अपने आस-पास अधिक पेड़-पौधे लगाकर आप न सिर्फ वातावरण को स्वच्छ रख सकते हैं.
उन्होंने कहा, "यह सूक्ष्म प्रदूषक कण स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं क्योंकि ये सांस के जरिए फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिसके चलते अस्थमा, श्वसन तंत्र में सूजन, फेफड़े का कैंसर और सांस से सम्बंधित अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं."
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मौसम विज्ञानी का कहना है कि हाल में आई धूल भरी आंधियों का कारण सशक्त तूफान की स्थिति का नतीजा है, जो रातभर बरकरार रही, इसके चलते बेहद तेज गति से हवाएं चलीं और अपने साथ धूल व धुंध को उठाकर पहले से ही प्रदूषित उत्तर भारत के शहरों की आबोहवा को और प्रदूषित कर दिया. ठंड के दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक खतरनाक सीमा तक पहुंच जाता है क्योंकि ठंड के दिनों में प्रदूषक तत्व धुंध के साथ वातावरण में जमे रह जाते हैं और इनका असर छटने में ज्यादा समय लगता है.
दुनिया भर में, 91 प्रतिशत आबादी ऐसी जगहों पर रहती है जहां प्रदूषण का स्तर असुरक्षित सीमा तक पहुंच चुका है. मौत के 23 प्रतिशत मामलों का संबंध किसी न किसी प्रकार से प्रदूषण से होता है, जिसे रोका जा सकता है. छोटे बच्चे, महिलाएं बाहर काम करने वाले मजदूर और बुजुर्ग लोग लगातार बदतर स्तर पर पहुंच रहे वायु प्रदूषण की चपेट में आसानी से आ सकते हैं.
इससे बचाव के लिए सुझाव देते हुए प्रोफेसर ने कहा, "अपने आस-पास अधिक पेड़-पौधे लगाकर आप न सिर्फ वातावरण को स्वच्छ रख सकते हैं बल्कि अपने लिए ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा सकते हैं और पर्टिकुलेट मैटर की सघनता को भी कम कर सकते हैं."
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