अंधेरे में जब रेटीना का प्यूपिल फैलता है तब नन्हीं शीशियों से आने वाली रोशनी की वजह से रेटीना को भी रोशनी मिलती है जो नेत्रहीनता की समस्या दूर करती है.
अब उन लोगों को राहत मिल सकती है, जो डायबिटीज यानी मधुमेह के चलते अपनी आंखों की रौशनी गंवा चुके हैं. वैज्ञानिकों ने अंधेरे में चमकने वाले कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किए हैं जो मधुमेह की वजह से होने वाली नेत्रहीनता की समस्या दूर करने में मददगार हो सकते हैं. दुनिया भर में लाखों लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और उन्हें नेत्रहीनता, डायबिटिक रेटिनोथैरेपी का खतरा है. इस समस्या के लिए वर्तमान इलाज तो प्रभावी है लेकिन इसमें दर्द भी होता है क्योंकि इस इलाज में आईबॉल में लेजर और इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है.
अमेरिका के कैलिफोर्निया इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा इलाज विकसित किया है जिसमें दर्द की गुंजाइश नहीं के बराबर है. यह इलाज ‘‘ग्लो इन द डार्क’’ कॉन्टैक्ट लेंस है.
मधुमेह की वजह से पूरे शरीर में नन्हीं रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. आंखों की रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने पर नेत्रहीनता की समस्या होती है क्योंकि रेटीना की तंत्रिका कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और वे खत्म होने लगती हैं.
आम तौर पर रेटीना में नयी तंत्रिका कोशिकाएं भी बनती हैं. लेकिन मधुमेह के मरीजों के रेटीना में, ऑक्सीजन की आपूर्ति के अभाव में बनने वाली ये कोशिकाएं सही तरीके से विकसित नहीं हो पातीं और आंखों के अंदर प्लाज्मा का स्राव होने लगता है जिसकी वजह से दृष्टि बाधित होती है. यही समस्या बढ़ कर नेत्रहीनता का रूप ले लेती है.
नया लेंस इस तरह डिजाइन किया गया है जिससे रात को रेटीना की ऑक्सीजन की मांग कम हो जाती है. इसके लिए आंखों की रॉड कोशिकाओं को नया लेंस स्वयं मामूली रोशनी देता है. यह प्रक्रिया पूरी रात चलती है. इसके लिए लेंस में कलाई में पहनी जाने वाली घड़ी की प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है. ट्रीटियम से भरी नन्हीं शीशियों से रोशनी मिलती है. ट्रीटियम हाइड्रोजन गैस का रेडियोधर्मी स्वरूप है जो अपने क्षरण के दौरान इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है.
अंधेरे में जब रेटीना का प्यूपिल फैलता है तब नन्हीं शीशियों से आने वाली रोशनी की वजह से रेटीना को भी रोशनी मिलती है जो नेत्रहीनता की समस्या दूर करती है.
अमेरिका के कैलिफोर्निया इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा इलाज विकसित किया है जिसमें दर्द की गुंजाइश नहीं के बराबर है. यह इलाज ‘‘ग्लो इन द डार्क’’ कॉन्टैक्ट लेंस है.
मधुमेह की वजह से पूरे शरीर में नन्हीं रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. आंखों की रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने पर नेत्रहीनता की समस्या होती है क्योंकि रेटीना की तंत्रिका कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और वे खत्म होने लगती हैं.
आम तौर पर रेटीना में नयी तंत्रिका कोशिकाएं भी बनती हैं. लेकिन मधुमेह के मरीजों के रेटीना में, ऑक्सीजन की आपूर्ति के अभाव में बनने वाली ये कोशिकाएं सही तरीके से विकसित नहीं हो पातीं और आंखों के अंदर प्लाज्मा का स्राव होने लगता है जिसकी वजह से दृष्टि बाधित होती है. यही समस्या बढ़ कर नेत्रहीनता का रूप ले लेती है.
नया लेंस इस तरह डिजाइन किया गया है जिससे रात को रेटीना की ऑक्सीजन की मांग कम हो जाती है. इसके लिए आंखों की रॉड कोशिकाओं को नया लेंस स्वयं मामूली रोशनी देता है. यह प्रक्रिया पूरी रात चलती है. इसके लिए लेंस में कलाई में पहनी जाने वाली घड़ी की प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है. ट्रीटियम से भरी नन्हीं शीशियों से रोशनी मिलती है. ट्रीटियम हाइड्रोजन गैस का रेडियोधर्मी स्वरूप है जो अपने क्षरण के दौरान इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है.
अंधेरे में जब रेटीना का प्यूपिल फैलता है तब नन्हीं शीशियों से आने वाली रोशनी की वजह से रेटीना को भी रोशनी मिलती है जो नेत्रहीनता की समस्या दूर करती है.
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