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भारत में कोरोनावायरस का नया म्यूटेंट क्या है? क्या Double Mutant पहले वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है?

भारत में मामले बढ़ने के पीछे म्यूटेंट की भी भूमिका को अहम माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि कोरोना के मामले अचानक बढ़ने के पीछे डबल म्यूटेंट की भूमिका है. वायरस कैसे म्यूटेट होता है और क्या डबल म्यूटेंट वैरिएंट वैक्सीन की प्रभावकारिता पर कोई असर डालेगा?

भारत में कोरोनावायरस का नया म्यूटेंट क्या है? क्या Double Mutant पहले वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है?

बताया जा रहा है कि कोरोना के मामले अचानक बढ़ने के पीछे डबल म्यूटेंट की भूमिका है.

देश में हर दिन कोरोनावायरस के नए रिकॉर्ड मामले दर्द हो रहे हैं. आम लोगों के लिए इस वायरस को समझ पाना मुश्किल हो रहा है. अभी तक हमें यह जानकारी थी कि कई देशों में वायरस का नया स्ट्रेन आया है. यही कि भारत में एक स्टेन है, एक यूके का स्टेन भी भारत में देखा गया था, जिसके कई मामले पंजाब में सामने आए थे. इसके अलावा ब्राजिल के म्यूटेंट के भी कुछ मामले दिखे, इसके अलावा साउथ अफ्रिका म्यूटेंट के मामले भी भारत में देखने को मिल रहे हैं. और अब एक नया शब्द सुनने को मिल रहा है, डबल म्यूटेंट.

भारत में कोरोना के इस डबल म्यूटेंट वायरस ने नींद उड़ा रखी है. भारत के कई राज्यों में यह वायरस पाया गया है. करीब दस राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश में डबल म्यूटेंट वायरस मिल रहा है. बताया जा रहा है कि कोरोना के मामले अचानक बढ़ने के पीछे डबल म्यूटेंट की भूमिका है. मामले बढ़ने के पीछे म्यूटेंट की भी भूमिका को अहम माना जा रहा है. पर साथ ही ये भी नहीं कहा जा सकता कि मामलों में आए इस उछाल के पीछे 100% सिर्फ म्यूटेंट ही है.

दिल्ली में यू के वेरिएंट भी और डबल म्यूटेंट के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, पंजाब में 80% यूके वेरिएंट के मामले देखे गए हैं. वहीं महाराष्ट्र में करीब 60% मामले डबल म्यूटेंट के हैं. यूके वेरिएंट देश के तकरीबन 18-19 राज्य के 70-80 जिलों में फैला है. वहीं , साउथ अफ्रीकन और ब्रिजिलियन वेरिएंट की मौजूदगी कम जिलों तक ही सीमित. भारत के अलग-अलग तरह के म्यूटेंट हैं. वायरस कैसे म्यूटेट होता है और क्या डबल म्यूटेंट वैरिएंट वैक्सीन की प्रभावकारिता पर कोई असर डालेगा? इस बारे में हमने बात की डॉ. सचिन डी, कंसल्टेंट - इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन स्पेशलिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल से.



कैसे बना है डबल म्यूटेटेड वेरिएंट?

बता दें कि भारत में तेजी से फैले संक्रमण के पीछे संभावित रूप से इसी वेरिएंट को माना जा रहा है. इसे 'डबल म्यूटेंट' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस वेरिएंट में वायरस के दो नए म्यूटेशन हैं. यानी कि जो शुरुआती वायरस का जीनोम था, उसने दो म्यूटेशन किए, फिर ये दो नए म्यूटेशन आपस में मिल गए, जिससे नया वेरिएंट बना. सबसे पहले वायरस के म्यूटेंट वेरिएंट्स यूके, साउथ अफ्रीका और ब्राजील में मिलने शुरू हुए थे.



इसके बाद अब भारत में वायरस के दो वेरिएंट्स ने साथ में मिलकर म्यूटेशन कर लिया और नया वेरिएंट बन गए. हालांकि, अभी यह नहीं पता चल सका है कि ये नया वेरिएंट पहले के मौजूद वेरिएंट से कितना ज्यादा संक्रामक है या फिर इस्तेमाल में आ रही वैक्सीन का इसपर कितना प्रभाव है.

