के रेजोल्यूशन सिर्फ एक नैतिक समझौते हैं और कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं, इसलिए इसके प्रति राष्ट्रीय पहुंच धीमी थी. स्तनपान को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करने वाला आंदोलन तब तेज हुआ, जब यूनिसेफ और अन्य एजेंसियों और कानूनविदों ने इससे प्रेरणा ली. अगस्त 1990 में इनोसेंटी घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए.
ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019 की क्या है थीम?
इस वर्ष के स्तनपान सप्ताह का विषय है 'माता-पिता को सशक्त बनाना, स्तनपान को सक्षम करना: अब और भविष्य के लिए.' इस वर्ष, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और अन्य पार्टनर के साथ मिलकर शुरुआती स्तर पर अपने बच्चों के साथ माता-पिता को पोषण और संबंध बनाने में मदद करने के उद्देश्य से परिवार के अनुकूल नीतियों के महत्व को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है और स्तनपान को सक्षम बना रहा है.
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क्यों महत्वपूर्ण है स्तनपान?
विशेषज्ञों के अनुसार,स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीड शिशुओं को सही पोषण, रेस्प्रिटॉरी इंफेक्शन, डायरिया, मोटापा और नॉन-कम्यूनिकबल रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है. स्तनपान की प्रक्रिया माताओं को टाइप 2 मधुमेह और कैंसर से बचने में मदद करता है.
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