पार्किंसंस रोग की शुरुआत (ईओपीडी) 40 साल की उम्र से पहले भी हो सकती है. 60 साल की उम्र में इसकी प्रसार दर प्रति एक लाख आबादी में 247 है.
आंख के पीछे तंत्रिका कोशिकाओं की परत रेटिना के पतले होते जाने का पार्किंसंस रोग (पीडी) से संबंध हो सकता है. एक अनुसंधान में इस बात का खुलासा हुआ है. एक अध्ययन के मुताबिक, रेटिना का पतलापन मस्तिष्क कोशिकाओं की क्षति से जुड़ा हुआ है, जो डोपामाइन का उत्पादन करती हैं. डोपामाइन से गति को नियंत्रित किया जाता है. यह पीडी का एक हॉलमार्क है जो मोटर क्षमता को कम करता है. अगर अन्य अध्ययनों में भी इसकी पुष्टि हो जाती है तो रेटिना स्कैन न केवल इसके शीघ्र उपचार का रास्ता खोल सकता है, बल्कि इससे उपचार की अधिक सटीक निगरानी भी संभव हो सकेगी.
पार्किंसंस रोग की शुरुआत (ईओपीडी) 40 साल की उम्र से पहले भी हो सकती है. 60 साल की उम्र में इसकी प्रसार दर प्रति एक लाख आबादी में 247 है.
कैसे होती है समस्या
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "पार्किंसंस की बीमारी तब होती है जब डोपामाइन का उत्पादन करने वाली मस्तिष्क कोशिकाओं में समस्या उत्पन्न हो जाती है. यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में से एक प्रतिशत तबके को प्रभावित करती है. इसका कोई इलाज नहीं है, हालांकि कई दवाएं कुछ समय के लिए लक्षणों में सुधार ला सकती हैं."
बीमारी के तीन से पांच चरण होते हैं.
- स्टेज-1 और स्टेज-2 में लोगों को झटके लगते हैं और वे चलने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं.
- स्टेज-3 में लक्षण खराब हो सकते हैं और संतुलन व धीमी गति से चलने वाले नुकसान का कारण बन सकते हैं.
- उन्नत चरणों में, उन्हें बुनियादी कार्यों के लिए देखभाल करने की जरूरत हो सकती है.
- युवा और बूढ़े लोगों, दोनों में यह स्थिति होती है. यह स्थिति, सिर पर आघात, पर्यावरण के लिए विषाक्त - पदार्थों के संपर्क में आने या पारिवारिक इतिहास के कारण हो सकती है.
- शुरुआत में एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना कंडीशन के बेहतर प्रबंधन में मदद कर सकता है.
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इलाज
- हालांकि पार्किंसंस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ उपचार से जटिलताओं की रफ्तार को कम किया जा सकता है.
- जिन लोगों की अवस्था गड़बड़ा जाती है, उन्हें सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है.
- अगर आपको कोई लक्षण दिखाई देता है तो एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण हो सकता है.
- सामान्य जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लाकर (जैसे कि आराम और व्यायाम में), शारीरिक चिकित्सा के जरिये, - व्यावसायिक चिकित्सा से और बोलने की चिकित्सा से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है.
सावधानियां
- हाइड्रेटेड रहना हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है, पार्किंसंस वाले लोगों को तो खास तौर से.
- हर दिन छह से आठ गिलास पानी पीना चाहिए.
- पार्किंसंस से बचाव में विटामिन डी को उपयोगी पाया गया है, इसलिए ताजी हवा और धूप प्राप्त करने से लक्षणों में सुधार हो सकता है.
- अलग-अलग तरह के व्यायाम और शारीरिक चिकित्सा क्षमताओं में सुधार ला सकते हैं और पार्किंसंस की प्रगति को धीमा कर सकते हैं.
- पूरक आहार लेने और व्यायामक करने के बारे में पहले अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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