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वायरस कैसे म्यूटेट होता है? | How Does A Virus Mutate?

वायरस म्यूटेट होना यानी जब किसी वायरस में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे उत्परिवर्तन या वायरस म्यूटेशन कहा जा सकता है. हालांकि ज्यादातर म्यूटेशन अक्सर असंगत यानि बेमेल होते हैं. म्यूटेशन वायरस के व्यवहार को बदल सकता है, जिससे यह अधिक संक्रामक या घातक हो सकता है. संभवतः यह निदान, दवाओं और टीकों की प्रभावशीलता को बढ़ा या कम कर सकते हैं. चिकित्सा हस्तक्षेप पर उनके प्रभाव के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं. ऐसे वेरिएंट के टेस्ट और इलाज में बदलाव की जरूरत हो सकती है.

भारत में नया म्यूटेन वेरिएंट क्या है? | What Is The New Mutant Variant In India?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोनावायरस के चार प्रमुख रूप हैं जो भारत में पाए गए हैं- तीन विदेशी और एक नया स्वदेशी. उन सभी में सबसे आम यूके वेरिएंट है- जो 18 राज्यों में 736 लोगों में पाया गया है. वहीं सात राज्यों में 34 लोग दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट से संक्रमित हैं. देश में एक व्यक्ति को ब्राजील के वेरिएंट के साथ डायग्नोस किया गया है जो अधिक संक्रामक है. इन तीनों को विश्व स्तर पर VoCglo के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

क्या डबल म्यूटेन वैरिएंट वैक्सीन की प्रभावशीलता पर असर डालता सकता है?

टीकों पर वैरिएंट के प्रभाव के बारे में अध्ययन जारी हैं. वैक्सीन प्रभावकारिता पर वैरिएंट के प्रभाव के बारे में अध्ययन शुरू में इन-विट्रो विधियों के माध्यम से किया जाता है. जहां टीकाकृत व्यक्तियों के रक्त सीरम में वायरस का परीक्षण किया जाता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि एंटीबॉडी इसे बेअसर कर सकते हैं. एक अधिक सटीक तरीका मानव परीक्षण करना है, लेकिन परिणाम में महीनों लगते हैं.

विदेशों में पाए जाने वाले अन्य वेरिएंट में, डबल म्यूटेंट में पाए जाने वाले दोनों म्यूटेन को संक्रामक वृद्धि या इम्यूनिटी रिएक्शन को बढ़ाते हुए देखा गया है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वर्तमान में म्यूटेन वायरस के टेस्ट के बारे में बता लगाने की कोशिश कर रह है.

क्या डबल म्यूटेंट खतरनाक है? | Is Double Mutant Dangerous?

म्यूटेन वायरस लोगों को अधिक संक्रमित कर सकता है. या एंटीबॉडी को बेअसर कर सकता है. इसका मतलब यह है कि अगर वायरस "सही तरीके से" म्यूटेट होता है, तो यह किसी ऐसे व्यक्ति को दोबारा संक्रमित कर सकता है जो कोविड-19 पहले से ही से ही उबर चुका है, लेकिन माना जा रहा है कि जिन लोगों को टीके लगाए गए हैं या जो कोविड-19 से पहले ही ठीक हो चुके हैं, उनकी तुलना में संक्रमण बहुत हल्का होगा.

यह सबसे कमजोर लोगों को गंभीर बीमारी के खतरे में डाल सकता है, क्योंकि वायरस झुंड के माध्यम से उन तक पहुंच सकता है. अन्य वेरिएंट के विपरीत, भारत के नए डबल वेरिएंट के अधिक घातक या अधिक ट्रांसमिट होने की संभावना नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक डेटा की जरूरत है.


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(डॉ. सचिन डी, कंसल्टेंट - इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन स्पेशलिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल ओल्ड एयरपोर्ट रोड)

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