बिलीरुबिन का सामान्य लेवल मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने में मदद करता है जबकि इसकी हाई मात्रा पीलिया का कारण बनती है.
पीलिया ऐसी स्थिति है, जिसमें आंखें, स्किन और यहां तक कि यूरिन भी पीला होने लगता है. रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा में वृद्धि के कारण यह परिवर्तन होता है. बिलीरुबिन शरीर का रसायन है, जो लीवर में रेड ब्लड सेल्स के टूटने के कारण अपशिष्ट उत्पाद के रूप में बनता है. बिलीरुबिन का सामान्य लेवल मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने में मदद करता है जबकि इसकी हाई मात्रा पीलिया का कारण बनती है. पीलिया लीवर और पित में गंभीर समस्या का संकेत भी देता है.
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पीलिया का मुख्य कारण शरीर में बिलीरुबिन का असामान्य स्राव होता है जिससे स्किन और आंखें पीली होने लगती हैं. यदि कोई व्यक्ति मलेरिया, स्फेरोसाइटोसिस, थैलेसेमिया और ऑटोइम्यून विकार जैसी बीमारियों से पीड़ित है, तो रेड ब्लड सेल्स तेज गति से टूटने लगती हैं और बिलीरुबिन का उत्पादन अचानक बढ़ जाता है. यदि लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती है तो लीवर के लिए अनावश्यक मात्रा में बिलीरुबिन के स्तर को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है जो पीलिया का कारण बनता है.
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हेपेटाइटिस, सिरोसिस, कैंसर इत्यादि जैसे रोग मेटाबॉलिज्म और बिलीरुबिन के स्तर को कमजोर करते हैं. लीवर के फेल होने के परिणामस्वरूप शरीर में बिलीरुबिन की अधिकता हो सकती है.
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नॉर्मल पित्त नलिका में परेशानी होने के कारण भी पीलिया हो सकता है. यदि शरीर में पित्त नली संकीर्ण हो जाती है, तो बिलीरुबिन युक्त पित्त निकलने लगता है और पीलिया हो जाता है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब कोई व्यक्ति गॉल्स्टोन, अग्नाशयी कैंसर, अग्नाशयशोथ आदि से पीड़ित होता है.
बच्चे में क्या है पीलिया होने का कारण?
नवजात में पीलिया होने का कारण उसका कमजोर होना और विकासशील शारीरिक प्रणाली हो सकती है. बच्चे के कमजोर लीवर के कारण जन्म के तीन या चार दिन बाद पीलिया की जांच करा लेनी चाहिए.
नवजात और मां का अगर ब्लड ग्रुप अलग-अलग है तो भी बच्चे में पीलिया होने की संभावना रहती है. नवजात के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के कारण बिलीरुबिन में वृद्धि होने लगती है, जिससे हेमोलाइसिस हो सकता है.
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नवजात शिशु में पीलिया तब भी हो सकता है जब बच्चा ब्रेस्ट फीड नहीं ले पता. इससे बच्चे के शरीर में खनिजों की कमी होती है और निर्जलीकरण होता है. इसके परिणामस्वरूप आंतों की प्रक्रिया में कठिनाई होने लगती है. इससे शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं और बिलीरुबिन बढ़ने लगता है.
सेफलोहेमेटोमा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु के रक्त के थक्के जमने या कम ब्लड बनने लगता है. अब यह खून के थक्के स्वाभाविक रूप से खत्म होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने में अचानक वृद्धि होने लगती है और बिलीरुबिन के उत्पादन में वृद्धि होने लगती है. इसके बाद यह पीलिया का कारण बन सकता है.
पीलिया के लक्षण क्या हैं?
पीलिया होने का सबसे आम लक्षण आंखों और स्किन में पीलापन आना होता है. अगर आपकी स्किन में भी अचानक परिवर्तन आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. पीलिया के ये अन्य लक्षण भी हैं:
डार्क यूरिन आना
शरीर में खुजली
बिलीरुबिन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण लंबे समय तक थकान
वजन घटना
पेट में दर्द
उल्टी
बुखार
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