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बच्चों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी के ये हैं 4 कारण

बच्चे जहां अब बुखार, फ्लू, सर्दी, टायफाइड जैसी बीमारियों से प्रभावित नहीं होते वहीं कुछ बच्चों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या आम हो गई है.

बच्चों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी के ये हैं 4 कारण

नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के नहीं पता लगते लक्षण

बच्चे जहां अब बुखार, फ्लू, सर्दी, टायफाइड जैसी बीमारियों से प्रभावित नहीं होते वहीं कुछ बच्चों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या आम हो गई है. बड़ों में होने वाली इस बीमारी की चपेट में आश्चयर्यजन रूप से बच्चे आ रहे हैं. परेशानी की बात यह है कि बच्चों में फैटी लिवर बेहद आम समस्या है. बच्चों में होने वाली नॉन एक्कोहॉलिक फैटी लीवर के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. इसकी वज़ह से पेटदर्द या थकान जैसी समस्या हो सकती है. इस बीमारी की पहचान के लिए लिवर बायोप्सी की जाती है. ये बीमारी उन बच्चों में मुख्यतौर पर देखी जाती है जिनका मैटाबॉलिज्म कमज़ोर होता है. युवा किशोरों में किशोरियों के मुकाबले ये बीमारी ज़्यादा देखी जाती है. नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी से पीड़ित बच्चों का तिहाई हिस्सा मेटाबॉलिज्म की गड़बड़ी की समस्या से होते हैं. दो तिहाई बच्चे मोटापे की वज़ह से इस बीमारी से पीड़ित पाए जाते हैं. अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल भी इस बीमारी का एक कारक हो सकता है. इस बीमारी के सही उपचार के लिए बायोप्सी के जरिए बीमारी के सही कारणों को जानना बेहद ज़रूरी है. इस बीमारी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है वज़न कम करना. लेकिन इलाज़ से पहले ये जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिर क्यों बच्चे इस नॉन एक्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हैं. 
 
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1. जंक फूड पर निर्भरता 
अगर आप बच्चों के सामने पिज्जा और हरी सब्जी बनी डिश रखेंगे तो हम दावा कर सकते हैं कि वो पिज्जा ही खाएंगे. बच्चों के पिज्जा बर्गर, नूडल, पास्ता समेत ज़्यादातर जंक फूड पसंदीदा होते हैं. वो अपने स्वास्थ्य को लेकर इतने जागरुक नहीं होते कि शरीर के लिए ज़रूरी प्रोबायोटिक फूड का सेवन करें. जंक फूड पर निर्भरता उनकी सेहत को नुकसान पहुंचाती है. इन जंक फूड्स की वज़ह से बच्चे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर जैसी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. जंक फूड्स से सिर्फ कैलोरी ही शरीर को मिलती है, पोषक तत्व नहीं, ऐसे में उनका वज़न बढ़ने लगता है. इसाथ ही इन जंक फूड्स में ऐसे हानिकारक तत्व भी मौजूद होते हैं जो बाद में गंभीर बीमारियों के कारक बन सकते हैं. 



   
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2. बच्चों में मोटापा
बच्चों में मोटपा नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर का मुख्य कारण बन सकता है. इसके साथ ही ये अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां भी पैदा कर सकता है. आहार संबंधी आदतों, पोषण की कमी और किसी भी तरह के शारीरिक व्यायाम नहीं होने के कारण बच्चों में मोटापा बढ़ जाता है. शरीर में मौजूद ज्यादा वसा आपको काम करने से रोकता है. इससे शरीर के मैटाबॉलिज्म में कमी आती है यहां तक की बाद में इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. 

 
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3. पूर्व मधुमेह की स्थिति
गलत खाने की आदतें और शारीरिक व्यायाम की कमी की वज़ह से छोटी उम्र में ही शरीर केस टाइप -2 मधुमेह से ग्रस्त हो सकता है! ये बच्चों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के कारकों में से एक है. मधुमेह या पूर्व मधुमेह से पीड़ित बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं. 

4. व्यायाम की कमी
प्ले स्टेशन पर गेम्स खेलने की वज़ह से बच्चों में अब बाहर खेलने की आदत कम होने लगी है, जिस वज़ह से उनका शरीर किसी तरह की कसरत में शामिल नहीं हो पाता. व्यायाम की कमी की वज़ह से बच्चों के शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर मोटापे का शिकार हो जाता है, इससे बच्चों में नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है. 

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स्पष्टीकरण: ये ख़बर बीमारी से जुड़ी सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी चिकित्सकीय राय उपलब्ध नहीं कराती है. इस बीमारी से संबंधित जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है. 

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