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अब पकड़ में नहीं आ रहा है कोरोना, जांच के लिए RT-PCR के बाद भी करवाना पड़ रहा है CT-Scan और ब्रोंकोस्कोपी

कोविड टेस्टिंग में ज्यादा भरोसेमंद रहे RT-PCR टेस्ट को लेकर भी शंकाएं खड़ी हो गई हैं. इस बार RT-PCR में भी कोरोना पकड़ में नहीं आ रहा है. इसको लेकर CT-स्कैन और ब्रोंकोस्कोपी करनी पड़ रही है.

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RT-PCR से भी पकड़ में नहीं आ रहा है कोरोना, CT-Scan और ब्रोंकोस्कोपी की लेनी पड़ रही मदद

कोरोनावायरस के मामले अब तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले 4 दिनों में आंकड़ा डेढ़ लाख के पार पहुंच गया है. बुधवार को भारत सबसे ज्यादा 1,84,372 केस सामने आए हैं. फरवरी महीने में 15,000 के नीचे जा चुके मामले अब पिछले चार दिनों में डेढ़ लाख के पार जा चुके हैं. ऊपर से इस भयावह स्थिति में अब तक कोविड टेस्टिंग में ज्यादा भरोसेमंद रहे RT-PCR टेस्ट को लेकर भी शंकाएं खड़ी हो गई हैं. इस बार RT-PCR में भी कोरोना पकड़ में नहीं आ रहा है. इसको लेकर CT-स्कैन और ब्रोंकोस्कोपी करनी पड़ रही है, तब जाकर वायरस पकड़ में आ रहा है. ऐसे मरीजों की तादाद इस बार ज्यादा है.

दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर एम वली ने बताया कि 'गला और नाक ये दो अंग थे जिनसे हम कोरोना को पकड़ते थे लेकिन अब वहां से पकड़ में नहीं आ रहा. सीटी स्कैन से पकड़ में आ रहा है. पहले ये ग्रोथ में 7 से 10 दिन लगाता था अब किसी-किसी मामले में RT-PCR निगेटिव है पर तीसरे ही दिन सीटी स्कैन में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं.'

टेस्टिंग की नई विधि और नए लक्षण

दिल्ली के द्वारका के आकाश हेल्थकेयर के MD डॉक्टर आशीष चौधरी ने बताया कि 'काफी मरीज ऐसे हैं जिनके लक्षण कोविड के होते हैं पर टेस्ट में नेगेटिव होते हैं. लक्षण हमें कोविड का दिखता है तो 4-5 दिन ऑब्जर्व करने के बाद हम अगला कदम उठाते हैं और पहले छाती का सीटी-स्कैन करते हैं और साथ-साथ सांस की नली में ट्यूब डालकर (ब्रोंकोस्कोपी) करते हैं. फेफड़ों से फ्लूड लेते हैं.' उन्होंने बताया कि 'जो सामान्य तौर पर नाक से लेने पर सैंपल नेगेटिव आ रहा था, इसमें पॉजिटिव आता है. पहले फेज में भी यही ट्रेंड मिला था लेकिन वो इतना कॉमन नहीं था जितना इस बार है. नए लक्षण भी दिख रहे हैं. लूज मोशन, डायरिया भी मिल रहा है. खांसी पिछली बार सूखी थी, इस बार बलगम भी आ रहा है. सूंघने की समस्या पिछली बार ज्यादा थी. इस बार कम है.'

डॉक्टर चौधरी ने बताया कि 'नाक में वायरस का टेस्ट ज्यादा लोगों में संक्रमण पकड़ नहीं पा रहा. CT-स्कैन में मिली पिक्चर और फिर ब्रोंकोस्कोपी में जब मिल जाता है, तब मानते हैं. लक्षण वालों को जिनकी रिपोर्ट भी नेगेटिव आ रही है उनको भी संदिग्ध की लिस्ट में ही रखते हैं. 2 से 3 दिन ट्रेंड देखते हैं तब नया तरीका अपनाते हैं. हफ्ते में 5-6 मरीज ऐसे आ रहे हैं. ऐसा भी हो रहा है कि पहला सैंपल नेगेटिव फिर दूसरा पॉजिटिव. हर हफ्ते 5-6 मामले ऐसे आते हैं, जब हमें टेस्ट का नया तरीका अपनाना पड़ता है.'

IMA के वित्त सचिव डॉक्टर अनिल गोयल ने बताया कि पहले इनक्यूबेशन पीरियड 3-7 दिन था. अब 1 से 3 दिन है. 1 से 3 दिनों में तेजी से निमोनिया फैलता है. उन्होंने एक मरीज के फेफड़ों का सीटी स्कैन दिखाया, जिसमें दूसरे दिन के सीटी स्कैन में 50 फीसदी फेफड़ा और तीसरे दिन के स्कैन में 70 फीसदी हिस्सा प्रभावित दिख रहा था. इनमें ऐसे धब्बे दिखे, जो कोविड मरीजों में दिखते हैं.

हालांकि, ICMR से डॉक्टर समीरन पांडा का मानना है कि RT-PCR टेस्ट अब भी कोविड टेस्टिंग का गोल्ड स्टैंडर्ड है. उन्होंने कहा है कि ऐसा नहीं है कि इस टेस्टिंग में दूसरी लहर में गलत निगेटिव बता रहा है, पहले भी होता था. इस मेथड की सेंसिटिविटी 97% है.

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