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30 साल की महिला को पेट में दर्द के इलाज में पता चला कि वह पुरुष है, फिर पता चला ये...

यह घटना सामने आई पश्चिम बंगाल के कोलकाता में. यहां एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. इस महिला को एबडॉमिनल पैन की शि‍कायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था. और यहीं इलाज के दौरान यह चौंकानें वाला सच सामने आया है, जिसने उसकी दुनिया ही बदल दी.

30 साल की महिला को पेट में दर्द के इलाज में पता चला कि वह पुरुष है, फिर पता चला ये...

महिला की उम्र 30 साल बताई गई है और इनकी शादी को नौ साल हो गए हैं.

खास बातें

  1. यह घटना पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सामने आई.
  2. महिला की उम्र 30 साल बताई गई है.
  3. जन्म से ही महिला में बच्चेदानी और ओवरीज नहीं हैं.

कोलकाता: एक इंसान अपनी जिंदगी के 30 साल गुजार देता है यह सोचकर कि वह एक महिला है, लेकिन 30 साल बाद जब वह किसी सेहत से जुड़ी परेशानी को लेकर अस्पताल में भर्ती होती है, तो वहां उसे पता चलता है कि वह औरत नहीं पुरुष है. जी हां, हो सकता है कि आपको यह एक कहानी लगे, लेकिन यह हकीकत है. यह घटना सामने आई पश्चिम बंगाल के कोलकाता में. यहां एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. इस महिला को एबडॉमिनल पैन की शि‍कायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था. और यहीं इलाज के दौरान यह चौंकानें वाला सच सामने आया है, जिसने उसकी दुनिया ही बदल दी. 

इस महिला की उम्र 30 साल बताई गई है और इनकी शादी को नौ साल हो गए हैं. एबडॉमिनल पैन की शि‍कायत के बाद जब वह अस्पताल में इलाज के लिए गई तो पता चला कि वह एक 'पुरुष' है उन्हें टेस्टि‍कल कैंसर (Testicular Cancer) है. हैरानी की बात तो यह है कि इस महिला की छोटी बहन, जिसकी आयु 28 साल है, वह भी जांच के दौरान 'एंड्रोजन इंसेंसिविटी सिंड्रोम' (Androgen Insensitivity Syndrome) से ग्रस्त मिली. 'एंड्रोजन इंसेंसिविटी सिंड्रोम' वह स्थिति है जब इंसान जेनेटिक रुप से पुरुष पैदा हो, लेकिन उसके भौतिक लक्षण महिलाओं वाले हों.

30 साल की यह महिला बीरभूम की निवासी है. यह इलाज के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैंसर हॉस्पिटल पहुंची थीं. जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों को महिला की असली पहचान का पता चला. 



महिला का इलाज करने वाले डॉक्टर दत्ता का कहना है कि 'वह देखने में पूरी तरह से महिला लगती हैं. उनकी आवाज, स्तनों का विकास और अन्य सभी अंग महिलाओं की तरह ही हैं. लेकिन उनमें जन्म से ही बच्चेदानी महिला में यूटरस और ओवरीज नहीं हैं. 

डॉक्टर ने बताया कि एंड्रोजन इंसेंसिविटी सिंड्रोम 22,000 हजार लोगों में से एक में पाई जाती है.



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