एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी. यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं.
केरल में फैले निपाह वायरस (एनआईवी) ने लोगों के बीच डर का माहौल बना दिया है. राज्य सरकार भले ही हालात पर काबू पाने का बखान कर रही है, लेकिन सवाल खुद को इस संक्रमण से बचाने का है. हार्ट केयर फाउंडनेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने निपाह वायरस के प्रकोप के बारे में कहा, "इस बीमारी के फैलने के साथ ही हमें एक और लड़ाई के लिए तैयार रहना है. यह एक प्रकार के चमगादड़ से फैलती है. संक्रमित जीवों के साथ सीधे संपर्क से बचने के अलावा, जमीन पर गिरे फलों का उपभोग करने से बचना जरूरी है. यह स्थिति इसलिए भी मुश्किल हो जाती है, क्योंकि इस बीमारी के लिए अभी कोई टीका या दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है."
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क्या हैं लक्षण
इसके इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है. वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं. सामान्य लक्षणों में
रखें ध्यान-
लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है.
कैसे करें बचाव
कैसे फैलता है संक्रमण
जब इंसानों में इसका संक्रमण होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है.
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क्या है इतिहास
एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी. यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ये हैं वो 5 सुपरफूड जो दूर करेंगे गैस और अफरा की समस्या
क्या हैं लक्षण
इसके इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है. वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं. सामान्य लक्षणों में
- बुखार होना
- सिर दर्द
- बेहोशी
- मतली आना
- कुछ मामलों में व्यक्ति को गले में कुछ फंसने जैसा महसूस हो सकता है.
- पेट दर्द
- उल्टी
- थकान
- निगाह में धुंधलापन महसूस हो सकता है.
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रखें ध्यान-
लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है.
कैसे करें बचाव
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- सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो.
- चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाए.
- पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें.
- बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें.
- संक्रमित व्यक्त से मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें.
- आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें.
- निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है.
- मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें.
कैसे फैलता है संक्रमण
जब इंसानों में इसका संक्रमण होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है.
Ramzan 2018, रमज़ान फूड : इफ्तार के समय ध्यान रखें ये बातें और सेहत को रखें दुरुस्त...
क्या है इतिहास
एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी. यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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