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बच्चों की परवरिश में कहां चूक करते हैं, जानें बॉलीवुड अदाकारा दिव्या दत्ता से...
कुछ गलत करते हैं तो उन्हें बताएं कि इससे उन्हें क्या नुकसान होगा और बाकी निर्णय उन पर ही छोड़ दें.
अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छा सोचते हैं और करते भी हैं. लेकिन फिर भी बच्चे की परस्नेलिटी या व्यक्तिव वैसा नहीं बन पाता जैसा हम चाहते हैं. इसकी कई वजहें हो सकती हैं. बॉलीवुड अभिनेत्री दिव्या दत्ता का कहना है कि बच्चों को अपने दैनिक जीवन से तनाव और दबाव से दूर रखना चाहिए. दिव्या ने बच्चों की परवरिश पर दिए कुछ सुझाव और कहा कि बच्चों से उनका बचपन नहीं छीना जाना चाहिए. एक नजर बच्चों की परवरिश में होने वाली गलतियों पर और उन्हें सुधारने की राहों पर...
बच्चों को बच्चा ही रहने दें-
दिव्या का कहना है कि बच्चों को उनका बचपना लौटाने की जरूरत है. वे अगर फिल्मों और कार्यक्रमों की शूटिग के दौरान सेट पर हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी शिक्षा, नींद और पुनर्निर्माण से कोई समझौता न हो. इसके लिए हम सबकों कदम उठाने होंगे.
संतुलन की जरूरत-
एक बात जो दिव्या दत्ता ने कही वह बेहद अहम है. उनके अनुसार बच्चों से उनका बचपना न छीनें. एक सुंदर संतुलन ही मंत्र है. वाकई अगर आप बच्चों को बहुत ज्यादा पढ़ाई में या गेजेट्स में व्यस्त रखेंगे तो यह उनके लिए ठीक नहीं. जरूरी है कि वे घर से बाहर व घर के अंदर अपनी उम्र के अनुसार खेलें और इस उम्र की यादें बनाएं, जिन्हें वे आने वाले समय में याद कर प्रफुल्लित हो सकें.
जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है. इसलिए अपने बच्चे में अनुशासन ड़ालें. सुबह उठने, दिन में खाने और पढ़ने से लेकर टीवी और फोन पर बिताए जाने वाले समय का भी पूरा हिसाब रखें. उसे बताएं कि किस तरह उसके जीवन में हर चीज अहम है.
हम सभी के साथ ऐसा हुआ है कि हमें बचपन में किसी न किसी 'बाबा' 'हउआ' या छिपकली से ड़रा कर रखा जाता था. यह तरीका आप अपने बच्चे पर न अपनाएं. अगर वे कुछ गलत करते हैं तो उन्हें बताएं कि इससे उन्हें क्या नुकसान होगा और बाकी निर्णय उन पर ही छोड़ दें.
बच्चों को बच्चा ही रहने दें-
दिव्या का कहना है कि बच्चों को उनका बचपना लौटाने की जरूरत है. वे अगर फिल्मों और कार्यक्रमों की शूटिग के दौरान सेट पर हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी शिक्षा, नींद और पुनर्निर्माण से कोई समझौता न हो. इसके लिए हम सबकों कदम उठाने होंगे.
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संतुलन की जरूरत-
एक बात जो दिव्या दत्ता ने कही वह बेहद अहम है. उनके अनुसार बच्चों से उनका बचपना न छीनें. एक सुंदर संतुलन ही मंत्र है. वाकई अगर आप बच्चों को बहुत ज्यादा पढ़ाई में या गेजेट्स में व्यस्त रखेंगे तो यह उनके लिए ठीक नहीं. जरूरी है कि वे घर से बाहर व घर के अंदर अपनी उम्र के अनुसार खेलें और इस उम्र की यादें बनाएं, जिन्हें वे आने वाले समय में याद कर प्रफुल्लित हो सकें.
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अनुशासन जरूरीजीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है. इसलिए अपने बच्चे में अनुशासन ड़ालें. सुबह उठने, दिन में खाने और पढ़ने से लेकर टीवी और फोन पर बिताए जाने वाले समय का भी पूरा हिसाब रखें. उसे बताएं कि किस तरह उसके जीवन में हर चीज अहम है.
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ड़राएं नहीं समझाएंहम सभी के साथ ऐसा हुआ है कि हमें बचपन में किसी न किसी 'बाबा' 'हउआ' या छिपकली से ड़रा कर रखा जाता था. यह तरीका आप अपने बच्चे पर न अपनाएं. अगर वे कुछ गलत करते हैं तो उन्हें बताएं कि इससे उन्हें क्या नुकसान होगा और बाकी निर्णय उन पर ही छोड़ दें.
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