वर्तमान अध्ययन से सिंड्रोम में विटामिन डी की भूमिका को जानने और समझने में महत्वपूर्ण उन्नति हुई है।
धूप लेने या विटामिन डी की खुराक से पेट में अच्छे जीवाणु की संख्या बढ़ाने और मेटाबॉलिक सिंड्रोम रोकने में मदद मिल सकती है। उपापचयी सिंड्रोम एक प्रकार के लक्षणों के समूह हैं जो डायबिटीज़ और दिल के रोगों का खतरा बढ़ाने वाले कारक हैं। एक नए शोध में यह बात सामने आई है।
वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया कि विटामिन डी की कमी चूहों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम की प्रगति के लिए जरूरी होती है, जो पेट में होने वाली गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है।
अमेरिका के सेडर्स-सिनाई चिकित्सा केंद्र के शोधकर्ताओं में से एक स्टीफेन पंडाल ने कहा, "अध्ययन के आधार पर, हमारा मानना है कि सूर्य के प्रकाश, आहार या खुराक के जरिए विटामिन डी के स्तर को उच्च रखना मेटाबॉलिक सिंड्रोम को रोकने और इलाज में लाभकारी साबित हो सकता है।"
मेटाबॉलिक स्रिडोंम वयस्क जनसंख्या के करीब एक चौथाई भाग पर असर डालती है। इस सिंड्रोम को एक समूह कारक के तौर पर परिभाषित किया गया है जो आपको दिल के रोगों और डायबिटीज़ की तरफ ले जाते हैं।
इसके विशेष लक्षणों में कमर के चारों तरफ मोटापा और उच्च रक्त शर्करा स्तर, उच्च रक्त चाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे लक्षण शामिल हैं। इससे ग्रस्त मरीजों में आमतौर पर जिगर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है।
हालांकि अध्ययन में मेटाबॉलिक सिंड्रोम विटामिन डी की कमी से संबंधित पाया गया। इससे दुनिया भर की 30-60 फीसदी आबादी प्रभावित है।
वर्तमान अध्ययन से सिंड्रोम में विटामिन डी की भूमिका को जानने और समझने में महत्वपूर्ण उन्नति हुई है।
इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'जर्नल फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी' में किया गया। इसमें कहा गया है कि सिर्फ उच्च वसा की खुराक मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इसके लिए विटामिन डी की कमी भी जरूरी है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया कि विटामिन डी की कमी चूहों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम की प्रगति के लिए जरूरी होती है, जो पेट में होने वाली गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है।
अमेरिका के सेडर्स-सिनाई चिकित्सा केंद्र के शोधकर्ताओं में से एक स्टीफेन पंडाल ने कहा, "अध्ययन के आधार पर, हमारा मानना है कि सूर्य के प्रकाश, आहार या खुराक के जरिए विटामिन डी के स्तर को उच्च रखना मेटाबॉलिक सिंड्रोम को रोकने और इलाज में लाभकारी साबित हो सकता है।"
मेटाबॉलिक स्रिडोंम वयस्क जनसंख्या के करीब एक चौथाई भाग पर असर डालती है। इस सिंड्रोम को एक समूह कारक के तौर पर परिभाषित किया गया है जो आपको दिल के रोगों और डायबिटीज़ की तरफ ले जाते हैं।
इसके विशेष लक्षणों में कमर के चारों तरफ मोटापा और उच्च रक्त शर्करा स्तर, उच्च रक्त चाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे लक्षण शामिल हैं। इससे ग्रस्त मरीजों में आमतौर पर जिगर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है।
हालांकि अध्ययन में मेटाबॉलिक सिंड्रोम विटामिन डी की कमी से संबंधित पाया गया। इससे दुनिया भर की 30-60 फीसदी आबादी प्रभावित है।
वर्तमान अध्ययन से सिंड्रोम में विटामिन डी की भूमिका को जानने और समझने में महत्वपूर्ण उन्नति हुई है।
इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'जर्नल फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी' में किया गया। इसमें कहा गया है कि सिर्फ उच्च वसा की खुराक मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इसके लिए विटामिन डी की कमी भी जरूरी है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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