Menopause के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव, किन बातों का रखें ध्यान, डॉक्टर से कब मिलना चाहिए
बढ़ती उम्र के साथ हर महिला को मेनोपॉज के सामान्य समस्याओं के साथ अपने जीवन का एक तिहाई या उससे अधिक समय बिताना पड़ता है.
मेनोपॉज का मतलब मासिक धर्म का रूकना है. मेनोपॉज यह शब्द ग्रीक शब्द से लिया गया है. मेनो जिसका अर्थ है महीना और पॉज का अर्थ है विराम. मादा हार्मोन्स का उत्पादन करने वाले अंडाशय की बढती उम्र रजोनिवृत्ती का कारण होती है. मादा हार्मोन का स्राव घटने से बांझपन और कुछ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं. ये परिवर्तन आमतौर पर 45-50 के दशक में होते हैं. बढ़ती उम्र के साथ हर महिला को मेनोपॉज के सामान्य समस्याओं के साथ अपने जीवन का एक तिहाई या उससे अधिक समय बिताना पड़ता है.
भारत में रजोनिवृत्ति से बढ़ रही समस्याएं
भारत में 45 साल से अधिक आयु की लगभग 85 मिलियन महिलाएं मेनोपॉज के दौरान कई बदलावों और शारीरिक समस्याओं से झूज रहीं हैं. इनमें से 30 मिलियन महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं.
मेनोपॉज के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
रजोनिवृत्ति महिला के जीवन में सामान्य और प्राकृतिक अवस्था है. यह केवल एक अस्थायी चरण है और यह बीमारी नहीं है. इसलिए अगर हम अच्छी तैयारी करते हैं, तो हम इस समस्या के खिलाफ आधी लड़ाई वहीं जीत सकते हैं. कई महिलाओं में रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई नहीं देते और कई महिलाओ़ं को नीचे दिए गए सभी लक्षणों का अनुभव हो सकता है.
- अनियमित मासिक धर्म
- मासिक धर्म रूक जाना
- हॉट फ्लॅशेस (गर्माहट)
- थरथराहट
- एट्रोफिक परिवर्तन से त्वचा और ब्रेस्ट का सैल होना, योनि का सूखापन और ढीलापन
- पेशाब रोकने में असमर्थता, खांसने या छींकने पर पेशाब का रिसाव होने जैसी यूरिनरी लक्षण
- चिंता, अवसाद, यौन संबंध की इच्छा कम हो जाना, अनिद्रा
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ये कुछ ऐसे बदलाव हैं जो रजोनिवृत्ती के पहले शरीर में होने लगते हैं, जिनसे महिला अनजान हो सकती है. रजोनिवृत्ति के बाद में और ऑस्टियोपोरोसिस के समस्या से हड्डियां कमजोर होने लगते हैं. जल्दी होनेवाली रजोनिवृत्ती प्राकृतिक रूप से भी हो सकती है, तो कुछ केसेस में सर्जरी द्वारा अंडाशय निकाल देने के कारण होती है. मात्र इसके बाद ऑस्टियोपोरोसिस के उच्च जोखिम का सामना करना पडता है. आमतौर पर पतली महिला़एं, धूम्रपान और सीटिंग लाइफस्टाइल जीने वाली महिलाएं इस समस्यां का अधिक शिकार होती है. रजोनिवृत्ति के बाद इस्केमीक जैसी दिल की बिमारी, अल्जाइमर और स्ट्रोक आदि समस्यां का सामना करना पडता है. एक बार मासिक धर्म बंद होने के बाद योनी मार्ग से किसी भी प्रकार का रक्तस्राव नहीं होना चाहिए, अगर महिलाओं को लगता है कि उन्हें लंबे समय तक और भारी मासिक धर्म या मासिक धर्म के बाद योनि से रक्तस्राव हो रहा है, तो उन्हें तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए. रजोनिवृत्ती निकट आने से पहले उन समस्यांओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर इनसे बचाव के उपाय करना जरूरी है.
किस में जादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती?
मेनोपॉज की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है. अगर आपके मां को मेनोपॉज जल्दी हो गया है तो आप को भी जल्दी हो सकता हैं. कई महिलाओं को 54 या 54 साल की उम्र तक भी नॉर्मल पीरियड्स आ जाते हैं. इसलिए हर साल रूटीन हेल्थ चेकअप करवाएं, जिसमे पीएपी स्मीअर चेकअप ( गर्भाशय ग्रीवा के कर्करोग के लिए), सोनोग्राफी गर्भाशय और अंडाशय मे होने वाले संभावित कैंसर के जानकारी के लिए और ब्रेस्ट कैंसर के लिए मॅमोग्राफी चेकअप जरूरी है. इसके बाद बॉन डेन्सिटी टेस्ट द्वारा हड्डियों के स्थिति का पता चल सकता है, जिससे हड्डी सामान्य है, तो केवल कैल्शियम और व्यायाम ही पर्याप्त है. अगर ये सारे रिपोर्ट नियमित रूप से सामान्य हैं, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. शरीर में गर्माहट से कोई नुकसान नहीं होता. अगर हल्की गर्माहट हो तो इसे नजरअंदाज कर सकते हैं पर तेज गर्माहट हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इलाज करें.
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शरीर के भीतर हो रहे बदलाव प्रक्रिया का सामना कैसे करें?
अगर आप चुस्त और फुर्तिले हैं, अगर आप नियमितरूप से हेल्दी डाइट और शारिरीक गतिविधियों का अवलंब कर रही हैं, तो आपको रजोनिवृत्ती के दरम्यान अधिकतम समस्याओं का सामना करना नहीं पडेगा. रजोनिवृत्ति की बहुतांश समस्याएं रेग्युलर लाइफस्टाइल और खाने पीने में सुधार लाकर और सप्लीमेंट और दवाइयों का सेवन करके छोडी जा सकती है. रजोनिवृत्ती के लक्षणो से राहत पाने के लिए बहुत सारे उपचार विकल्पों की आप मदद ले सकती हैं, जिनमें से एक ऑक्यूपंक्चर का विकल्प है जिसका परिणाम अच्छा है. साथ ही सोया सप्लीमेंट्स के इस्तमाल से आयसोफ्लाव्होन घटक शरीर की गर्मी नियंत्रण में रखता है और हड्डियां भी मजबूत बनाता है और 1000,1500mg कैल्शियम को डाएट में समाविष्ट करने से रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियां छिद्रपूर्ण और कमजोर करनेवाली ऑस्टिओपोरोसिस समस्या की तीव्रता कम होने में सहायता मिलती है.
योनि की लोच में कमी आने से होने वाली असुविधा दूर करने के लिए एस्ट्रोजन क्रीम या योनी जेल का इस्तेमाल कर सकते है. रेग्युलर लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से जैसे की कोल्ड्रिंक्स ना पीना और बंद वातानुकूलित रूम में ना बैठना और शरीर मे हीट इमिटेड करने वाले गरम और मसालेदार पदार्थों से दूर रहने से काफी अच्छा परिणाम दिख सकता है. इसके साथ विटामिन ई का समावेश करने से त्वचा और बालों को भी अच्छा फायदा हो सकता है.
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(डॉ. रिश्मा ढिल्लोन पई, सलाहगार स्त्रीरोग विशेषज्ञ, जसलोक और लीलावती हॉस्पिटल्स, मुंबई)
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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