Home »  लिविंग हेल्दी  »  ब्रेन ट्यूमर: यहीं खत्म नहीं होता सफर, जी सकते हैं लंबी जिंदगी

ब्रेन ट्यूमर: यहीं खत्म नहीं होता सफर, जी सकते हैं लंबी जिंदगी

कैंसर वाले ट्यूमर मस्तिष्क के आसपास के हिस्से को भेदते हुए कई बार मस्तिष्क के दूसरे हिस्से या रीढ़ में भी फैल जाते हैं.

Advertisement

Story Highlights

कुछ रोग ऐसे होते हैं, जिनके नाम सुनते ही मन में डर जगह बना लेता है. इन्हीं में से एक है ट्यूमर. यह शब्द सुनते ही हम सब के मन में ड़र आ जाता है. ऐसा लगने लगता है बस लाइफ में कुछ नहीं बचा और जीवन में अब कम ही समय है. ट्यूमर शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है. लेकिन ब्रेन में होने वाला ट्यूमर अपने साथ कई सवाल लेकर आता है. 

अगर ब्रेन ट्यूमर की पहचान जल्द हो जाए तो तो 90 प्रतिशत कैंसर रहित ब्रेन ट्यूमर का पूरी तरह से इलाज हो जाता है, बशर्ते सही तरीके से इलाज कराया जाए. ब्रेन ट्यूमर के बारे में आम लोगों में जागरूकता कायम करने के उद्देश्य से आठ जून को दुनियाभर में विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है. न्यूरो सर्जनों ने बताया कि भारत में हर साल 40 से 50 हजार मरीजों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है और इनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में ल्यूकेमिया के बाद ब्रेन ट्यूमर सर्वाधिक सामान्य कैंसर है.

घरेलू नुस्खे: दांत में है दर्द, तो ये 5 उपाय आएंगे काम
अगर बढ़ाना है वजन, तो इस्तेमाल करें बाजरे से बना ये फूड


नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ ब्रेन एवं स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि एक समय लोग सर्जरी के नाम से डरते थे, लेकिन आज मौजूदा समय में आधुनिक तकनीकों के आगमन के कारण ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी काफी सुरक्षित एवं प्रभावी हो गई है तथा सर्जरी के बाद ब्रेन ट्यूमर के मरीज आम लोगों की तरह लंबा जीवन जीते हैं. 

उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों के विकास के कारण आज ब्रेन ट्यूमर के मरीजों का इलाज कारगर एवं आसान हो गया है. पहले ब्रेन ट्यूमर के मरीज आम तौर पर तीन-चार महीने ही जीवित रह पाते थे, लेकिन आज इलाज के बाद ब्रेन टृयूमर के मरीज 10 साल, 20 साल और यहां तक कि 50 साल तक भी जीवित रहते हैं.
 

Photo Credit: iStock

डॉ. गुप्ता ने बताया कि वर्तमान समय में जांच सुविधाओं की सुलभता तथा जागरूकता बढ़ने के कारण ब्रेन ट्यूमर के मामले जल्दी पकड़ में आ रहे हैं और इसके कारण ब्रेन ट्यूमर के मरीज जल्दी ठीक होकर लंबी जिंदगी जी रहे हैं. उन्होंने कहा कि पांच साल पहले की तुलना में आज उनके पास इलाज के लिए ब्रेन ट्यूमर के दोगुने मरीज आ रहे हैं. कुछ साल पहले तक उनके पास हर महीने 10 से 15 ब्रेन ट्यूमर के मरीज आते थे, लेकिन आज लगभग हर दिन ब्रेन ट्यूमर के एक मरीज आते हैं.

जादू की तरह कम होगा बेली फैट, इस तरह कलौंजी करेगी यह कमाल...

आयुर्वेद: पीपल है गुणों की खान, कई रोगों में है लाभकारी

न आएं इन झूठे 4 घरेलू नुस्खों के फेर में, नहीं करेंगे सफेद बालों को काला!


नई दिल्ली के बीएलके हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. रोहित बंसिल कहते हैं कि अगर सही समय पर ब्रेन ट्यूमर का
पता चल जाए और सही समय पर सही इलाज शुरू हो जाए तो इलाज पूरी तरह से कारगर होता है. 

उन्होंने कहा कि सुबह-सुबह सिरदर्द या उल्टी के साथ सिरदर्द होना सिर के किसी हिस्से में पनप रहे ट्यूमर का संकेत हो सकता है. अगर सिर में अक्सर दर्द रहता हो, सिर दर्द के साथ उल्टी होती हो, किसी अंग में कमजोरी महसूस होती हो, आंखों की रोशनी घट रही हो तथा दिमागी दौरे पड़ते हों तो ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं और ऐसी स्थिति में जांच एवं इलाज में विलंब करना मौत को बुलावा देना साबित हो सकता है.

मुंबई के वोकहार्ट हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिरीष हस्तक बताते हैं कि सेलफोन से होने वाले विकिरण एवं कुछ रसायनों के बहुत अधिक संपर्क में रहने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता है. 
 

 

उन्होंने कहा कि आरंभिक शोधों से पता चलता है कि सेल फोन से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी ऊर्जा ब्रेन ट्यूमर पैदा कर सकती है, हालांकि इस बारे में जो निष्कर्ष निकले हैं, उनकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है. 

डॉ. हस्तक के मुताबिक, कार्सिनोजेनिक किस्म के रसायनों के संपर्क में रहने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता है. जो लोग आइयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं, उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक होता है.

डॉ. रोहित बंसिल के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर होने पर मस्तिष्क के उस क्षेत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे वहां की कार्य प्रक्रिया में बाधा पड़ती है. अगर किसी को उल्टी के साथ सिरदर्द, चक्कर आना/मूर्छा/बेहोशी/मिर्गी, शरीर के अंगों में असामान्य सनसनाहट, लड़खड़ाहट के साथ चलना या असंतुलन (एटैक्सिया), धुंधला दिखना या ²ष्टि में कमी, बोलने में कठिनाई, व्यवहार में परिवर्तन, अंगों की कमजोरी, थकावट, भ्रम, एकाग्रता में कमी जैसे लक्षण हो रहे हों तो न्यूरो विषेशज्ञ से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं.
 

बच्चों को खिलाएं ये सुपरफूड, नहीं होगा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा...

डिलीवरी के बाद रखें ब्लड प्रेशर पर नजर, हो सकता है दिल को खतरा...

साथी से दूर या अकेले रहने से होती है उम्र कम!


मेट्रो मल्टी स्पेशियलिटी हास्पीटल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सोनिया लाल गुप्ता के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं- बिनाइन (बिना कैंसर वाले) या मेलिग्नेंट (कैंसर वाले). बिनाइन ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी भी शरीर के दूसरे भाग में नहीं फैलता है, जबकि मेंलिंगनेंट ट्यूमर कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं, जो बहुत तेजी से और आक्रामक तरीके से बढ़ते हैं. कैंसर वाले ट्यूमर मस्तिष्क के आसपास के हिस्से को भेदते हुए कई बार मस्तिष्क के दूसरे हिस्से या रीढ़ में भी फैल जाते हैं. 
 

DoctorNDTV is the one stop site for all your health needs providing the most credible health information, health news and tips with expert advice on healthy living, diet plans, informative videos etc. You can get the most relevant and accurate info you need about health problems like diabetes, cancer, pregnancy, HIV and AIDS, weight loss and many other lifestyle diseases. We have a panel of over 350 experts who help us develop content by giving their valuable inputs and bringing to us the latest in the world of healthcare.

Advertisement