RSV इंफेक्शन, जिसे Respiratory syncytial virus कहते हैं. ये वायरस आमतौर पर छोटे बच्चों को होता है. अधिकांशतः दो साल की उम्र तक के बच्चे आसानी से इस वायरस का शिकार हो सकते हैं.

इस वायरस का हमला होने पर सर्दी, खांसी, हल्का बुखार, सिरदर्द हो सकता है.
कोरोना काल में सर्दी, जुकाम हो जाए तो ही डर लगने लगता है. पर हर सर्दी, जुकाम और बुखार कोरोना नहीं होता. कुछ ऐसे भी वायरस हैं जो कोरोना की तरह ही शरीर पर असर दिखाते हैं. पर कोरोना से कम या कभी कभी ज्यादा घातक हो सकते हैं. ऐसा ही एक संक्रमण है RSV इंफेक्शन, जिसे Respiratory Syncytial Virus कहते हैं. ये वायरस आमतौर पर छोटे बच्चों को होता है. अधिकांशतः दो साल की उम्र तक के बच्चे आसानी से इस वायरस का शिकार हो सकते हैं. इसका ये कतई मतलब नहीं कि बड़ों पर इसका कोई असर नहीं होता. ये वायरस कभी भी किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है. हालांकि बड़े लोगों और स्वस्थ बच्चों में इसके लक्षण बहुत माइल्ड ही नजर आते हैं. एक साल से कम उम्र के बच्चों को ये वायरस ज्यादा तेजी से जकड़ता है. या फिर वो लोग जिन्हें हार्ट या लंग्स की कोई बीमारी होती है उन पर भी वायरस अपना असर दिखाता है.
RSV इंफेक्शन के लक्षण
इस वायरस का हमला होने पर सर्दी, खांसी, हल्का बुखार, सिरदर्द हो सकता है. पर अगर संक्रमण बढ़ जाए तो यही गंभीर रूप ले लेती हैं. तेज बुखार, कफ, सांस लेते-छोड़ते वक्त तेज आवाज, सांस लेने में तकलीफ,ऑक्सीजन की कमी के चलते शरीर नीला पड़ना ये इस वायरस के गंभीर लक्षणों में शामिल हैं.
बच्चों के मामले में लक्षणों में थोड़ा बहुत अंतर आता है. RSV का हमला होने पर बच्चों का खाना पीना भी प्रभावित होता है. तेज सांस चलना या सांस लेने में मुश्किल होना, कफ, खाना खाने में दिक्कत, चिड़चिड़ापन, थकान ये बच्चों में दिखाई देने वाले प्रमुख लक्षण हैं.
जानें टीके से पहले और बाद की सावधानियां
ये वायरस फैलता कैसे है?
आंख, नाक या मुंह के जरिए ये वायरस किसी के भी शरीर में प्रवेश कर सकता है. किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर इस वायरस की चपेट में आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने, ज्यादा नजदीक जाने से इंफेक्शन आसानी से हो सकता है. बच्चे अक्सर अपने खिलौने मुंह में लेते हैं. वायरस का संक्रमण इससे भी हो सकता है. इसलिए कोशिश करें कि बच्चों के खिलौनों को समय समय पर सैनिटाइज कर सकें. क्योंकि सिर्फ बच्चे ही नहीं उन्हें उठाने रखने की वजह से आप भी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं.संक्रमित व्यक्ति पहले सप्ताह सबसे ज्यादा इंफेक्शन फैलाने की क्षमता रखता है. इस वायरस का असर चार हफ्ते तक रह सकता है.
RSV से कैसे बचें?
इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि आप खुद भी हाथ धोने की आदत डालें और बच्चों में भी यही आदत विकसित करें.
किसी भी संक्रमित व्यक्ति से दूर बनाकर रखें.
घर में साफ सफाई रखें, खासतौर से बच्चों के खिलौनों की.
एक दूसरे के जूठे ग्लास या चम्मच का उपयोग न करें
किसी भी संक्रमित बच्चे के आसपास स्मोक बिलकुल न करें
किसी भी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करने में देर न करें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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