सेनेटरी कचरे का निपटान आसान करने के लिए नई-नई तकनीकी इजाद की जा रही हैं. इसी बीच सौख्यम ने केले के फाइबर से पैड बनाने की तरकीब खोज निकाली. 2017 से केले के फाइबर से सेनेटरी पैड बनाया जा रहा है.
सौख्यम ने केले के फाइबर से पैड बनाने की तरकीब खोज निकाली है.
आज भी महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई और इससे होनी वाली अलग-अलग बीमारियों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं हैं. इसके साथ ही सेनेटरी पैड्स को लेकर भी नए प्रयोग किए जा रहे हैं सेनेटरी कचरे का निपटान आसान करने के लिए नई-नई तकनीकी इजाद की जा रही हैं. इसी बीच सौख्यम ने केले के फाइबर से पैड बनाने की तरकीब खोज निकाली. 2017 से केले के फाइबर से सेनेटरी पैड बनाया जा रहा है. यह सेनेटरी पैड रीयूजेबल हैं यानी कि इससे एक बार यूज करने के बाद दोबारा से यूज किया जा सकता है. सौख्यम का कहना है कि ये पैड यूज करने के बाद आसानी से धुल जाते हैं और इनमें दाग धब्बे नहीं लगते हैं और एक बार खरीदने पर ये 3 से 4 साल तक चल सकते हैं.
जानें क्या है इन पैड्स की खासियत
बाजार में मिलने वाले दूसरे पैड्स का इस्तेमाल एक बार कर उन्हें फेंक दिया जाता है. ये पैड्स डिस्पोजेबल होते लेकिन सौख्यम पैड्स के साथ ऐसा कोई झंझट नहीं है. इन पैड्स को कटे हुए केले के पेड़ के रेशो से बनाया जाता है. इन रेशो को कपड़े में लपेट कर बनाया जाता है. केले के पेड़ से बनने वाला सैनिटरी पैड रक्त सोखने के काम में ज्यादा अच्छा माना जाता है. सौख्यम पैड्स बनाने की पहल माता अमृतानंदमयी मठ ने की. जो लड़कियों और महिलाओं को उनके मासिक धर्म के लिए बेहतरीन साधन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी.
मठ का नेतृत्व माता अमृतानंदमयी देवी करती हैं, जो आध्यातमिक और मनवतावादी गुरू के रूप में विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हैं. इसके अलावा सौख्यम टीम मासिक धर्म में स्वच्छता रखने के लिए और डिस्पोजेबल पैड्स से होने वाले नुकसानों से अवगत कराने के लिए वर्कशॉप का आयोजन करती है.
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