ब्रेस्ट फीड बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर दिया जाना चाहिए और उसके बाद बच्चे को शुरुआती छह महीनों तक विशेष रूप से इसे जारी रखा जाना चाहिए.
विश्व स्तनपान सप्ताह प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच मनाया जाता है,
यह शिशुओं के लिए सबसे सुरक्षित, स्वास्थ्यप्रद भोजन है, जो कि पोषक तत्वों से भरपूर होता है और यह बच्चे को इंफेक्शन और कई बीमारियों से बचा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और द यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन फंड (यूनिसेफ) के अनुसार, ब्रेस्ट फीड बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर दिया जाना चाहिए और उसके बाद बच्चे को शुरुआती छह महीनों तक विशेष रूप से इसे जारी रखा जाना चाहिए.
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एक्सपर्ट कहते हैं कि स्तनपान मां और बच्चे, दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. स्तनपान शिशुओं को सही पोषण, सांस के इंफेक्शन, डायरिया, मोटापा और कम्यूनिकबल रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है.
शिशुओं को स्तनपान कराने के शुरुआती लाभों के अलावा, यह नए माताओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मां को प्रसवोत्तर अवसाद, स्तन और गर्भाशय के कैंसर और टाइप 2 मधुमेह से बचाता है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे IV के अनुसार, दुर्भाग्य से, जानकारी के अभाव के चलते भारत में, 50 प्रतिशत से कम शिशुओं को शुरुआती 6 महीनों में स्तनपान कराया जाता है.
NDTV ने राजस्थान की 27 वर्षीय कोमल से बात की. उन्होंने कहा,
'मैंने पहले बच्चे के रूप में एक बेटे को जन्म दिया. मैंने उसे ब्रेस्टफीड नहीं कराया. जन्म के बाद पहले महत्वपूर्ण घंटे में भी नहीं. क्योंकि मुझे स्तनपान के बारे में पता नहीं था. मैं उसे गुड़, पानी जैसी चीजें देती थी और एक संयुक्त परिवार में रहती थी. मेरे ससुराल वाले भी उसे मेरे दूध के साथ अन्य तरल पदार्थ देने पर जोर देते थे.'
वह कहती हैं,
'लेकिन मेरे दूसरे बच्चे के टाइम, मैंने पहले छह महीनों में स्तनपान का महत्व समझा.'
कोमल ने यह भी बताया कि वह अपने दोनों बच्चों के स्वास्थ्य में काफी अंतर देखती हैं.
कोमल कहती हैं, ‘मेरा बेटा, जिसे मैंने स्तनपान नहीं कराया था, उसकी इम्यूनिटी बहुत कम थी और वह आसानी से सर्दी का शिकार हो जाता था या दस्त से पीड़ित हो जाता था. जबकि, मेरे दूसरे बच्चे, मेरी बेटी के लिए, मैं उन दिशानिर्देशों से जुड़ी थी, जो मैंने नई दिल्ली के तिगरी कैंप में ‘सेव द चिल्ड्रन' एनजीओ द्वारा आयोजित ‘मॉम स्पेशल कैम्प' में सीखे थे. मैंने उसे शुरू से ही स्तनपान कराना शुरू कर दिया था और वह मेरे बेटे की तुलना में बहुत हेल्दी है.
ब्रेस्टफीडिंग एक सहज प्राकृतिक प्रक्रिया है. कोमल जैसी कई माताओं को जन्म के पहले शुरुआती घंटे के अंदर बच्चे को दूध पिलाने के महत्व और फिर उन्हें पहले छह महीनों तक विशेष रूप से ब्रेस्टफीड कराने के बारे में बुनियादी बातों की जानकारी नहीं थी.
‘सेव द चिल्ड्रन', बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने वाली एक एनजीओ ने नई दिल्ली के तिगरी कैंप में एक कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें वे स्तनपान के महत्व पर माताओं को जागरूक करती है. ‘सेव द चिल्ड्रन' की कम्युनिटी हेल्थ वालंटियर बिमला भीलवाड़ा ने एनडीटीवी से कहा, ‘हम माताओं को स्तनपान की बुनियादी बातों के बारे में बताते हैं और हमें यह देखकर खुशी होती है कि माताएं यहां जो सीखती हैं, उसे अपने डेली रूटिन में शामिल भी करती हैं और यहां तक कि अपने आसपास के लोगों में इसका प्रचार करती हैं. यह समय की जरूरत है और यह बहुत महत्वपूर्ण है'
विश्व स्तनपान सप्ताह प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच मनाया जाता है, ताकि स्तनपान को प्रोत्साहित किया जा सके और दुनिया भर के शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार हो सके. यह अगस्त 1990 में सरकारी नीति निर्माताओं, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और अन्य संगठनों द्वारा स्तनपान को बचाने, बढ़ावा देने और समर्थन करने की भी याद करता है.
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