लम्बे समय से लोगों में इस बात को लेकर बहस चलती आ रही है कि व्हाइट ब्रेड ज्यादा हेल्दी है या ब्राउन ब्रेड. ब्रेड खरीदने से पहले आपको इनकी विशेषताओं के बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए.
लम्बे समय से लोगों में इस बात को लेकर बहस चलती आ रही है कि व्हाइट ब्रेड ज्यादा हेल्दी है या ब्राउन ब्रेड. ब्रेड खरीदने से पहले आपको इनकी विशेषताओं के बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए. ध्यान रहे, आपको इस बात का खास ध्यान रखना है कि ब्राउन ब्रेड या व्हाइट ब्रेड की गुणवत्ता मानक नहीं है. यह मूल्य, ब्रांड, भौगोलिक स्थिति आदि के साथ अलग हो सकती है. वजन कम करने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए व्हाइट ब्रेड और ब्राउन ब्रेड के बीच अंतर जानना महत्वपूर्ण है. यह एक-दूसरे की तुलना में फाइबर से समृद्ध हो सकती है, लेकिन क्या ये वास्तव में वजन घटाने के अनुकूल हैं? आइए जानते हैं.
1. शुगर: व्हाइट ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड में लगभग 1.6 गुना चीनी होती है. इसका कारण ब्रेड को ब्राउन करने के लिए कारमेल का उपयोग है. यह इंगित करता है कि ब्रेड की इन दोनों किस्मों का उत्पादन करने के लिए उपयोग किया जाने वाला आटा एक तरह का ही होता है, बस ब्राउन ब्रेड में मिलाया गया कारमेल, इसके रंग को बदल देता है.
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2. प्रोटीन सामग्री: ब्राउन ब्रेड में प्रोटीन अधिक पाया जाता है. 100 ग्राम ब्रेड में 0.5 ग्राम प्रोटीन होता है. यह अंतर बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से यह ब्राउन ब्रेड को अधिक पोष्टिक बनाता है.
3. फैट: ब्राउन ब्रेड में वसा की मात्रा और सैचरेटिड फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है. 100 ग्राम ब्राउन ब्रेड में 1.08 ग्राम, वहीं सफेद ब्रेड में 0.52 ग्राम फैट होता है. इसके विपरीत, ब्राउन ब्रेड में सैचरेटिड फैटी एसिड की मात्रा भी सफेद ब्रेड की तुलना में दोगुनी होती है. अगर आप इनकी कम मात्रा का सेवन करते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जब अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो ऐसे में आप व्हाइट ब्रेड का रूख कर सकते हैं.
4. आहारीय फाइबर: यह महत्वपूर्ण अंतर है जो ब्राउन ब्रेड को अधिक नम्बर देता है. व्हाइट ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड में आहारीय फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है. हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ आपके ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इतना ही नहीं यह आपको अधिक खाने से भी रोकते हैं. फाइबर शुगर को बेहतर तरीके से अवशोषित करता है, जिससे यह डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है.
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5. आयरन: यह प्वाइंट भी ब्राउन ब्रेड को ही जाता है. जिन लोगों में आयरन की कमी हाती है उन्हें ब्राउन ब्रेड का इस्तेमाल करना चाहिए. व्हाइट ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड में लगभग 3 गुना अधिक आयरन पाया जाता है. आयरन की कमी से आपके शरीर में हीमोग्लोबिन का उत्पादन धीमा हो जाएगा, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीकरण का अभाव होने से, अत्यधिक ऐंठन होना, थका हुआ महसूस करना, ठंड लगाना और कई बार चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
6. कैल्शियम: ब्राउन ब्रेड में 100 मिलीग्राम वहीं व्हाइट ब्रेड में 91 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. मानव शरीर के लिए कैल्शियम एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है क्योंकि यह हड्डियों के विकास, मांसपेशियों के संकुचन, रक्त के थक्के, तंत्रिका आवेग और यहां तक कि हार्ट बीट में सहायक हाता है.
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इसलिए, उपरोक्त स्थिति में कोई स्पष्ट विजेता नहीं है, यह आपकी आहार आवश्यकताओं पर निर्भर करता है. यदि आपको प्रोटीन, लोहा, कैल्शियम और फाइबर की उच्च मात्रा की आवश्यकता है, लेकिन हाई फैट और चीनी लेने में आपको कोई दिक्कत नहीं है, तो आप ब्राउन ब्रेड यूज कर सकते हैं. लेकिन, अगर आप पूरी तरह से फैट और शुगर का सेवन कम से कम करना चाहते हैं, तो सफेद ब्रेड आपके लिए सही ऑप्शन है. यह भी ध्यान दें कि ब्रेड की दोनों किस्मों में हाई रिफाइंड कार्ब्स होता है, ऐसे में अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो इन्हें अपनी डाइट से दूर रखें.
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