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कुंडली नहीं रिपोर्ट मिलाएं... ये है बच्चों के मरने की बड़ी वजह, रोज मरते हैं सैंकडों बच्चे!
अपने घर में और अपनी त्वचा पर उपयोग किए जाने वाले उत्पादों से अवगत रहें. स्वस्थ भोजन करें और अपने आहार में ताजा फल और सब्जियां शामिल करें.
भारत में हर दिन सैकड़ों बच्चों का जन्म कई प्रकार के दोषों के साथ होता है, जिसके कारण दिव्यांगता और मृत्यु के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. देश में जेनेटिक विकार एक बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या, जिसके लिए माता-पिता को सोचे-समझे विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की जल्द से जल्द जरूरत है. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का मानना है, "उन मामलों में आनुवांशिक परीक्षण जरूरी है, जहां किसी एक साथी में वंशानुगत विकार हैं, परिवार में अनुवांशिक विकार का इतिहास है, कई गर्भावस्था क्षति का इतिहास है, या बच्चों में जन्मजात विसंगतियां हैं. कई महिलाएं देरी से गर्भावस्था वाली जीवन शैली का चयन कर रही हैं, और देश के कुछ हिस्सों में असंगतता के प्रसार के साथ, भारत में आनुवांशिक विकारों के साथ पैदा होने वाले बच्चों का एक बड़ा जोखिम है."
कुंडली नहीं रिपोर्ट मिलाएं...
उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा, "भारत वह देश है, जहां विवाह से पहले कुंडली मिलाने को बड़ा महत्व दिया जाता है. हालांकि, अब समय इस बात का है कि शादी से पहले जेनेटिक स्क्रीनिंग या परीक्षण और परामर्श भी अनिवार्य कर देना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कई मुद्दों को रोकने में मदद मिलेगी."
मौतों का बड़ा आंकड़ा
यूनिसेफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब एक लाख 34 हजार बच्चों की मृत्यु पांच साल से कम उम्र में ही हो जाती है. इनमें से लगभग 10 प्रतिशत जन्मजात विकृतियों के कारण होती है. जन्मजात विकृतियों से पैदा हुए बच्चांे में से आधे से अधिक एकल जीनों में दोषों के कारण होते हैं, जबकि 10 प्रतिशत गुणसूत्र असामान्यताओं के कारण होते हैं.
क्या करें उपाय
डॉ. अग्रवाल ने बताया, "आनुवंशिक असामान्यताओं के साथ पैदा होने वाले बच्चों की खतरनाक संख्या के साथ अब वक्त है कि भारत एनजीएस नियमित आनुवंशिक परीक्षण को अपनाए. यह एक व्यापक परीक्षण है और सभी प्रकार के आनुवांशिक उत्परिवर्तनों का पता लगा सकता है और एक ही समय में सटीक, तेज और लागत प्रभावी है."
रखें ध्यान
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "अपने घर में और अपनी त्वचा पर उपयोग किए जाने वाले उत्पादों से अवगत रहें. स्वस्थ भोजन करें और अपने आहार में ताजा फल और सब्जियां शामिल करें. तनाव से निपटने के लिए कदम उठाएं. व्यायाम, समुचित नींद, और मेडिटेशन को महत्व दें. आप तनाव से छुटकारा पाने के लिए योग का चयन भी कर सकते हैं. अच्छी नींद लें. धूम्रपान और मदिरापान से बचें या कम करें."
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उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा, "भारत वह देश है, जहां विवाह से पहले कुंडली मिलाने को बड़ा महत्व दिया जाता है. हालांकि, अब समय इस बात का है कि शादी से पहले जेनेटिक स्क्रीनिंग या परीक्षण और परामर्श भी अनिवार्य कर देना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कई मुद्दों को रोकने में मदद मिलेगी."
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यूनिसेफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब एक लाख 34 हजार बच्चों की मृत्यु पांच साल से कम उम्र में ही हो जाती है. इनमें से लगभग 10 प्रतिशत जन्मजात विकृतियों के कारण होती है. जन्मजात विकृतियों से पैदा हुए बच्चांे में से आधे से अधिक एकल जीनों में दोषों के कारण होते हैं, जबकि 10 प्रतिशत गुणसूत्र असामान्यताओं के कारण होते हैं.
क्या करें उपाय
डॉ. अग्रवाल ने बताया, "आनुवंशिक असामान्यताओं के साथ पैदा होने वाले बच्चों की खतरनाक संख्या के साथ अब वक्त है कि भारत एनजीएस नियमित आनुवंशिक परीक्षण को अपनाए. यह एक व्यापक परीक्षण है और सभी प्रकार के आनुवांशिक उत्परिवर्तनों का पता लगा सकता है और एक ही समय में सटीक, तेज और लागत प्रभावी है."
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रखें ध्यान
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "अपने घर में और अपनी त्वचा पर उपयोग किए जाने वाले उत्पादों से अवगत रहें. स्वस्थ भोजन करें और अपने आहार में ताजा फल और सब्जियां शामिल करें. तनाव से निपटने के लिए कदम उठाएं. व्यायाम, समुचित नींद, और मेडिटेशन को महत्व दें. आप तनाव से छुटकारा पाने के लिए योग का चयन भी कर सकते हैं. अच्छी नींद लें. धूम्रपान और मदिरापान से बचें या कम करें."
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