निपाह एन्सेफेलाइटिस की मृत्यु दर 9 से 75 प्रतिशत तक है. निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है.
लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले निपाह वायरस से कुछ सरल उपाय अपनाकर बचा जा सकता है. 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह नाम की जगह से शुरू हुआ निपाह वायरस (Nipah Virus) 10 साल बाद भारत में फिर आ गया है. 2001 और 2007 में यह वायरस पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी सामने आया था. अब यह केरल शहर में फैल रहा है. निपाह वायरस जानवर और इंसान दोनों के लिए जानलेवा है. केरल में एक बार फिर खतरनाक निपाह वायरस की दस्तक है, कोच्चि में एक शख्स इससे प्रभावित मिला है. यह बात केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही है. इसके बाद राज्य सरकार एक बार फिर अलर्ट में आ गई है. पिछले साल ही निपाह वायरस से कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में जानें जा चुकी हैं. लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले निपाह वायरस काफी खतरनाक है. दरअसल निपाह वायरस स्वाभाविक रूप से कशेरुकी जानवरों से मनुष्यों तक फैलती है. यह पुष्टि की गई है कि केरल के बाहर के लोगों को केवल तभी सावधान रहना चाहिए जब वे प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हों या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ रहे हों.
क्या हैं लक्षण
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "नैदानिक रूप से, निपाह वायरस के संक्रमण के लक्षणों की शुरुआत एन्सेफेलेटिक सिंड्रोम से होती है, जिसमें बुखार, सिरदर्द, म्यालगिया की अचानक शुरुआत, उल्टी, सूजन, विचलित होना और मानसिक भ्रम शामिल हैं. संक्रमित व्यक्ति 24 से 48 घंटों के भीतर कॉमेटोज हो सकता है.
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मौत का खतरा
निपाह एन्सेफेलाइटिस की मृत्यु दर 9 से 75 प्रतिशत तक है. निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है. उपचार का मुख्य आधार बुखार और तंत्रिका संबंधी लक्षणों के प्रबंधन पर केंद्रित है. संक्रमण नियंत्रण उपाय अहम हैं, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से ट्रांसमिशन हो सकता है. गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को गहन देखभाल की जरूरी है.
निपाह वायरस को जैव सुरक्षा स्तर (बीएसएल) 4 एजेंट के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्गीकृत किया गया है. खतरनाक और विदेशी एजेंटों के साथ काम के लिए बायोसेफ्टी लेवल 4 की आवश्यकता होती है, जो एयरोसोल-संक्रमित प्रयोगशाला संक्रमण और जानलेवा बीमारी का एक उच्च व्यक्तिगत जोखिम उत्पन्न करता है. यह अक्सर घातक होता है, जिसके लिए कोई टीका या उपचार नहीं होता है.
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रखें सावधानी
- सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खाते हैं वह चमगादड़ या उनके मल से दूषित नहीं है.
- चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें, पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी पीने वाली शराब पीने से बचें, बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में आने से बचें.
- अपने हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ करें और धोएं, आमतौर पर शौचालय के बाल्टी और मग, रोगी के लिए उपयोग किए जाने वाले कपड़े, बर्तन और सामान को अलग से साफ करें.
- निपाह बुखार के बाद मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को कवर करना महत्वपूर्ण है.
- मृत व्यक्ति को गले लगाने या चुंबन करने से बचें.
इनपुट आईएएनएस
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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