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किडनी के लिए कितना बुरा हो सकता है दूषित पानी, इस गांव में मर रहे हैं लोग...

पेयजल की समस्या नहीं लगती इसलिए इसके कारणों के बारे में परीक्षण कराया जा रहा है और मिटटी की भी जांच कराई जा रही है.

किडनी के लिए कितना बुरा हो सकता है दूषित पानी, इस गांव में मर रहे हैं लोग...

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित गरियाबंद जिले का गांव सुपेबेड़ा साफ पानी के अभाव में मर रहा है. (प्रतीकात्मक फोटो)

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित गरियाबंद जिले का गांव सुपेबेड़ा साफ पानी के अभाव में मर रहा है. जिला प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो लगभग डेढ़ हजार की आबादी वाले इस गांव में वर्ष 2009 से अब तक किडनी की बीमारी से ग्रस्त 64 लोगों की मौत हुई है.बताया जाता है कि लगभग हर घर में कोई न कोई बीमारी का शिकार है. सुपेबेड़ा गांव गरियाबंद जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके देवभोग से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर बसा है.  यहां के कई ग्रामीण किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं. जिला प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो लगभग डेढ़ हजार की आबादी वाले इस गांव में वर्ष 2009 से अब तक जान गंवाने वाले लोगों में से 64 लोग किडनी की बीमारी से ग्रस्त थे. बताया जाता है कि गांव में अन्य लोग भी बीमार हैं. गांव में रह रहे 30 बरस के तरूण कुमार सिन्हा की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं. दो बच्चों के पिता तरूण बताते हैं कि पिछले एक साल से तो वह कोई कामकाज ही नहीं कर पा रहे हैं. जमीन बेचकर इलाज करा रहे हैं, लेकिन अब वह पैसा भी खत्म होने को है.

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तरूण की पत्नी मालती को शिकायत है कि गांव में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए कुछ नहीं किया जा रहा ह. गांव में ही रहने वाली 28 वर्षीय प्रेमशीला के पति प्रीतम सिंह किडनी की बीमारी से ग्रस्त थे. 23 मई को उनकी मृत्यु हो गई. प्रीतमसिंह के पिता भी इसी बीमारी से पीड़ित थे और वर्ष 2011 में उनका निधन हुआ. प्रेमशीला के तीन बच्चे हैं और रोजी रोटी का कोई जरिया नहीं है.  गांव की सरपंच सुनीता नायक बताती है कि पीने का पानी ठीक नहीं होने के कारण लोग परेशान हैं. गांव के बोरवैल को पानी में फ्लोराइड और हैवी मेटल की मात्रा अधिक होने के कारण बंद कर दिया गया है. ग्रामीणों को इसका पानी इस्तेमाल नहीं करने की सूचना दी जा रही है. उन्होंने बताया कि फिलहाल पास के गांव निष्ठीगुडा के बोरवैल से पानी दिया जा रहा है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है. गरियाबंद जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे अरूण कुमार रात्रे बताते हैं कि सुपेबेड़ा में पानी में फ्लोराइड और आर्सेनिक की अधिक मात्रा की जानकारी मिली है. 

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इसके अलावा ग्रामीण पड़ोसी राज्य उड़ीसा से आने वाली अवैध शराब पीते हैं और क्षेत्र में झोला छाप डॉक्टरों के गलत इलाज की वजह से भी ग्रामीणों को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा है. गांव के मोहन लाल आडिल ने बताया कि लगभग दो महीने पहले ही उन्होंने अपने बेटे देवनारायण का विशाखापटनम के अस्पताल में आपरेशन करवाया है. बेटे की किडनी में पथरी थी.  इसी तरह 40 वर्षीय कमुता बाई आडिल का विशाखापटनम में इलाज चल रहा है. गरियाबंद जिले के कलेक्टर श्याम धावड़े का कहना है कि गांव में साफ पेयजल के लिए प्लांट लगाया गया है तथा पेयजल की अलग व्यवस्था की गई है. हालांकि उनका कहना है कि यह सिर्फ पेयजल की समस्या नहीं लगती इसलिए इसके कारणों के बारे में परीक्षण कराया जा रहा है और मिटटी की भी जांच कराई जा रही है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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