एक्स रे किरणों के कारण भी थायराइड कोशिकाओं में उत्परिवर्तन हो सकता है, जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.
थायराइड तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो सांस की नली के पास पाई जाती है. यह शरीर के मैटाबोलिज्म को नियंत्रण बनाए रखती है. यह बेहद महत्वपूर्ण ग्रंथि है. आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि देश में करीब 4.2 करोड़ लोग किसी न किसी तरह से थायराइड से पीड़ित हैं. जीवनशैली में बदलाव से यह आजकल आम भारतीय परिवारों खासतौर से शहरी परिवारों में थायराइड की चर्चा आम हो गई है. थायराइड के कम व अधिक स्राव से शरीर के मेटाबोलिज्म पर असर पड़ता है.
कितने तरह के होते हैं थाइराइड
थायराइड से जुड़ी आम समस्याओं की बात करे तो इसमें थायराइड के पांच प्रकार के विकार होते हैं. इसमें हाइपोथायराइडिज्म, हाइपरथायराइडिज्म, आयोडीन की कमी के कारण होने वाले विकार जैसे गॉयटर/गलगंड, हाशिमोटो थायराइडिटिस और थायराइड कैंसर शामिल हैं.
बनते हैं कौन से हॉर्मोन
थायराइड ग्रंथि से दो हॉर्मोन बनते हैं- टी 3 (ट्राई आयडो थायरॉक्सिन) और टी 4 (थायरॉक्सिन). यह हार्मोन शरीर के तापमान, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट को नियंत्रित करते हैं. थायराइड ग्रंथि पर पीयूष/ पिट्यूटरी ग्लैंड का नियंत्रण होता है जो दिमाग में मौजूद होती है. इससे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) निकलता है. जब शरीर में इन हार्मोन का संतुलन गड़बड़ होता है तो व्यक्ति थायराइड का शिकार हो जाता है.
हाइपोथायराइडिज्म स्थिति में थायराइड हार्मोन का स्रवा कम होता है, जिससे शरीर का मेटाबोलिज्म बिगड़ (धीमा हो) जाता है. इसके विपरीत हाइपरथायराइडिज्म तब होता है जब थायराइड हार्मोन की मात्रा शरीर में ज्यादा बनती है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है.
आयोडीन की भूमिका
आयोडीन थायराइड हार्मोन को बनाने के लिए जरूरी है, इसलिए इस मिनरल की कमी के कारण गॉयटर जैसे रोग हो जाते हैं. यही वजह है कि आयोडीन युक्त नमक खाने की सलाह दी जाती है.
हाशिमोटो थायरॉइडिटिस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायराईड पर हमला कर देती है. थायराइड कैंसर पर्यावरणी कारकों व आनुवांशिक कारणों से होता है.
लाइफस्टाइल से है नाता
यह कहना गलत नहीं होगा कि आज थायराइड की बीमारियां जीवनशैली के साथ जुड़ चुकी है. डायबिटीज, हाइपरटेंशन और लिपिड डिसऑर्डर के साथ इनका सीधा संबंध पाया गया है. गलत आहार जैसे वसा युक्त खाद्य पदार्थ, ज्यादा कैलोरी के सेवन, विटामिन और मिनरल्स की कमी से शरीर अपना काम ठीक से नहीं कर पाता. इससे वजन बढ़ना और मोटापा/ओबेसिटी जैसी समस्याएं भी बढ़ती हैं.
आहार का रखें ख्याल
ऐसे कई विटामिन और मिनरल्स हैं जो थायराइड हार्मोन बनाने के लिए जरूरी हैं. अगर आप जरूरी पोषक पदार्थ से युक्त संतुलित आहार नहीं लेंगे तो थायराइड जैसी बीमारियों का सामना करना होगा.
व्यायाम भी है जरूरी
अच्छी सेहत के लिए व्यायाम भी बहुत जरूरी है. लगातार बैठे रहना जहर की तरह है, जो धीरे धीरे शरीर को नष्ट करने लगता है. व्यायाम करने से शरीर का मेटाबोलिज्म सुधरता है. थायराइड ग्लैंड पर व्यायाम का सीधा और सकारात्मक असर पड़ता है.
