ये 12 जड़ी-बूटियां जो गर्मी दूर करने में हैं मददगार
Summer Herbs: कुदरत ने जड़ी बूटियों को वो ताकत दी है, जो गंभीर व्याधियों पर भी चमत्कारिक असर करती हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही जड़ी-बूटियों के बारे में बताएंगे जो गुणों की खान हैं.

गर्मी का मौसम चिपचिपाहट और पसीने साथ में लागता है. जब तक आप एसी में होते हैं, तक तक तो सब ठीक रहता है, लेकिन एसी की पहुंच से बाहर होते ही अक्सर लोगों को बेचैनी होने लगती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अपनी डाइट में उन चीजों को शामिल ही नहीं करते हैं, जो गर्मी में ठंडक का अहसास कराएं या शरीर को ठंडक दें. जीवनशैली और आहार दोनों ही गर्म तासीर के होते जा रहे हैं. लेकिन बीते कुछ सालों से लोग अपनी सेहत को लेकर सजग हो रहे हैं और सेहतमंद रहने के लिए प्रयास भी कर रहे हैं. हम के मौसम में शरीर को ठंडा रखने के लिए सही आहार का सेवन करना जरूरी है. पेड़-पौधों और वनस्पतियों का इंसान के जीवन में बड़ा महत्व है. पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं वहीं कुदरत ने जड़ी बूटियों को वह ताकत दी है, जो गंभीर व्याधियों पर भी चमत्कारिक असर करती हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही जड़ी-बूटियों के बारे में बताएंगे जो गर्मी में होने वालें विकारों में बहुत फायदा पहुंचाती हैं.
यहां है गर्मियों में ठंडक का अहसास कराने वाले कूलिंग हर्ब्स की लिस्ट (Cooling Herbs To Add To Your Diet During Summer Season)
1 . नीम (Azadirachta Indica):
भारत में नीम का इस्तेमाल औषधि के तौर पर लंबे समय से किया जा रहा है. नीम में एंटी फंगल गुण होते हैं जो आपको कई प्रकार की खासतौर पर गर्मी में होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स से बचाती हैं..
2 . तुलसी (Ocimum Sanctum):
तुलसी में कई बेहतरीन गुण पाए जाते हैं. भारत में इसको लेकर धार्मिक मान्यता भी है, जिस वजह से लोग इसे आंगन में लगाते हैं. इसे चाय और काढ़ा समेत कई रोगों में औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एंटी वायरल गुण होते हैं, जो मौसम में होने वाले किसी भी संक्रमण से हमें महफूज रखते हैं.
3 . बेंग साग (Hydrocotyle Asiatica):
ये अक्सर नदी, तालाब या किसी जल स्रोत के पास उगती है. इसकी पत्तियों को चटनी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. आदिवासी समाज में इस जड़ी का प्रयोग अधिक किया जाता है. इसके सेवन से पाचन में मदद मिलती है.
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4 . ब्राम्ही (Cetella Asiatica):
ब्राम्ही बहुत उपयोगी पौधा है . यह बेल के रूप में जमीन पर फैलता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसे कई गुणों की खान माना जाता है. ये तनाव कम करती है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं. बालों और पाचन संबंधी समस्याओं में भी ब्राम्ही अच्छा असर करती है.
5. हल्दी (Curcuma Longa):
हल्दी के फायदों के बारे हर कोई जानता है. यह भारतीय किचन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. चोट लगने या मोच आने पर इसका सेवन दूध के साथ किया जाता है. हल्दी के एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण इंसान को कई बीमारियों से बचाते हैं. इसका सेवन कई रूपों में किया जाता है.
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6. आंवला (Phyllanthus Emblica):
आंवला सेहत के लिए एक बेहतरीन होता है. आंवले का सेवन च्यवनप्राश, मुरब्बे, अचार, चटनी, आंवला कैन्डी, आंवला सुपारी के रूप में किया जाता है. इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है. आंवला खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. पेट संबंधी बीमारियों, त्वचा रोगों और गिरते बालों की समस्या में आंवले का सेवन बेहद गुणकारी माना जाता है.
7. अश्वगंधा:
अश्वगंधा आयुर्वेद में अति महत्वपूर्ण औषधि मानी गई है. कैंसर के मरीजों में कीमोथैरेपी के साइट इफेक्ट्स को कम करने के लिए अश्वगंधा का उपयोगी माना जाता है. साथ ही इसका उपयोग स्टेमिना बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है.
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8. मंजिष्ठा:
मंजिष्ठा एक बहुपयोगी औषधि है. डायबिटीज से लेकर कैंसर के रोगियों पर भी इसका उपयोग फायदेमंद माना जाता है. ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मंजिष्ठा लाभकारी है. महिलाओं की मासिक धर्म से संबंधित परेशानियों में भी मंजिष्ठा एक कारगर औषधि के रूप में काम करती है.
9 . घृतकुमारी/ घेंक्वार/ग्वारपाठा (Aloe vera):
इसका इस्तेमाल भारत जैसे देश में कॉमन है. इसे मौजूदा समय में घर घर में इस्तेमाल किया जाता है. इसकी तासीर ठंडी होती है. त्वचा संबंधी छोटे-मोटे रोगों के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है. पाचन संबंधी समस्याओं में भी ये एक चमत्कारिक औषधि के रूप में काम करता है.
10 . महुआ (madhuka indica):
आमतौर पर महुआ को शराब बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर ही पहचाना जाता है. लेकिन महुआ में कई प्रकार के गुण होते हैं. महुए का तेल एक बेहतरीन मॉइश्चराइजर का काम करता है. इसकी पत्तियां मिर्गी से लेकर एक्जिमा के इलाज में कारगर मानी जाती हैं.
11. पुदीना (Mint)
पुदीना भी गर्मी को मौसम में बेहद फायदेमंद होता है. इसका इस्तेमाल चटनी से लेकर कई ड्रिंक्स बनाने में किया जाता है. इसके अलावा लिप बाम, कफ सीरप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसकी तासीर ठंडी होती है जिससे ये एंग्जायटी को शांत करता है.
12. काली मिर्च
वैसे तो काली मिर्च ज्यादातर घरों के डायनिंग टेबल पर अक्सर नजर आती है, लेकिन इसके औषधीय गुणों से हम अनजान हैं. काली मिर्च वात, कफ और पित्त के संतुलन को नियंत्रित करती है. ये पाचन की क्रिया में मदद करती है. पेट में कीड़े होने की स्थिति में काली मिर्च का सेवन लाभकारी है. इसे खाने से भूख बढ़ती है. सर्दी जुकाम जैसी कॉमन प्रॉब्लम्स में भी काली मिर्च चमत्कारिक असर दिखाती है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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