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ये है एक रेयर ट्यूमर, महज 0.5 फीसदी लोग होते हैं शिकार, दिल्ली में हुआ सफल इलाज...
किसी भी तरह के एनेस्थेटिक्स की आवश्यकता नहीं होने के कारण, साइबरनाइफ रोगी के समय को बचाने और बेहतर और जल्द रिकवरी में मदद करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपाय है.
पिछले छह महीने के अधिक समय से रीढ़ की हड्डी के दुर्लभ किस्म के ट्यूमर से पीड़ित 30 वर्षीय गृहिणी का यहां आर्टेमिस हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक इलाज किया गया. ट्यूमर के कारण उन्हें अपने रोजमर्रा के कामों में लगातार परेशानी आ रही थी और उनके लकवा से पीड़ित होने का भी खतरा बना हुआ था. आर्टेमिस हॉस्पिटल के एग्रिम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरो साइंसेस के न्यूरोसर्जरी एंड साइबरनाइफ सेंटर के निदेशक डॉ. आदित्य गुप्ता ने कहा, "ट्यूमर हालांकि पहले चरण में था लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया जाता तो इसके कारण शरीर का एक तरफ का हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता. हालांकि इस तरह के ट्यूमर बहुत दुर्लभ होते हैं. केवल 0.5 प्रतिशत से लेकर एक प्रतिशत तक की आबादी ही इससे प्रभावित होती है."
क्या थे जोखिम:
इस ट्यूमर का परंपरागत रेडियोथेरेपी से इलाज करना जोखिम भरा होता है, इसलिए इस ट्यूमर के आकार और स्थान को ध्यान में रखते हुए, टीम ने साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी करने का फैसला किया. इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगे और रोगी को अस्पताल से तुरंत छुट्टी दे दी गई. रेडियोग्राफिक रिपोर्टों से पता चला कि स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना पहले सत्र के बाद ट्यूमर पूरी तरह से कम हो गया था.
क्या दिखे लक्षण
डॉक्टर ने बताया कि इस मरीज को कई महीने से उसके बाएं कंधे में तेज दर्द होता था जिसकी वह हमेशा अनदेखा कर रही थी. दो बच्चों की मां होने के नाते उन्होंने सोचा कि दर्द अधिक काम करने के कारण हो रहा है, लेकिन उसे लगातार और असहनीय दर्द हो रहा था जिसके कारण उन्हें कई बार चलने में भी कठिनाई होती थी. उसके बाद, उसने इस पर ध्यान देना शुरू किया. लेकिन उसके बाद उसके हाथों और पैरों में संवेदना कम होना शुरू हो गया.
क्या हैं दूसरे खतरे
डॉ. गुप्ता ने कहा, "हालांकि पारंपरिक शल्य चिकित्सा को एक विकल्प के रूप में रखा गया था, लेकिन रोगी को पक्षाघात होने का भी थोड़ा खतरा था और इसलिए इसकी सलाह नहीं दी गई. इसके लिए साइबरनाइफ प्रभावी और सुरक्षित उपचार विकल्प है. इसके नॉन- इंवैसिव और दर्द मुक्त प्रक्रिया होने के कारण, लक्षित विकिरण के हाई डोज से ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया."
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज में इसकी जल्द से जल्द पहचान की अहम भूमिका होती है. हालांकि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज के लिए कई अन्य उपचार विधियां उपलब्ध हो सकती हैं लेकिन पूरी तरह से नॉन-इंवैसिव होने के कारण और किसी भी तरह के एनेस्थेटिक्स की आवश्यकता नहीं होने के कारण, साइबरनाइफ रोगी के समय को बचाने और बेहतर और जल्द रिकवरी में मदद करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपाय है.
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क्या थे जोखिम:
इस ट्यूमर का परंपरागत रेडियोथेरेपी से इलाज करना जोखिम भरा होता है, इसलिए इस ट्यूमर के आकार और स्थान को ध्यान में रखते हुए, टीम ने साइबरनाइफ रोबोट सर्जरी करने का फैसला किया. इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगे और रोगी को अस्पताल से तुरंत छुट्टी दे दी गई. रेडियोग्राफिक रिपोर्टों से पता चला कि स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना पहले सत्र के बाद ट्यूमर पूरी तरह से कम हो गया था.
क्या दिखे लक्षण
डॉक्टर ने बताया कि इस मरीज को कई महीने से उसके बाएं कंधे में तेज दर्द होता था जिसकी वह हमेशा अनदेखा कर रही थी. दो बच्चों की मां होने के नाते उन्होंने सोचा कि दर्द अधिक काम करने के कारण हो रहा है, लेकिन उसे लगातार और असहनीय दर्द हो रहा था जिसके कारण उन्हें कई बार चलने में भी कठिनाई होती थी. उसके बाद, उसने इस पर ध्यान देना शुरू किया. लेकिन उसके बाद उसके हाथों और पैरों में संवेदना कम होना शुरू हो गया.
क्या हैं दूसरे खतरे
डॉ. गुप्ता ने कहा, "हालांकि पारंपरिक शल्य चिकित्सा को एक विकल्प के रूप में रखा गया था, लेकिन रोगी को पक्षाघात होने का भी थोड़ा खतरा था और इसलिए इसकी सलाह नहीं दी गई. इसके लिए साइबरनाइफ प्रभावी और सुरक्षित उपचार विकल्प है. इसके नॉन- इंवैसिव और दर्द मुक्त प्रक्रिया होने के कारण, लक्षित विकिरण के हाई डोज से ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया."
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रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज में इसकी जल्द से जल्द पहचान की अहम भूमिका होती है. हालांकि रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के इलाज के लिए कई अन्य उपचार विधियां उपलब्ध हो सकती हैं लेकिन पूरी तरह से नॉन-इंवैसिव होने के कारण और किसी भी तरह के एनेस्थेटिक्स की आवश्यकता नहीं होने के कारण, साइबरनाइफ रोगी के समय को बचाने और बेहतर और जल्द रिकवरी में मदद करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी उपाय है.
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