Myths About Heart Failure: हार्ट फेलियर से जुड़े 4 मिथ, जिनपर यकीन करना आज ही करें बंद
Heart failure: हार्ट फेल्यर को समझना जरूरी है, दिल की मांसपेशियां समय के साथ कमजोर हो जाती हैं, जिससे वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता. इससे ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है. ऐसी स्थिति हार्ट फेलियर के खतरे को जन्म देती है.
दिल की बीमारी के बारे में आप वास्तव में कितना जानते हैं? बेशक, आप सोच सकते हैं कि दिल के रोग बुजुर्गों को ही ज्यादा प्रभावित करते हैं, है ना? लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल की बीमारियां किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकती हैं. हृदय रोगों के बारे में कई ऐसे मिथ या भ्रम हैं, खासतौर पर हार्ट फेलियर से जुडे बहुत से मिथ हैं. दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए इन गलतफहमियों को दूर कर सच को समझना जरूरी है.
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भारत में 8-10 मिलियन लोग हार्ट फेलियर से पीड़ित हैं. हार्ट फेलियर सभी दिल की बीमारियों के बीच मौतों और बार-बार अस्पताल में भर्ती होने के प्रमुख कारणों में से एक है. हार्ट फेलियर तब होता है जब दिल की पंपिंग क्रिया के लिए जिम्मेदार हृदय की मांसपेशी कमजोर या कठोर हो जाती है. कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सी ए डी), हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट वॉल्व बीमारी, कार्डियोमायोपैथी, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज, मोटापा, शराब पीने, दवाइयों का सेवन और फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है.
हार्ट फेलियर से जुड़े मिथ और उनके सच (Let's bust some myths around heart failure)
1. हार्ट फेलियर दिल के दौरे की ही तरह होता है (Heart failure is same as heart attack)
रोगियों और देखभाल करने वालों के बीच सबसे आम मिथकों में से एक यह है कि हार्ट फेलियर और दिल का दौरा एक ही चिकित्सा स्थिति है. यह सच नहीं है.
दिल का दौरा और हार्ट फेलियर मौलिक रूप से अलग-अलग कारणों, उपचार और यहां तक कि परिणामों के साथ दो अलग-अलग हृदय रोग हैं. हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है, क्योंकि हर 4 में से 1 व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है और अंततः चार साल के भीतर हार्ट फेल्योर हो सकता है.
2. हार्ट फेलियर का मतलब यह नहीं है कि दिल ने काम करना बंद कर दिया है:
यदि आप हार्ट फेलियर से पीड़ित हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका दिल काम करना बंद कर देगा या यह अचानक काम करना बंद करेगा. हार्ट फेलियर का मतलब यह है कि हृदय को काम करने के लिए पहले की तुलना में अधिक मेहनत करनी होगी. जीवनशैली में बदलाव के साथ उचित उपचार से मरीज के जीवन की बेहतर गुणवत्ता बनाने में मदद की जा सकती है.
3. केवल बुजुर्ग ही दिल की विफलता से पीड़ित हो सकते हैं:
55 साल से अधिक उम्र के लोगों में हार्ट फेलियर आम समस्या है, अस्वस्थ आहार और जीवनशैली के विचलन के कारण मध्यम आयु और युवा आबादी में यह बीमारी बहुत अधिक बढ़ रही है. वास्तव में, भारत में हृदय की विफलता के रोगियों की औसत आयु 59 वर्ष है, जो पश्चिमी देशों के रोगियों की तुलना में लगभग 10 वर्ष कम है.
4. हार्ट फेलियर का मतलब सामान्य जीवन का अंत है:
हार्ट फेलियर एक प्रोग्रेसिव रोग है. इसे शुरुआती निदान, उचित उपचार और जीवन शैली में बदलावों के जरिए मैनेज किया जा सकता है. हृदय रोग विशेषज्ञ आमतौर पर हार्ट फेल्योर के रोगियों को सक्रिय रहने, नियमित गतिविधियों के साथ जारी रखने और अपने दैनिक जीवन में हल्के व्यायाम शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. लेकिन यह पूरी तरह से डॉक्टरी सलाह पर निर्भर करता है. रोगियों की उचित देखभाल और दवा के साथ जल्दी सामान्य जीवन की ओर लौट सकते हैं. कुछ बातें जिनका ध्यान रखने की जरूरत है.
- - हरी पत्तेदार सब्जियों को आहार में शामिल करें.
- नमक और तरल पदार्थ का सेवन कम करें.
- नियमित रूप से व्यायाम करें और शरीर के स्वस्थ वजन को बनाए रखें.
- धूम्रपान और शराब से बचें.
- कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन करें.
(डॉ. सुदीप मिश्रा एम्स, नई दिल्ली में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर हैं)
संदर्भ:
(Heart failure in India: The INDUS INDiaUkieri Study study)
(https://www.health.harvard.edu/heart-health/surviving-a-heart-attack-a-success-story)
(अंतरराष्ट्रीय कॉन्सेप्टिव हार्ट फेल्योर (INTER-CHF) अध्ययन)
अस्वीकरण : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें. एनडीटीवी इस जानकारी की प्रमाणिकता की जिम्मेदारी नहीं लेता.
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