डॉ. अंजू सूद, बंगलोर स्थित न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि 'आजकल खाने में कनोला तेल का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है.

ऐसा बहुत कम होता है, जब हेल्थ एक्सपर्ट खाने में फ्राइड शामिल करने की राय देते हैं. रेस्तरां या स्ट्रीट फूड पर जब लोग तला हुआ खाते हैं, तो उन्हें यह नहीं पता होता कि फ्राइड स्नैक्स किस तेल में बना हुआ है. क्या वह नया तेल है या पुराने तेल को ही दोबारा इस्तेमाल किया गया है. लेकिन आप घर पर फ्राई खाने को बनाने के लिए अपनी पसंद का तेल प्रयोग में ला सकते हैं, जो आपकी सेहत के साथ खाने की सुगंध और स्वाद को भी बनाए रखेगा.
वीकेंड यानी थोड़ी-थोड़ी देर बाद खाने की नई-नई फरमाइशें, और अगर मौसम बारिश का हो, तो सबको चाय की चुस्की के साथ गर्मा-गर्म पकोड़े या फ्राइड मोमोज खाने की तलब लगना है. लेकिन ये ऑयली और मसालेदार खाना आपकी सेहत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. लेकिन अब आपको इन सभी बातों की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि सेहत के साथ स्वाद को बढ़ावा देने के लिए आप अपने खाने में कनोला तेल (सफेद सरसों का तेल) जो शामिल कर सकते हैं. तो आइए बताते हैं कि इससे बनी कौन-सी हेल्दी डिश आप डीप फ्राई कर खाने की टेबल पर परोस सकते हैं.
क्या है ये कनोला तेल
कनोला तेल, कनोला पेड़ के बीज से निकाला जाता है. यह ब्रैसिका परिवार समेत पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रॉक्ली का अंश है. यह तेल कनोला पेड़ के बीज को मसलकर निकाला जाता है. जो बाद में शुद्ध और परिवर्तित होकर बोतल में भरकर रखा जाता है. इसका रंग पीला सुनहरा होता है, और स्वाद में मध्यस्थ और गंधहीन होता है. यह तेल तेज आंच को सहन करने वाला होता है, जिसे 242 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जा सकता है.
ऑफिस में बैठे-बैठे भूख लगने पर आप न जाने क्या-क्या खाते रहते हैं. खुद को फिट रखने के लिए अपनी डाइट में सही खाने को चुनना बहुत जरूरी है. डॉ. अंजू सूद, बंगलोर स्थित न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि 'आजकल खाने में कनोला तेल का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है.
इसके अलावा उच्च पोषक तत्व और तीव्रता से दबाकर निकाले जाने वाले जैतून के तेल को खाने में शामिल करने की भी सलाह दी जा रही है. लेकिन भारत में इसे प्रयोग में लाने की कमी की वजह यह है कि इसका स्मोक प्वाइंट कम है.'
अच्छा स्वास्थ्य बनाने के तरीके
कनोला तेल को खाने में शामिल कर खुद के स्वास्थ्य को कैसे सही ढंग से रख सकते हैं, आपको बताते हैं -
1. अच्छी चिकनाई का साधन - कनोला तेल ख़ासतौर से दो तरह के पॉलिअनसैचूरेटिड फैट से भरा है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6... यह दो ऐसे फैट है, जो शरीर में खुद से पैदा न होकर कई शारीरिक कार्यों को करने में मदद करते हैं. साथ ही दिल की बीमारियों को भी दूर रखते हैं.
2. कोलेस्टेरॉल से लड़ने के योग्य - इसमें सैचूरेटिड फैट कम और मोनोअनसैचूरेटिड फैट ज़्यादा होता है. यह दोनों ही शरीर में एक दूसरे के विरुद्ध काम करते हैं. मतलब सैचूरेटिड फैट ख़राब कोलेस्टरॉल (एल. डी. एल.) के लेवल को बढ़ाता है. वहीं मोनोअनसैचूरेटिड फैटी एसिड इसके विरोध में कार्य करता है. साथ ही यह शरीर के हृदय संबंधी रोगों को भी दूर रखता है. इसमें ट्रांस फैट की मात्रा काफी कम है (300 एम. जी. कोलेस्टेरॉल प्रति दिन से भी कम), जो रोज एक स्वस्थ आहार को लेने के लिए बहुत जरूरी है.
3. विटामिन से भरा है - इसमें चिकनाई का समाधान करने के कई कीमती स्रोत हैं, जो कि हैं विटामिन-के और विटामिन-ई. विटामिन-ई, अच्छी त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली के सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी होता है. वहीं, विटामिन-के खून को थक्का बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह तेल शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है.
4. खत्म करता है बैले फैट - खोज से यह भी पता चला है कि कनोला तेल को दो हफ्ते तक रोज अपने खाने में शामिल करने से पेट का मांस 1.6 प्रतिशत कम होता है.
5. नियंत्रण में रखे ब्लड शुगर - एक प्रकाशित शोध के अनुसार, कनोला तेल लो-ग्लाइसेमिक आहार के लिए अच्छा संकेत है. मोनोअनसैचूरेटिड फैटी एसिड की मात्रा ज़्यादा होने के कारण यह टाइप-2 डायबटीज वालों की ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखता है.
