किसी प्रकार का संक्रमण होने या चोट लगने से इस पर दाग या धब्बा पड़ जाने से यह पारदर्शी नहीं रह जाती है, जिससे आंखों की रोशनी प्रभावित होती है. कभी-कभी अंधा होने का भी खतरा बना रहता है.
संक्रमण के कारण आंखों की रोशनी जाने के खतरे से अब बचा जा सकता है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी दवा विकसित की है जो आंखों की रोशनी बनाए रखने में मदद कर सकती है. आंख की कॉर्निया पारदर्शी होती है, इसलिए इसे श्वेत पटल भी कहते हैं. लेकिन किसी प्रकार का संक्रमण होने या चोट लगने से इस पर दाग या धब्बा पड़ जाने से यह पारदर्शी नहीं रह जाती है, जिससे आंखों की रोशनी प्रभावित होती है. कभी-कभी अंधा होने का भी खतरा बना रहता है.
वैज्ञानिकों ने एक आई-ड्रॉप तैयार की है. इसमें फ्लुइड जेल के साथ-साथ जख्म को भरने वाला प्रोटीन डेकोरीन है.
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वैज्ञानिकों ने बताया कि यह फ्लुइड जेल आंख की पटल की सुरक्षा करने में कारगर है. अनुसंधान में बताया गया है कि आई-ड्रॉप लेने के कुछ दिनों में इसका असर दिखने लगता है.
बर्मिघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता लियाम ग्रोवर ने कहा, "फ्लुइड जेल एक नया पदार्थ है जो ठोस से तरल अवस्था में बदल सकता है. मतलब यह खुद आंख की पटल पर फैल जाता है और उस पर बना रहता है, जिससे धीरे-धीरे आंखों का धुंधलापन समाप्त हो जाता है."
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विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एन. लोगान ने कहा कि आई ड्रॉप में यह नया फ्लुइड जेल आंखों की पटल पर डेकोरीन प्राप्त करने के लिए बनाया गया है. (इनपुट-आईएएनएस)
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