प्रेगनेंसी में बहुत जरूरी है Prenatal care, जाननी जरूरी हैं ये 5 बातें...
प्रेग्नेंसी के दौरान आपको दो लोगों के लिए खाना होता है ये बिल्कुल गलत धारणा है. दिन में केवल 300 कैलोरी खाना भी आपके और आपके शिशु के लिए पर्याप्त है.
Prenatal care या पेरेन्टल केयर का मतलब है वो स्वास्थ्य सुविधाएं जो एक महिला को गर्भवती होने के दौरान दी जाती हैं. पेरेन्टल केयर का मकसद गर्भवती महिला को नियमित जांच और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है जिससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें. गर्भ के दौरान अकाल प्रसव, गर्भपात (miscarriages) या मां की मौत (maternal death) जैसी गंभीर समस्याओं से बचने के लिए महिला को पेरेन्टल केयर देना बेहद जरूरत होता है.
प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करते वक्त न करें ये गलतियां
फेक्ट फाइल-
- ये बात तो हम जानते ही हैं कि गर्भावस्था के दौरान मां को कई सारे शारीरिक और मानसिक बदलावों से जूझना पड़ता है. ऐसे में मां के लिए पेरेन्टल केयर बेहद जरूरी हो जाता है.
- जांच के दौरान डॉक्टर मां को डिलीवरी और प्रसवपूर्व पोषण के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों के बारे में जानकारी देती है.
- बढ़ते पेरेन्टल केयर की मदद से ही आज हम मिसकैरेज (गर्भपात), बर्थ डिफेक्ट, मैटरनल डेथ (मातृ मृत्यु) और नवजात संक्रमण के मामलों को नीचे लाने में सफल हो पाए हैं.
- जब कोई महिला 35 की उम्र के बाद गर्भवती होती है तो पेरेन्टल केयर और अधिक जरूरी हो जाता है. क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ लोगों में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर संबंधी रोग उत्पन्न होने लगते हैं जोकि ऐसे समय में काफी परेशानियां खड़ी कर सकते हैं.
Female Sexual Dysfunction: क्या है इसकी वजह, जानें यौन अक्षमता के बारे में सबकुछ...
उन खास पलों के बाद Climax हमेशा नहीं देता ‘सुख’!
Photo Credit: iStock
गर्भवस्था के दौरान अपनाई जाने वाली कुछ सेहतमंद आदतें:
1. शराब और सिगरेट का सेवन बंद करना: शोधकर्ताओं के अनुसार भ्रूण का धुम्रपान से सामना और बाल्यवस्था में उसके अपमानजनक व्यवहार में एक पैटर्न होता होता है. मतलब गर्भ के दौरान धुम्रपान का सीधा संबंध बच्चे के व्यवहार से है जो आगे इसी तरह एक क्रम बनाता जाता है.
2. प्रोटीन और विटामिन सप्लीमेंट के सेवन से परहेज करें.
3. नियमित रूप से डॉक्टर से मिले और उनकी सलाह से पूरक आहार(dietary supplements) लें.
4. अपने आस-पास किसी खतरनाक रासायनिक तत्व के संपर्क में आने से बचें.
Photo Credit: iStock
स्वस्थ गर्भावस्था यानी स्वस्थ शिशु. इसलिए पेरेन्टल केयर बेहद आवश्यक है. ये हैं पेरेन्टल केयर के 5 फायदे.
‘उन पलों’ के बाद कितना जरूरी है यूरिन पास करना...
1. गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं होंगी कम
वैसे तो अधिकांश प्रेग्नेंसीज सामान्य ही होती हैं लेकिन खुद से किसी परेशानी का पता लगाना भी काफी मुश्किल हो सकता है. पेरेन्टेल केयर एक स्वस्थ प्रेग्नेंसी और प्रसव में हमारी मदद करता है. नियमित जांच गर्भ के दौरान होने वाली परेशानियों से लड़नें में आपकी सहायता करती है. पेरेन्टल चेकअप के द्वारा आपको लेबर और डिलीवरी के बारे में भी जानकार मिलती है. जिससे आप ये फैसला कर सकते हैं कि आप किस तरह की डिलीवरी पसंद करेंगे. पेरेन्टल चेकअप गर्भावधि मधुमेह(gestational diabetes) के बारे में पता लगाने में भी मदद करता है ताकि प्रेग्नेंसी के दौरान आपको किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े.
