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नीली पड़ चुकी थी नवजात बच्ची, डॉक्टरों ने यूं बचाई जान...

उसका पूरा शरीर नीला पड़ गया था और शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन का स्तर मात्र 45 फीसदी (सामान्य स्तर 96-100 फीसदी) था.

नीली पड़ चुकी थी नवजात बच्ची, डॉक्टरों ने यूं बचाई जान...

चेन्नई में चिकित्सकों ने महज 1.19 किलोग्राम की दो सप्ताह की बच्ची को लाईफ सेविंग डक्टल स्टेंटिंग कर नई जिंदगी दी. दुनिया में बिना सर्जरी के इतने छोटे बच्चे पर इस तरह की सफल प्रक्रिया पहली बार हुई है. बच्ची की मां रेवती उसे गंभीर हालत में अपोलो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल्स लाई थी. उस समय उसमें बहुत ज्यादा सायनोसिस था, जिसकी वजह से उसका पूरा शरीर नीला पड़ गया था और शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन का स्तर मात्र 45 फीसदी (सामान्य स्तर 96-100 फीसदी) था.

जांच में पता चला कि बच्ची के दिल से फेफड़ों को खून की आपूर्ति बिल्कुल नहीं हो रही थी. मां के गर्भ में बच्ची एक ट्यूब (पीडीए) की मदद से जिंदा थी, जो फेफड़ों तक आपूर्ति कर रही थी. पैदा होने के बाद बच्ची में पीडीए लगभग बंद हो गई, जिसके कारण फेफड़ों को आपूर्ति रुक गई और बच्ची नीला पड़ने लगी. बच्ची के जिंदा रहने के लिए जरूरी था कि जल्द से जल्द उसके फेफड़ों को खून की आपूर्ति शुरू हो. 

बच्ची बहुत छोटी थी, इसलिए सर्जरी करना बहुत मुश्किल था. ऐसे में डॉक्टरों ने पीडीए को खोलने के लिए स्टेंट डालने का फैसला लिया, ताकि बच्ची फिर से सामान्य रूप से जी सके. यह प्रक्रिया दुनिया भर के कुछ ही अस्पतालों में की जाती है. 

अपोलो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में इंटरवेशनल पीडिएट्रिक कार्डियोलोजिस्ट के कन्सलटेन्ट डॉ. मुथुकुमारन ने कहा, "हमने इस मामले को एमरजेन्सी के रूप में लिया. इतने छोटे बच्चे की धमनियां भी बहुत छोटी होती हैं, हमने बड़ी सावधानी से दायीं फीमोरल वेन से वायर डाली और एक्स-रे की मदद से हम पीडीए तक पहुंचे. बच्ची का वजन बहुत कम था, इसलिए प्रक्रिया के दौरान और बाद में थोड़ी मुश्किल हुई."

उन्होंने कहा, "बच्ची की हार्ट रेट गिर कर 70 पर आ गया था लेकिन हमने तुरंत स्टेंट डालकर ट्यूब को खोल दिया. जिसके बाद बच्ची का सैचुरेशन 85 फीसदी पर आ गया, इसके बाद उसे ब्रीदिंग मशीन पर रखा गया. एक दिन वार्ड में रखने के बाद बच्ची को छुट्टी दे दी गई."

इनपुट आईएएनएस

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