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क्या होता है इमोशनल इंटेलीजेंस, बच्चों में इसे कैसे बढ़ाएं?

इमोशनल इंटेलीजेंस यानि भावनात्मक बुद्धिमता को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं को किस प्रकार मैनेज करता है.

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इमोशनल ट्रेनिंग भी बच्चों को शिक्षित करने का महत्वपूर्ण हिसा होती है

Story Highlights

इमोशनल इंटेलीजेंस यानि भावनात्मक बुद्धिमता को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं को किस प्रकार मैनेज करता है. इमोशनल इंटेलीजेंस (ईआई) को ईक्यू भी कहा
जाता है.  ज्यादातर मनोचिकित्सक मानते हैं कि आईक्यू की तरह ईक्यू को मापने का कोई पैमाना नहीं है. जैसे आईक्यू में जनरल इंटेलीजेंस के आधार पर इसका आकंलन किया जा सकता था. भावनात्मक बुद्धिमता को लेकर कहा जाता है कि
इसको किसी भी निश्चित तरीके से निर्मित नहीं किया जा सकता, बल्कि ये भावनात्मक कौशल दिखाने का तरीका है. हर कोई अपनी भावनात्मक बुद्धिमता यानि ईक्यू को बढ़ा सकता है क्योंकि इसे बेहतर करना आसान है. 

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वो 5 कारक जो इमोशनल इंटेलीजेंस को बढ़ाते हैं

1. सेल्फ अवेयरनेस: सेल्फ अवेयरनेस इमोशनल इंटेलीजेंस का महत्वपूर्ण कारक है. ये इस बात की तरफ इशारा करता है कि व्यक्ति अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानते हुए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कर किस प्रकार का व्यवहार
करता है. एक व्यक्ति जो जागरुक है वो आस-पास के लोगों की आलोचना को स्वीकार करते हुए कब कैसे क्या व्यवहार करना है ये जानता है. 

2. सेल्फ रेगुलेशन: सेल्फ रेगुलेशन का मतलब अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कर खुद के व्यवहार में बदलाव से है. ये भी इमोशनल इंटेलीजेंस का महत्वपूर्ण कारक या हिस्सा है.

3. मोटिवेशन: किसी भी काम को पूरे ध्यान और ऊर्जा के साथ करने के लिए जरूरी तत्व मोटिवेशन है. किसी भी टीम या समूह को लीड करते वक्त या महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने में मोटिवेशन सबसे महत्वपूर्ण कारक के रूप में सामने
आता है. 

4. सहानुभूति: अपनी चीजों में उलझे होने या मशगूल होने के बावजूद साथियों की परेशानियों को समझ कर उनके प्रति उचित व्यवहार करना सहानुभूति कहलाता है. किसी बड़ी टीम और लोगों के साथ काम करते वक्त ये गुण बेहद काम आता
है. इससे लोगों के काम की कुशलता बढ़ती है.

5. सोशल स्किल्स: जिन लोगों में इमोशनल इंटेलीजेंस ज्यादा होती है वो अपने आस-पास के लोगों को अपनी भावनाएं शेयर करने और उनसे बात करने में ज्यादा प्रभावी होते हैं. ऐसे में वो उनसे बेहतर संबंध स्थापित करते हैं, जिससे लोगों का उनके प्रति विश्वास
बढ़ता है. 

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इन सारे तत्वों से इमोशनल इंटेलीजेंस को बढ़ावा मिलता है. जानिए उन टिप्स के बारे में जो बच्चों में इमोशनल इंटेलीजेंस को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं. 

इमोशनल ट्रेनिंग का अभ्यास

किसी भी अन्य प्रकार की ट्रेनिंग की तरह ही इमोशनल ट्रेनिंग भी बच्चों को शिक्षित करने का महत्वपूर्ण हिसा होती है. इमोशनल ट्रेनिंग के अभ्यास से बच्चे अलग-अलग तरह की भावनाओं के बारे में गहरी समझ  विकसित कर पाते हैं. वो इस
ट्रेनिंग के दौरान ये भी समझ पाते हैं कि दूसरों की भावनाओं को आहत किए बिना किस तरह से किसी भी चीज पर प्रतिक्रिया देनी है. ये चीज इमोशनल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने और विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. 

तर्कसंगत  सोच को बढ़ावा देना
बच्चों के सोचने के तरीके में बदलाव करते हुए उसे सकारात्मक रुख देने में मदद करनी चाहिए. इसके लिए उनके तर्कसंगत सोचने की क्षमता को विकसित कर किया जा सकता है. इस तरह का व्यवहार बच्चों में समस्याओं को सुलाझाने का एटीट्यूड विकसित करता है. ऐसे में वो भविष्य में आने वाली परेशानियों और समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आपका बच्चा किसी पजल के आखिरी हिस्से को नहीं जोड़ पा रहा है तो उसे बताएं कि वो
सही तरीके से दोबारा पूरे ध्यानपूर्वक उस  पजल को सुलझाए.

बच्चों को बात करने के लिए बढ़ावा दें
ध्यान रहे कि हर प्रकार की बातचीत मायने रखती है! जब आप कुछ चीजों को लेकर अपने बच्चों से बात करते हैं तो आप उनके अंदर ऐसा गुण विकसित कर रहे होते हैं जिससे कि वो लोगों के सामने अपने आईडिया शेयर कर सकें. अगर बच्चा
आपके साथ बात करना सीखता है तो वो अपने आस-पास के लोगों से भी बात करना सीख जाता है.  

सामाजिक मूल्यों की जानकारी दें
सामाजिक मूल्यों के बारे में बच्चों से बात करें जिससे कि वो जिंदगी के असली मायने सीख सकें. बच्चों में सकारात्मक गुणों के विकास से आप दूसरों के प्रति उनके मन में आदर पैदा करते हैं. कुछ अन्य तत्वों के विकास से बच्चों के अंदर
इमोशनल इंटेलीजेंस बढ़ती जाती है. 

1. लोगों का आदर और उन्हें महत्व देना.
2. सबके प्रति अच्छा व्यवहार करना.
3. सबसे अच्छे तरीके से बात करना.
4. चीजों के प्रति ईमानदार बने रहना.
5. भरोसेमंद बनना.

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बच्चों को अपनी भावनाएं शेयर करने के लिए प्रेरित करें

इन सबके साथ ही बच्चों में इमोशनल इंटेलीजेंस बढ़ाने के लिए उन्हें अपने भावनात्मक पहलुओं के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करें. बच्चों की भावनाओं को समझ कर आप उनमें ये गुण विकसित करने लगते हैं कि कैसे दूसरों की भावनाएं
हमारे लिए मायने रखती हैं, और हर चीज़ में  हमें दखल नहीं देना चाहिए. ऐसे में आपके बच्चे ही दूसरों को भावनाओं को शेयर करने और उन्हें समझने में मदद करने लगते हैं. 

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