2. बर्थ डिफेक्टस के खतरे को कम करता है
प्रसवपूर्व जानकारी और पेरेन्टल केयर भ्रूण या नवजात शिशु को होने वाले संक्रामक रोगों से बचाने में मदद करती है. प्रेग्नेंसी के दौरान धुम्रपान अक्समात शिशु मृत्यु(Sudden Infant Death Syndrome) के खतरे को बढ़ा देता है. इसके अलावा शराब का सेवन नवजात में कई प्रकार की विकृतियों को बढ़ावा देता है. जैसे कि एबनार्मल फेशियल फीचर, शरीर से अलग अंगों का बढ़ना, मानसिक विकृति, हृदयरोग, किडनी और हड्डियों से संबंधित रोग आदि. पेरेन्टल केयर आपको बताता है कि कैसे आप अपने बच्चे की बेहतर देखभाल कर सकते हैं. पेरेन्टल केयर की मदद से आप भ्रूण में शिशु के विकास पर नजर रख सकते हैं जोकि शिशु के स्वास्थ्य के संबंध में आपकी काफी सहायता कर सकता है.
3. खुद को रखें स्वस्थ
गर्भ के दौरान शिशु के साथ-साथ आपको अपनी सेहत का खयाल रखना भी जरूरी है. ऐसा देखा गया है कि वे महिलाएं जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान कोई पेरेन्टल केयर नहीं मिलती उनके शिशु अन्डर वेट यानी अल्पभार पैदा होते हैं जोकि उनकी अन्य नवजातों के मुकाबले मृत्यु की आशंकाएं बढ़ा देता है. प्रेग्नेंसी के दौरान आपको अपना स्ट्रैस लेवल भी कम करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि शिशु पर इसका गलत असर पड़ सकता है.
Photo Credit: iStock
4. पेरेन्टल टेस्ट करवाना ना भूले
पेरेन्टल डाइग्नोसिस या टेस्ट से अभिप्राय है भ्रूण की जांच करवाना ताकि उन बीमारियों या परेशानियों की जांच हो सके जो शिशु के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं. पेरेन्टल टेस्ट मिसकैरेज, मैटरनल डेथ आदि संभावित खतरों की संभावनाओं की जांच करने में मदद करते हैं. इन टेस्ट की मदद से आप भ्रूण की विरूपताओें जैसे क्लबफुट( पैरों का गलत तरीके से मुड़ा होना), स्पाइना बिफिडा(रीड की हड्डी का विकास रुक जाना) और क्लेंच्ड फिस्ट(हाथों की उंगलियों का ना खुलना) के बारे में भी पता लगा सकते हैं. इन टेस्ट्स को सामान्य तौर पर सेकेंड ट्राइमेस्टर के दौरान किया जाता है. शिशु का ब्लड टाइप मां से अलग होने की स्थिति में पेरेन्टल टेस्ट की अहमियत और बढ़ जाती है.
5. पोषण संबंधी उचित जानकारी रखें
प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट में थोड़े बदलाव करें. आपका प्रसूति विशेषज्ञ(obstetrician) आपको आहार संबंधी सही जानकारी देकर आपके शिशु के संपूर्ण विकास में आपकी मदद कर सकता है. इसलिए ये जरूरी हा कि आप अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई डाइट प्लान का अच्छे से पालन करे. और जैसा कि माना जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान आपको दो लोगों के लिए खाना होता है ये बिल्कुल गलत धारणा है. दिन में केवल 300 कैलोरी खाना भी आपके और आपके शिशु के लिए पर्याप्त है.
DoctorNDTV is the one stop site for all your health needs providing the most credible health information, health news and tips with expert advice on healthy living, diet plans, informative videos etc. You can get the most relevant and accurate info you need about health problems like diabetes, cancer, pregnancy, HIV and AIDS, weight loss and many other lifestyle diseases. We have a panel of over 350 experts who help us develop content by giving their valuable inputs and bringing to us the latest in the world of healthcare.