पेट के साथ दिल भरकर खाएं
जो लोग डाइट में कोलेस्टेरॉल की कमी रखना पसंद करते हैं, वे तंदरुस्त रहने के लिए कनोला तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें सात प्रतिशत सैचूरेटिड फैट होता है, जो जैतून का तेल-15 प्रतिशत, मक्की का तेल-13 प्रतिशत और सूरजमुखी का तेल-12 प्रतिशत से काफी कम है. वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार कनोला तेल का 1.5 बड़ा चम्मच रोज के खाने में शामिल करने से दिल स्वस्थ रहता है.
वीकेंड यानी थोड़ी-थोड़ी देर बाद खाने की नई-नई फरमाइशें, और अगर मौसम बारिश का हो, तो सबको चाय की चुस्की के साथ गर्मा-गर्म पकोड़े या फ्राइड मोमोज खाने की तलब लगना है. लेकिन ये ऑयली और मसालेदार खाना आपकी सेहत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. लेकिन अब आपको इन सभी बातों की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि सेहत के साथ स्वाद को बढ़ावा देने के लिए आप अपने खाने में कनोला तेल (सफेद सरसों का तेल) जो शामिल कर सकते हैं. तो आइए बताते हैं कि इससे बनी कौन-सी हेल्दी डिश आप डीप फ्राई कर खाने की टेबल पर परोस सकते हैं.
क्या है ये कनोला तेल
कनोला तेल, कनोला पेड़ के बीज से निकाला जाता है. यह ब्रैसिका परिवार समेत पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रॉक्ली का अंश है. यह तेल कनोला पेड़ के बीज को मसलकर निकाला जाता है. जो बाद में शुद्ध और परिवर्तित होकर बोतल में भरकर रखा जाता है. इसका रंग पीला सुनहरा होता है, और स्वाद में मध्यस्थ और गंधहीन होता है. यह तेल तेज आंच को सहन करने वाला होता है, जिसे 242 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जा सकता है.
ऑफिस में बैठे-बैठे भूख लगने पर आप न जाने क्या-क्या खाते रहते हैं. खुद को फिट रखने के लिए अपनी डाइट में सही खाने को चुनना बहुत जरूरी है. डॉ. अंजू सूद, बंगलोर स्थित न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि 'आजकल खाने में कनोला तेल का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है.
इसके अलावा उच्च पोषक तत्व और तीव्रता से दबाकर निकाले जाने वाले जैतून के तेल को खाने में शामिल करने की भी सलाह दी जा रही है. लेकिन भारत में इसे प्रयोग में लाने की कमी की वजह यह है कि इसका स्मोक प्वाइंट कम है.'
अच्छा स्वास्थ्य बनाने के तरीके
कनोला तेल को खाने में शामिल कर खुद के स्वास्थ्य को कैसे सही ढंग से रख सकते हैं, आपको बताते हैं -
1. अच्छी चिकनाई का साधन - कनोला तेल ख़ासतौर से दो तरह के पॉलिअनसैचूरेटिड फैट से भरा है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6... यह दो ऐसे फैट है, जो शरीर में खुद से पैदा न होकर कई शारीरिक कार्यों को करने में मदद करते हैं. साथ ही दिल की बीमारियों को भी दूर रखते हैं.
2. कोलेस्टेरॉल से लड़ने के योग्य - इसमें सैचूरेटिड फैट कम और मोनोअनसैचूरेटिड फैट ज़्यादा होता है. यह दोनों ही शरीर में एक दूसरे के विरुद्ध काम करते हैं. मतलब सैचूरेटिड फैट ख़राब कोलेस्टरॉल (एल. डी. एल.) के लेवल को बढ़ाता है. वहीं मोनोअनसैचूरेटिड फैटी एसिड इसके विरोध में कार्य करता है. साथ ही यह शरीर के हृदय संबंधी रोगों को भी दूर रखता है. इसमें ट्रांस फैट की मात्रा काफी कम है (300 एम. जी. कोलेस्टेरॉल प्रति दिन से भी कम), जो रोज एक स्वस्थ आहार को लेने के लिए बहुत जरूरी है.
3. विटामिन से भरा है - इसमें चिकनाई का समाधान करने के कई कीमती स्रोत हैं, जो कि हैं विटामिन-के और विटामिन-ई. विटामिन-ई, अच्छी त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली के सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी होता है. वहीं, विटामिन-के खून को थक्का बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह तेल शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है.
4. खत्म करता है बैले फैट - खोज से यह भी पता चला है कि कनोला तेल को दो हफ्ते तक रोज अपने खाने में शामिल करने से पेट का मांस 1.6 प्रतिशत कम होता है.
5. नियंत्रण में रखे ब्लड शुगर - एक प्रकाशित शोध के अनुसार, कनोला तेल लो-ग्लाइसेमिक आहार के लिए अच्छा संकेत है. मोनोअनसैचूरेटिड फैटी एसिड की मात्रा ज़्यादा होने के कारण यह टाइप-2 डायबटीज वालों की ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखता है.
पेट के साथ दिल भरकर खाएं
जो लोग डाइट में कोलेस्टेरॉल की कमी रखना पसंद करते हैं, वे तंदरुस्त रहने के लिए कनोला तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें सात प्रतिशत सैचूरेटिड फैट होता है, जो जैतून का तेल-15 प्रतिशत, मक्की का तेल-13 प्रतिशत और सूरजमुखी का तेल-12 प्रतिशत से काफी कम है. वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार कनोला तेल का 1.5 बड़ा चम्मच रोज के खाने में शामिल करने से दिल स्वस्थ रहता है.
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