दुनियाभर में विकलांगता के बड़े कारणों में से आघात एक है, जिससे समाज पर अत्याधिक आर्थिक और मानवीय बोझ पड़ता है.
स्टीम बाथ ज्यादातर लोगों को पसंद होती है. यह थकान दूर करने का सबसे आरामदायक और आनंददायक तरीका है. अगर आपको यह बताया जाए कि स्टीम बाथ से सेहत को भी नफा होता है तो... जी हां, एक लंबे अध्ययन में दावा किया गया है कि लगातार भाप से नहाने ( स्टीम बाथ ) से आघात लगने के खतरे को बहुत हद तक कम किया जा सकता है.
इस अध्ययन में सामने आया कि हफ्ते में सात बार भाप से नहाने वाले लोगों में उन लोगों की तुलना में आघात लगने का खतरा 61 प्रतिशत तक कम होता है जो हफ्ते में केवल एक बार भाप से नहाते हैं.
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टोल के सेटर कुनुतसोर ने कहा, “ये परिणाम बेहद महत्त्वपूर्ण हैं और लगातार भाप से नहाने के सेहत पर पड़ने वाले कई फायदों को दर्शाते हैं.” दुनियाभर में विकलांगता के बड़े कारणों में से आघात एक है, जिससे समाज पर अत्याधिक आर्थिक और मानवीय बोझ पड़ता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जितने कम अंतराल पर भाप से स्नान किया जाएगा उतना ही आघात लगने का खतरा कम होता है. स्टीम बाथ और आघात के बीच के संबंध पुरुषों और महिलाओं में समान देखे गए चाहे उनकी उम्र, बीएमआई, शारीरिक गतिविधि और सामाजिक - आर्थिक स्थिति कुछ भी हो. पिछले 15 सालों तक किया गया यह अध्ययन ‘न्यूरोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टोल के सेटर कुनुतसोर ने कहा, “ये परिणाम बेहद महत्त्वपूर्ण हैं और लगातार भाप से नहाने के सेहत पर पड़ने वाले कई फायदों को दर्शाते हैं.” दुनियाभर में विकलांगता के बड़े कारणों में से आघात एक है, जिससे समाज पर अत्याधिक आर्थिक और मानवीय बोझ पड़ता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जितने कम अंतराल पर भाप से स्नान किया जाएगा उतना ही आघात लगने का खतरा कम होता है. स्टीम बाथ और आघात के बीच के संबंध पुरुषों और महिलाओं में समान देखे गए चाहे उनकी उम्र, बीएमआई, शारीरिक गतिविधि और सामाजिक - आर्थिक स्थिति कुछ भी हो. पिछले 15 सालों तक किया गया यह अध्ययन ‘न्यूरोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
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