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कहीं जिस बात पर आप बच्चे को डांट रहे हैं वह कोई बीमारी तो नहीं...!

किडनी संबंधी रोग बच्चों को कई रूपों में प्रभावित करती है.

कहीं जिस बात पर आप बच्चे को डांट रहे हैं वह कोई बीमारी तो नहीं...!

Bed-wetting: बच्चों में आम किडनी संबंधी रोग हैं- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम, वीयूआरए यूटीआई.

हम सभी स्वस्थ और स्वच्छ रहना चाहते हैं. अपने शरीर की बाहरी सफाई का ध्यान तो हम रख लेते हैं, लेकिन शरीर के भीतर की सफाई का काम हमारी किडनी (गुर्दा) संभालता है. यह हमारे शरीर की विषाक्तता (Toxin) और अनावश्यक कचरे को बाहर निकालकर हमें स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं, लेकिन केवल एक किडनी ही सारी जिंदगी सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में अकेले ही सक्षम होती है. हाल के सालों में डायबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों की संख्या में तेजी हो रही बढ़ोतरी हो रही है जो आने वाले समय में किडनी रोगियों (kidney patient) की संख्या में तेजी से होने वाली वृद्धि की ओर संकेत करता है.

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गुरुग्राम स्थित नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सुदीप सिंह सचदेव का कहना है कि किडनी संबंधी रोग बच्चों को कई रूपों में प्रभावित करती है, जिसमें इलाज किए जाने वाले विकारों के साथ ही जीवन को खतरे में डालने वाले लंबे समय वाले परिणाम शामिल हैं. बच्चों में होने वाले मुख्य किडनी संबंधी रोग हैं- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम, वीयूआरए यूटीआई आदि.



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किडनी रोग के लक्षण- 
किडनी की खराबी वाले बच्चों में आम तौर पर देखा जाता है- 
- चेहरे में सूजन
- भूख में कमी
- मितली 
- उल्टी 
- उच्च रक्तचाप
- पेशाब संबंधित शिकायतें
- पेशाब में झाग आना
- रक्त अल्पता
- कमजोरी
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- शरीर में दर्द
- खुजली और पैरों में ऐंठन.
- बच्चे का धीमा विकास (slow growth in children)
- छोटा कद और पैर की हडिड्यों का झुकना  
- किडनी की नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम (Nephrotic Syndrome) आम बीमारी है. 
- पेशाब में प्रोटीन का जाना
- रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी
- कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं. 
- किडनी के इस रोग की वजह से किसी भी उम्र में शरीर में सूजन हो सकती है, लेकिन आम तौर पर यह रोग बच्चों में देखा जाता है.



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क्या होता है प्रभाव 
डॉ. सचदेव ने कहा कि सही उपचार से बीमारी पर कंट्रोल किया जा सकता है. और इसके बाद भी फिर से सूजन दिखाई देना, यह सिलसिला सालों तक चलते रहना यह नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की विशेषता है. लंबे समय तक बार-बार सूजन होने की वजह से यह रोग मरीज और उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए एक चिंताजनक रोग है. नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में किडनी के छन्नी जैसे छेद बड़े हो जाने के कारण अतिरिक्त पानी और उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन भी पेशाब के साथ निकल जाता है, जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है.

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क्यों कर देते हैं बच्चे बिस्तर गीला
वीयूआर पीड़ित बड़े बच्चे भी बिस्तर खराब कर देते हैं. ऐसे बच्चों में वेसिको यूरेटेरिक रिफ्लक्स बीमारी होने का अंदेशा रहता है. यह वह रोग है, जिसमें (वाइल यूरिनेटिंग) यूरिन वापस किडनी में आ जाती है. डॉ. सचदेव ने बताया कि वीयूआर में शिशु बार-बार मूत्र संक्रमण (यूटीआई) का शिकार होता है और इसके कारण उसे बुखार आता है. आमतौर पर फिजिशियन बुखार कम करने के लिए एंटीबायोटिक देते हैं लेकिन वीयूआर धीरे-धीरे ऑर्गन को डैमेज करता रहता है. वीयूआर नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की आम समस्या है, लेकिन इससे बड़े बच्चे और वयस्क भी प्रभावित हो सकते हैं.

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कौन होते हैं शिकार- 
सौ नवजात शिशुओं में से एक या दो शिशु वीयूआर से पीड़ित होते हैं. बच्चों में यूटीआई को डायग्नोज करना कठिन होता है. उपचार न कराया जाए तो उम्र बढ़ने के साथ लक्षण भी बढ़ने लगते हैं. जैसे नींद में बिस्तर गीला करना, उच्च रक्तचाप, यूरिन में प्रोटीन आना, किडनी फेलियर. 

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लड़कियों को होता है ज्यादा खतरा
डॉ. सचदेव ने कहा कि लड़कियों में इसके होने की आशंका लड़कों से दुगनी होती है. अगर यूटीआई का उपचार नहीं कराया जाए तो किडनी के ऊतकों को स्थायी नुकसान पहुंचता है, जिसे रिफ्लक्स नेफ्रोपैथी कहा जाता है. जब यूरिन का बहाव उल्टा होता है तो किडनी पर सामान्य से अधिक दबाव पड़ता है. अगर किडनी संक्रमित हो जाती है तो समय के साथ उतकों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है. इससे उच्च रक्तचाप और किडनी फेलियर होने का खतरा अधिक हो जाता है.

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क्या है बर्थ डिफेक्ट- 
क्रोनिक किडनी डिजीज शिशु में बर्थ डिफेक्ट (शिशु केवल एक किडनी के साथ या किडनी की असामान्य संरचना के साथ पैदा हो), आनुवांशिक रोग (जैसे पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज), इंफेक्शन, नेफ्रोटिक सिंड्रोम (ऐसे लक्षणों का समूह जिसमें यूरिन में प्रोटीन और पानी का खत्म होना और शरीर में नमक प्रतिधारणा जो यह किडनी डैमेज का संकेत दे), सिस्टेमिक डिजीज (जिसमें किडनी के साथ ही शरीर के कई अंग शामिल हों जैसे फेफड़े), यूरिन ब्लॉकेज वगैरह शामिल है.

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डॉ.सचदेव ने कहा कि जन्म से लेकर चार वर्ष तक बर्थ डिफेक्ट और आनुवांशिक रोग किडनी फेलियर का कारण बनते हैं. पांच से चौदह वर्ष की उम्र तक किडनी फेलियर का मुख्य कारण आनुवांशिक रोग, नेफ्रोटिक सिंड्रोम और सिस्टेमिक डिजीज बनता है. (इनपुट-आईएएनएस)

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