ग्लोबल वार्मिंग डेंगू बुखार को फैलने से रोकने में मदद कर सकती है लेकिन साथ ही यह उस बैक्टीरिया के प्रभाव को भी कम कर सकती है, जिसका इस्तेमाल मच्छरों में वायरल इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है.

यह बात पत्रिका ‘पीएलओएस नगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज’ में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में कही गई है.
ग्लोबल वार्मिंग डेंगू बुखार को फैलने से रोकने में मदद कर सकती है लेकिन साथ ही यह उस बैक्टीरिया के प्रभाव को भी कम कर सकती है, जिसका इस्तेमाल मच्छरों में वायरल इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है. यह बात पत्रिका ‘पीएलओएस नगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज' में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में कही गई है. रिसर्च में पाया गया कि डेंगू वायरस का संक्रमण मच्छरों को गर्म तापमान के प्रति और ज्यादा संवेदनशील बना देता है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हाल में डेंगू के खिलाफ बायोलॉजिकल कंट्रोल के रूप में इस्तेमाल किए गए बैक्टीरिया‘वोल्बाचिया' भी कीटों की थर्मल सेंसिटिविटी को बढ़ा देते हैं. गौरतलब है कि डेंगू बुखार मच्छर ‘एडीज एजिप्टी' के काटने से फैलने वाले वायरस से होता है. यह बीमारी घातक है जिसका अभी कोई खास इलाज मौजूद नहीं है.
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अमेरिका की पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एलिजाबेथ मैक्ग्रॉ ने कहा, ‘‘यह मच्छर (एडीज एजिप्टी) वायरस से पैदा होने वाली कई बीमारियों, जैसे कि जीका, चिकनगुनिया और पीला बुखार, के लिए भी जिम्मेदार है.'' हाल के सालों में, शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में ‘एडीज एजिप्टी' मच्छरों को बैक्टीरिया ‘वोल्बाचिया' से संक्रमित कर और फिर उन्हें वातावरण में छोड़कर इन वायरस पर नियंत्रण के प्रयास किए हैं. डेंगू सहित विभिन्न विषाणुओं को मच्छरों के शरीर में बढ़ने से रोकने में जीवाणु ‘वोल्बाचिया' मददगार रहा है. मैक्ग्रॉ ने कहा कि डेंगू वायरस और वोल्बाचिया बैक्टीरिया दोनों ही मच्छरों के शरीर में विभिन्न ऊतकों को संक्रमित करते हैं और विषैले न होने के बावजूद एक रोग प्रतिरोधक दबाव प्रतिक्रिया पैदा करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि डेंगू और वोल्बाचिया से संक्रमित मच्छर पहले ही दबाव प्रतिक्रिया का सामना कर रहे होते हैं, हमने सोचा कि वे गर्मी जैसी अतिरिक्त दबाव वाली चीज से निपटने में कम सक्षम होंगे.''
शोधकर्ताओं ने संक्रमित मच्छरों को सीलबंद शीशियों में रखा और फिर इन शीशियों को 42 डिग्री सेल्सियस तक गर्म पानी में रखा. इसके बाद उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि मच्छरों को गतिहीन होने में कितना समय लगा और फिर इसकी तुलना गैर संक्रमित मच्छरों के गतिहीन होने के समय से की. टीम ने पाया कि डेंगू वायस से संक्रमित मच्छरों में गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशीलता पैदा हो गई. वे गैर संक्रमित मच्छरों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक गति से ‘गतिहीन' हो गए. इसी तरह गैर संक्रमित मच्छरों की तुलना में वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छर चार गुना अधिक गति से ‘गतिहीन' हो गए. इसके बाद, शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष में कहा कि ग्लोबल वार्मिंग डेंगू बुखार के प्रसार को सीमित करने में मदद कर सकती है लेकिन साथ ही यह उस जीवाणु के प्रभाव को भी कम कर सकती है जिसका इस्तेमाल मच्छरों में वायरल इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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