लंबे समय तक ढोल बजाने वालों के दिमाग (Brain) की संरचना और कार्य उन लोगों से अलग होते हैं जो संगीत से बिल्कुल दूर होते हैं. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है. अध्ययन का सुझाव है कि जो लोग ड्रम बजाते हैं उनके दिमाग के दो हिस्सों के बीच उनके संपर्क पथ में कम लेकिन मोटे फाइबर होते हैं.
ड्रम बजाने वाले लोगों का दिमाग सामान्य लोगों के दिमाग से करता है अलग काम
लंबे समय तक ढोल बजाने वालों के दिमाग (Brain) की संरचना और कार्य उन लोगों से अलग होते हैं जो संगीत से बिल्कुल दूर होते हैं. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है. अध्ययन का सुझाव है कि जो लोग ड्रम बजाते हैं उनके दिमाग के दो हिस्सों के बीच उनके संपर्क पथ में कम लेकिन मोटे फाइबर होते हैं. एक और खोज में यह भी पाया गया कि मोटर मस्तिष्क के क्षेत्र में यह फाइबर ज्यादा बैलेंस्ड होते हैं. यह अध्ययन ब्रेन एंड बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित किया गया है. यह अध्ययन डॉक्टर लारा श्लाफके बेर और बर्गमैनशिल विश्वविद्यालय इस शोध को डॉ. लारा श्लाफके ने बर्गमैनशिल विश्वविद्यालय के क्लिनिक बोचम और डॉ. सेबेस्टियन ओकेलेनबर्ग, एसोसिएट प्रोफेसर रुर यूनिवर्सिटेड बोचम में बायोप्सीकोलॉजी अनुसंधान इकाई के एसोसिएट प्रोफेसर से किया था.
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अध्ययन के बारे में सारा फ्रेडरिक ने कहा, "यह लंबे समय से समझा गया है कि एक संगीत वाद्ययंत्र बजाना न्यूरोप्लास्टिक प्रक्रियाओं के माध्यम से मस्तिष्क को बदल सकता है." फ्रेडरिक ने कहा "लेकिन किसी ने पहले विशेष रूप से ड्रमर्स की तरफ नहीं देखा. लारा श्लेफके ने अध्ययन की व्याख्या करते हुए कहा, "ज्यादातर लोग केवल एक हाथ से ही मोटर कार्य कर सकते हैं और दोनों हाथों से अलग-अलग लय बजाने में समस्या होती है. ड्रमर ऐसी चीजें कर सकते हैं जो लोगों के लिए असंभव हैं." रिसचर्स ने 20 प्रोफेशनल ड्रमर्स का टेस्ट किया, जिन्हें प्रोफेशन में करीब 17 साल का अनुभव था और हफ्ते में दस घंटे से ज्यादा प्रैक्टिस करते थे.
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उन्होंने विभिन्न एमआरआई इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके उनकी जांच की और डेटा की तुलना 24 असामान्य कंट्रोल म्यूजिकल सब्जेक्ट्स से की. इस डेटा से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ड्रमर्स के दिमाग में गोलार्द्धों के बीच कनेक्टिंग ट्रैक्ट में कम लेकिन मोटे फाइबर होते हैं. इसने उन्हें गोलार्द्धों (Hemispheres) के बीच सूचनाओं को कंट्रोल कर ज्यादा तेजी से आदान-प्रदान करने की होती है.
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