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Kids Swimming Training: कहीं लेने के देने न पड़ जाएं, रखें इन बातों का ध्यान...

ध्यान रखें कि पानी में कूदने से पहले आपके बच्चे को किसी अनुभवी कोच के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाए...

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फोटो केवल संदर्भ
गर्मियों की छुट्टियों के दौरान सभी अभिभावक अपने बच्चों को कुछ नया सिखाना चाहते हैं और उन्हें कुछ अच्छी एक्टिविटीज में व्यस्त रखना चाहते हैं. उनमें से एक तैराकी को हमेशा से अच्छा व्यायाम माना जाता रहा है. इस तरह की एक्टिविटीज न केवल बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखती हैं, बल्कि उनकी मानसिक क्षमता के विकास में भी मदद करती हैं. इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के डिपार्टमेन्ट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ राकेश गुप्ता ने कहा, "वास्तव में स्वीमिंग स्पोर्ट्स से कहीं बढ़ कर है, यह न केवल जीवन का एक कौशल है बल्कि ऐसा व्यायाम है जो हमें कई तरह की बीमारियों से बचा कर रखता है."

उन्होंने कहा, "जहां एक ओर तैराकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं, वहीं दूसरी ओर अगर इसे सही तरीके से न किया जाए तो यह नुकसानदायक भी साबित हो सकती है. तैराकी करते समय कुछ विशेष नियमों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, खासतौर पर तब जब आप अपने छोटे बच्चों को तैराकी सिखाने जा रहे हैं. पूल के बाहर और भीतर हमेशा कुछ निर्देशों का पालन करें." 

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तैराकी के लिए कुछ सुझाव --

स्वास्थ्य की जांच : बच्चों को तैराकी की क्लास भेजने से पहले, डॉक्टर से उसकी जांच करवा लें. त्वचा के संक्रमण, आंख, नाक, गला और कान की जांच करवा लें. क्योंकि पूल के पानी में क्लोरीन की मात्रा बहुत अधिक होती है. इसके अलावा अगर बच्चे का वजन सामान्य से कम या अधिक (ओबेसिटी) है तो भी डॉक्टर तैराकी से पहले कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं. 

पूल की सफाई : पूल की सफाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि एक ही पूल का इस्तेमाल बहुत से लोग करते हैं और किसी को भी त्वचा की या अन्य बीमारी हो सकती है. अपने बच्चे को तैराकी पर भेजने से पहले जनकारी लें कि क्या पूल का पानी नियमित रूप से बदला जाता है और क्या पूल की सफाई की जाती है. ज्यादातर पूल खुले क्षेत्र में होते हैं- उन पर छाया नहीं होती, ऐसे में इनमें धूल, बारिश का पानी और अन्य चीजें गिरती रहती हैं. इसलिए ध्यान रखें कि गंदे पूल में तैरने से कहीं आपके बच्चे को संक्रमण न हो जाए.

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लाइफ गार्ड : सभी पूल्स में निर्धारित संख्या में लाईफ गार्ड जरूर होने चाहिए. ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि एक आम तैरने वाले व्यक्ति को लाइफ गार्ड के रूप में तैनात कर दिया जाता है, जिसके पास आपातकालीन स्थिति में किसी व्यक्ति को बचाने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं होता. साथ ही जब तैरने वालों की संख्या ज्यादा हो (सुबह और शाम के समय) तब सही अनुपात में लाईफगार्ड मौजूद होने चाहिए.
 


प्राथमिक चिकित्सा या फस्ट एड की सुविधा : सरकारी नियमों के अनुसार स्विमिंग पूल में प्राथमिक चिकित्सा कक्ष और प्राथमिक चिकित्सा की अन्य सभी सुविधाएं होनी चाहिए. यह सुविधाएं पूल के नजदीक उपलब्ध होनी चाहिए. आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति को सबसे पहले प्राथमिक चिकित्सा कक्ष में ले जाना चाहिए और आवश्यकतानुसार उसे प्राथमिक चिकित्सा दी जानी चाहिए. इस कक्ष में नजदीकी अस्पताल, स्वास्थ्य केन्द्र का विवरण तथा एम्बुलेन्स बुलाने के लिए फोन नंबर आदि की जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए.

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ज्यादा भीड़ : इन दिनों स्विमिंग पूल्स में भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. ज्यादातर लोग मनोरंजन के लिए या गर्मी से बचने के लिए तैरने आते हैं. वे पूल में तैरने के बजाए पानी में सिर्फ रुकना चाहते हैं. इससे पूल में भीड़ बढ़ जाती हैं. अच्छा होगा अगर आप अपने बच्चे के लिए ऐसा पूल चुनें जहां ज्यादा भीड़ न हो. 

प्रशिक्षक और प्रशिक्षण: ध्यान रखें कि पानी में कूदने से पहले आपके बच्चे को किसी अनुभवी कोच के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाए. बाहर से देखने में तैराकी बहुत आकर्षित करती है, लेकिन तैरने से पहले तैराकी सीखना बहुत जरूरी है. इसलिए सुनिश्चित करें कि बच्चे कोच की निगरानी में तैराकी सीखें और इसके बाद ही पानी की गहराई में जाएं. 

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सुरक्षा उपकरण : बच्चों को तैरते समय सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे - फ्लोटर्स, आई ग्लास, ईयर प्लग, कैप, टॉवर आदि. बड़े लोग जिन्हें तैरना आता है, वे जानते हैं कि बच्चे पानी से अक्सर डरते हैं, कुछ बच्चों को शुरुआत में पूल में जाना अच्छा नहीं लगता. आपको ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे जिस फ्लोटर का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह खराब न हो, और बच्चे पूल में इसे खिलौने की तरह न इस्तेमाल करें. फ्लोटर में छोटा सा छेद होने पर भी पानी में बच्चे का संतुलन बिगड़ सकता है और उसे चोट लग सकती है. 

हाइड्रेशन : बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते. हालांकि यह व्यायाम आप पानी में करते हैं लेकिन तैरने के दौरान आपके शरीर से डीहाइड्रेशन बहुत ज्यादा होता है. इस दौरान बहुत ज्यादा पसीना आता है. इसलिए अपने साथ पानी रखें. बच्चे को अच्छा सिपर दें, ताकि तैराकी के बीच में प्यास लगने पर वह पानी पी सके. 

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हर नदी या हर तालाब पूल नहीं होता : बच्चों को यह बात समझाना बहुत जरूरी है, अक्सर दस पंद्रह दिन तैराकी सीखने के बाद बच्चे समझने लगते हैं कि उन्हें तैरना अच्छी तरह आ गया है. स्विमिंग पूल का वातावरण बेहद नियन्त्रित होता है. लेकिन तालाब, नदी, झील में स्थिति ऐसी नहीं होती, इनमें पानी की लहरों की गति या पानी की गहराई कभी भी बढ़ सकती है. इसलिए तालाब, झील आदि में तैराकी न करें. इसके लिए बहुत ज्यादा प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है.

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