पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थ व्यवहार या खाने के पैटर्न में किसी भी परिवर्तन किए बिना सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए एक सरल और सस्ता तरीका इस्तेमाल किया जा सकता है.

छात्रों में विटामिन डी की कमी से निजात दिलाएगी 'प्रोजेक्ट धूप'
खास बातें
- प्रोजेक्ट धूप की शुरुआत
- विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए नई पहल
- असेम्बली टाइम हुआ शिफ्ट
विटामिन डी मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश के संपर्क में प्राप्त होता है, जिसके बिना कमी की संभावना होती है. कोलेस्ट्रॉलिन पर सूर्य का प्रकाश यकृत और गुर्दे में अतिरिक्त रूपांतरणों के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में बदल देती है.
भारत के अधिकांश हिस्सों में लोगों को पूरे वर्ष तक प्रचुर मात्रा में धूप मिलती है. अध्ययनों से पता चला है कि 90 प्रतिशत फीसदी लड़कों और लड़कियों में विटामिन डी की कमी है. अकेले दिल्ली में, 90 से 97 प्रतिशत स्कूली बच्चों (6-17 वर्ष आयु वर्ग के) में विटामिन डी की कमी होती है.
प्रोजेक्ट धूप की शुरुआत करते हुए एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा, "वास्तिविकता यह है कि ज्यादातर बच्चे भारत में विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं, इसके बावजूद हम में से अधिकतर इसके गंभीर परिणामों से अवगत नहीं हैं."
उन्होंने बताया कि पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थ व्यवहार या खाने के पैटर्न में किसी भी परिवर्तन किए बिना सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए एक सरल और सस्ता तरीका इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि दोनों पोषक तत्वों वाले दूध और खाद्य तेल अब पूरे देश में आसानी से उपलब्ध हैं.
वैज्ञानिक सलाहकार और सीनियर कंसल्टेंट इनडोक्रोलिनोलॉजी (सेवानिवृत्त) मेजर जनरल डॉ. आर.के. मारवाह ने कहा, "मानव शरीर की हड्डियों को मजबूत और शरीर के अन्य प्रणालीगत कार्यो को बनाने के लिए पर्याप्त विटामिन डी की आवश्यकता है. शरीर की विटामिन डी आवश्यकता के लगभग 90 प्रतिशत को सूर्य के प्रकाश से पूरा किया जाता है और केवल 10 प्रतिशत आहार के माध्यम से मिलता है."
उन्होंने कहा, "लोकप्रिय धारणा के विपरीत कि सुबह की धूप हमारी हड्डियों के लिए सबसे अच्छी है, यह वास्तव में 11 बजे सुबह से एक बजे दोपहर तक की धूप है जो कि मानव शरीर में विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में सबसे अधिक फायदेमंद है. इसलिए, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि बच्चों को मजबूत हड्डियों और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए धूप से अवगत कराया जाए."
एनसीईआरटी, एनडीएमसी और उत्तर एमसीडी स्कूलों और स्कूल के अधिकारियों व प्रतिनिधियों ने कहा, "हम निश्चित रूप से इस अवसर को गंभीरता से देखेंगे. हम सभी स्कूलों को सुबह की असेंबली को दोपहर असेंबली में बदलने की सलाह देंगे. यह छोटा कदम बच्चों को स्वस्थ वयस्कों में विकसित करने में मदद कर सकता है." (इनपुट - आईएएनएस)
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