नवजात शिशुओं में यह हल्का होता है और धीरे-धीरे कुछ दिनों में गायब हो जाता है. हालांकि, वयस्कों की तरह गर्भावस्था के दौरान सावधानीपूर्वक कदम उठाकर आप अपने नवजात बच्चे को पीलिया से बचा सकते हैं.
नवजात को पीलिया एक ऐसी स्थिति है जो मुख्य रूप से जन्म के समय बच्चे को प्रभावित करती है, लेकिन इसे तुरंत उपचार की आवश्यकता नहीं होती है. नवजात शिशुओं में यह हल्का होता है और धीरे-धीरे कुछ दिनों में गायब हो जाता है. हालांकि, वयस्कों की तरह गर्भावस्था के दौरान सावधानीपूर्वक कदम उठाकर आप अपने नवजात बच्चे को पीलिया से बचा सकते हैं. अगर बच्चे के ब्लड में बिलीरुबिन का लेवल हाई है तो नवजात के लिए ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता है. इस ट्रीटमेंट के लिए बच्चे के टेस्ट कराए जाने चाहिए. कई मामलों में, बच्चे को किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उनके ब्लड में पाए जाने वाले बिलीरुबिन का लेवल कम होता है. इन मामलों में अगर 15 दिनों के अदंर बच्चे की स्थिति में सुधार होता है तो यह उसके के लिए हानिकारक नहीं होगा. नवजात को होने वाले पीलिया से निपटने के लिए ये टिप्स हैं जरूरी-
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फोटोथैरेपी: फोटोथैरेपी लाइट के द्वारा किया जाने वाला ट्रीटमेंट है. फोटो-ऑक्सीडेशन नामक प्रक्रिया को पीलिया से पीड़ित नवजात के खून में बिलीरुबिन के स्तर को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में बिलीरुबिन में ऑक्सीजन मिला दी जाती है ताकि यह पानी में आसानी से खत्म हो जाए. इतना ही नहीं इससे बच्चे के शरीर में ब्लड से बिलीरुबिन निकलने में भी मदद मिलती है.
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सनलाइट है जरूरी: हल्का पीलिया होने पर किसी तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती. बच्चे को बस बार-बार धूप में लेकर जाते रहें. इससे स्किन में मौजूद बिलीरुबिन अपने आप पिछल जाते हैं और यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं.
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बार-बार दूध पिलाना: शरीर से अतिरिक्त बिलीरुबिन को बाहर निकालने के लिए हाइड्रेशन जरूरी है. ऐसे में बच्चे को लगातार दूध पिलाना बेहद आवश्यक है. माताएं कैटनीप, कॉम्फ्री लीफ और एग्रीमनी जैसे सप्लीमेंट ले सकती हैं ताकि वे इसे ब्रेस्ट मिल्क के जरिए बच्चों तक पहुंचा सकें.
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