World Alzheimer's Day: कहीं भूलने की ये आदत अल्जाइमर तो नहीं, जानें क्या है डिमेंशिया, इसके लक्षण और इलाज...
अल्जाइमर पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, लेकिन मरीज के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है.
Why Do I Forget Things? तो क्या आपको भी भूलने की आदत है. और आप इंटरनेट पर लगातार सर्च करते रहते हैं कि कैसे भूलने की आदत को सुधारा जाए और आखिर हम चीजें भूल क्यों जाते हैं (Why do we forget things?) तो यहां आपको जवाब मिल सकता है. ...अगर आप भी अपने भूलने की आदत (Memory Loss) से परेशान हैं तो यह खबर आपके लिए है. इसकी वजह अल्जाइमर (Alzheimer disease) हो सकती है. जी हां, आंकड़ों के हिसाब से भारत में अल्जाइमर का रोग (Alzheimer disease) तेजी से पैर पसार रहा है. देश में लगभग 16 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. यह कहना है इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलोजी विभाग के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. विनीत सूरी का. डॉ. सूरी ने 'विश्व अल्जाइमर दिवस' (World Alzheimer's Day) पर बुधवार को कहा कि भारत में लगभग 40 लाख लोग डिमेंशिया (dementia) से पीड़ित हैं और इसमें अल्जाइमर (Alzheimer's or dementia) के मामले सबसे ज्यादा हैं. तकरीबन 16 लाख मरीज अल्जाइमर से पीड़ित हैं. अल्जाइमर (Alzheimer's disease in Hindi) भूलने की बीमारी है. बीमारी जब एडवांस स्थिति में पहुंच जाती है, तो मरीज अपने परिजनों और रिश्तेदारों को पहचनना तक बंद कर देता है.
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अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या फर्क है (Difference Between Dementia and Alzheimer's Disease?)
अक्सर लोग समझते हैं कि डिमेंशिया (dementia) और अल्जाइमर (Alzheimer's) एक ही हैं. हालांकि ये दोनों स्थितियां एक नहीं हैं, वास्तव में अल्जाइमर डीमेंशिया (What is dementia) का एक प्रकार है. डीमेंशिया (types of dementia) में कई बीमारियां शामिल हैं, जैसे अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease), फ्रंट टू टेम्पोरल डीमेंशिया (Frontotemporal dementia), वैस्कुलर डीमेंशिया (Vascular dementia) आदि. डीमेंशिया के मरीजों में शुरुआत में याददाश्त कमजोर (short-term memory loss) होने लगती है और मरीज को रोजमर्रा के काम करने में परेशानी होने लगती है. मरीज तारीखों, रास्तों और जरूरी कामों को भूलने लगता है. वह घर या ऑफिस में काम करते समय गलत फैसले लेने लगता है."
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अल्जाइमर के लक्षण और स्थिति (Alzheimer's disease: Symptoms, stages)
मरीज को कुछ नई या हाल ही बातें याद रहने लगती हैं. बीमारी जब एडवांस्ड स्थिति में पहुंच जाती है, तो मरीज अपने परिजनों और रिश्तेदारों को पहचनाना तक बंद कर देता है. उनके व्यवहार में कई तरह के बदलाव आ सकते हैं, जैसे गुस्सा या उग्र व्यवहार करना, मूड में बदलाव आना, दूसरों पर भरोसा न करना, डिप्रेशन, समाज से दूरी बनाना या बेवजह इधर-उधर घूमने की आदत."
बयान में एक अल्जाइमर मरीज तारा दूबे के बेटे करण दूबे ने कहा है, "मेरी मां 93 वर्ष की हैं और वह पिछले चार सालों से इस बीमारी से पीड़ित हैं. अक्सर वह मुझे भूल जाती हैं और मुझे अपना भाई समझने लगती हैं."
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किन बातों का रखें ध्यान
दूबे ने बताया, "बीमारी को समझने के लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है, आपको मरीज को हैंडल करना सीखना पड़ता है. मरीज को खूब प्यार और देखभाल की जरूरत होती है. जब मुझे पता चला कि मेरी मां इस बीमारी से पीड़ित है, तो मैंने इसके बारे में पढ़ा."
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क्या ठीक हो सकता है अल्जाइमर (Treatments for Alzheimer's & Dementia)
डॉ. सूरी के अनुसार, अल्जाइमर पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, लेकिन मरीज के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है. ऐसी कई दवाएं हैं, जिनके द्वारा मरीज के व्यवहार में सुधार लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई प्रयासों से मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है जैसे व्यायाम, सेहतमंद आहार, उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण, डिसलिपिडिमा और डायबिटीज पर नियंत्रण और मरीज को बौद्धिक गतिविधियों में शामिल करना जैसे नई भाषा सीखने, मेंटल गेम्स या म्यूजिक में व्यस्त रखना. (इनपुट आईएएनएस)
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