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Diabetes: क्या है पैरों और नसों से जुड़े जोखिम, कैसे करें बचाव

Diabetes: डायबिटिक न्यूरोपैथिक के लक्षण सबसे पहले पैरों में दिखाई देते हैं. फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में इसका असर होने लगता है. इसमें आप महसूस करेंगे कि कोई आपके पैरों को पिन या सुई से सहला रहा है.

Diabetes: क्या है पैरों और नसों से जुड़े जोखिम, कैसे करें बचाव

डायबिटिक न्यूरोपैथिक के लक्षण सबसे पहले पैरों में दिखाई देते हैं.

Diabetes: अगर आप डायबिटीज के मरीज़ हैं और आपको हाथों और पैरों में झुनझुनी, चुभन और सुन्न हो जाने जैसी तकलीफ हो रही है, तो इसे अनदेखा न करें. क्योंकि ये डायबिटिक नर्व डैमेज के संकेत हैं. डायबिटीज में नर्व (Nerves) को नुकसान होने के लक्षण ऐसे ही होते हैं. डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो न केवल ब्लड शुगर के फ्लकचुएशन (Fluctuation) का कारण बनती है बल्कि कई तरह की बीमारियों को भी जन्म देती है. इसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. समय के साथ ये बढ़ा हुआ शुगर लेवल नसों को नुकसान पहुंचाने लगता है. जिससे डायबिटिक नर्व डैमेज का खतरा बढ़ जाता है.

स्तब्ध हो जाना और दर्द महसूस होना इसका मुख्य सिम्टम (symptom) हैं. इसके लक्षणों को अगर समय रहते पहचान लिया जाए, तो गंभीर परिणामों को रोकने में मदद मिल सकती है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और इनमें से किसी एक लक्षण का भी अनुभव करते हैं, तो ज़रा भी देर न करते हुए सीधे डॉक्टर से संपर्क करें. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि डायबिटीज के मरीजों में पैरों और नसों से जुड़े जोखिम के बारे में, और उससे कैसे बचाव किया जा सकता है.



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स्तब्ध हो जाना और दर्द महसूस होना इसका मुख्य सिम्टम (symptom) हैं. Photo Credit: iStock

डायबेटिक नर्व डैमेज के लक्षण:

डायबिटिक न्यूरोपैथिक के लक्षण सबसे पहले पैरों में दिखाई देते हैं. फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में इसका असर होने लगता है. इसमें आप महसूस करेंगे कि कोई आपके पैरों को पिन या सुई से सहला रहा है. कुछ और लक्षण इस प्रकार हैं.

  • टच सेंसटिविटी
  • जलन और दर्द होना
  • झुनझुनी महसूस होना
  • मसल्स का कमजोर होना
  • अपच और उल्टी
  • खड़े होने पर अचानक से चक्कर आना
  • ज़्यादा पसीना आना
  • यूरिन में समस्या होना
  • शरीर का कोई हिस्सा सुन्न हो जाना
  • हार्ट रेट बढऩा

पेरीफेरल न्यूरोपैथी:

ये डायबिटिक न्यूरोपैथी का सबसे कॉमन टाइप है, जहां पैरों की नर्व डैमेज हो जाती है. कुछ मामलों में इसका असर हाथों में भी हो सकता है. पैर या हाथों की नर्व डैमेज होने पर आपको किसी तरह का दर्द और चोट महसूस नहीं होगी, बल्कि हाथों और पैरों में झुनझुनी होने लगेगी.

प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी:

ये बहुत ही रेयर टाइप की न्यूरोपैथी है, जो 50 साल से ज्यादा उम्र के डायबिटिक पुरुषों में देखा जाता है. इसे डायबिटिक अमिया ट्रॉफी के नाम से भी जाना जाता है. जांघों और कूल्हों में हुआ नर्व डैमेज इस न्यूरोपैथी की कैटेगरी में आता है. इस न्यूरोपैथी की स्थिति बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन इसका रिकवरी रेट दूसरों की तुलना में बहुत अच्छा पाया गया है.

फोकल न्यूरोपैथी:

फोकल न्यूरोपैथी किसी स्पेसिफिक नर्व को प्रभावित करती है. इसे मोनोन्यूरोपैथी भी कहा जाता है. ये अचानक होती है और ज़्यादातर दिमाग़ में मौजूद उस नस को एफेक्ट करती है जो आंखों तक जाती है. ये पैरों की नसों पर भी असर कर सकती है.

कैसे करें बचाव:

इन बातों का ध्यान रखकर इसके जोखिम से बचा जा सकता है.

  • शुगर लेवल को कंट्रोल करें
  • साल में दो बार HBA1C टेस्ट करवाएं, ये टेस्ट पिछले 2-3 महीनों में ब्लड शुगर के स्तर को बताता है.
  • पैरों में इनमें से कोई भी लक्षण अगर ज्यादा समय तक बना हुआ है तो, पैरों की आर्टरीज़ के लिए अल्ट्रासाउंड डॉप्लर टेस्ट जरूर करवाएं.
  • ज्यादा से ज्यादा पैदल चलें, पैदल चलने से ब्लड सरकुलेशन अच्छा रहता है.
  • ऐसी स्थिति से बचने के लिए पैरों में सूखापन आने पर रोजाना लोशन लगाएं.टो नेल्स का ध्यान रखें. जितना संभव हो व्यायाम जरूर करें.रोजाना बस 5 मिनट करें ये एक्सरसाइज, होंगे गजब के फायदे

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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