रासायनिक तत्व भी जिम्मेदार
थायराइड ग्रंथि पर शरीर के अन्य हॉर्मोन का भी असर पड़ता है. हार्मोन का स्तर असंतुलित होने से थॉयराइड पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हवा, पानी और भोज्य पदार्थो में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्व भी थायराइड विकार का कारण हो सकते हैं. एक्स रे किरणों के कारण भी थायराइड कोशिकाओं में उत्परिवर्तन हो सकता है, जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में भोजन व पानी की गुणवत्ता व थायराइड की जांच के लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.
इनपुट आईएएनएस
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कितने तरह के होते हैं थाइराइड
थायराइड से जुड़ी आम समस्याओं की बात करे तो इसमें थायराइड के पांच प्रकार के विकार होते हैं. इसमें हाइपोथायराइडिज्म, हाइपरथायराइडिज्म, आयोडीन की कमी के कारण होने वाले विकार जैसे गॉयटर/गलगंड, हाशिमोटो थायराइडिटिस और थायराइड कैंसर शामिल हैं.
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बनते हैं कौन से हॉर्मोन
थायराइड ग्रंथि से दो हॉर्मोन बनते हैं- टी 3 (ट्राई आयडो थायरॉक्सिन) और टी 4 (थायरॉक्सिन). यह हार्मोन शरीर के तापमान, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट को नियंत्रित करते हैं. थायराइड ग्रंथि पर पीयूष/ पिट्यूटरी ग्लैंड का नियंत्रण होता है जो दिमाग में मौजूद होती है. इससे थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) निकलता है. जब शरीर में इन हार्मोन का संतुलन गड़बड़ होता है तो व्यक्ति थायराइड का शिकार हो जाता है.
हाइपोथायराइडिज्म स्थिति में थायराइड हार्मोन का स्रवा कम होता है, जिससे शरीर का मेटाबोलिज्म बिगड़ (धीमा हो) जाता है. इसके विपरीत हाइपरथायराइडिज्म तब होता है जब थायराइड हार्मोन की मात्रा शरीर में ज्यादा बनती है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है.
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आयोडीन की भूमिका
आयोडीन थायराइड हार्मोन को बनाने के लिए जरूरी है, इसलिए इस मिनरल की कमी के कारण गॉयटर जैसे रोग हो जाते हैं. यही वजह है कि आयोडीन युक्त नमक खाने की सलाह दी जाती है.
हाशिमोटो थायरॉइडिटिस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायराईड पर हमला कर देती है. थायराइड कैंसर पर्यावरणी कारकों व आनुवांशिक कारणों से होता है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि आज थायराइड की बीमारियां जीवनशैली के साथ जुड़ चुकी है. डायबिटीज, हाइपरटेंशन और लिपिड डिसऑर्डर के साथ इनका सीधा संबंध पाया गया है. गलत आहार जैसे वसा युक्त खाद्य पदार्थ, ज्यादा कैलोरी के सेवन, विटामिन और मिनरल्स की कमी से शरीर अपना काम ठीक से नहीं कर पाता. इससे वजन बढ़ना और मोटापा/ओबेसिटी जैसी समस्याएं भी बढ़ती हैं.
आहार का रखें ख्याल
ऐसे कई विटामिन और मिनरल्स हैं जो थायराइड हार्मोन बनाने के लिए जरूरी हैं. अगर आप जरूरी पोषक पदार्थ से युक्त संतुलित आहार नहीं लेंगे तो थायराइड जैसी बीमारियों का सामना करना होगा.
व्यायाम भी है जरूरी
अच्छी सेहत के लिए व्यायाम भी बहुत जरूरी है. लगातार बैठे रहना जहर की तरह है, जो धीरे धीरे शरीर को नष्ट करने लगता है. व्यायाम करने से शरीर का मेटाबोलिज्म सुधरता है. थायराइड ग्लैंड पर व्यायाम का सीधा और सकारात्मक असर पड़ता है.
रासायनिक तत्व भी जिम्मेदार
थायराइड ग्रंथि पर शरीर के अन्य हॉर्मोन का भी असर पड़ता है. हार्मोन का स्तर असंतुलित होने से थॉयराइड पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हवा, पानी और भोज्य पदार्थो में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्व भी थायराइड विकार का कारण हो सकते हैं. एक्स रे किरणों के कारण भी थायराइड कोशिकाओं में उत्परिवर्तन हो सकता है, जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में भोजन व पानी की गुणवत्ता व थायराइड की जांच के लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.
इनपुट आईएएनएस
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